Nanaji Deshmukh
Nanaji Deshmukh – नानाजी देशमुख की पहचान समाजसेवी और संघ नेता के रूप में ही नहीं हैं, बल्कि भारत के ग्रामीण विकास में उनके द्धारा दिए गए अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें याद किया जाता है।
Nanaji Deshmukh – नानाजी देशमुख को मरणोपरांत देश का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न भी मिला है। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्धारा यह पुरस्कार दिया गया। आपको बता दें कि भारत रत्न के इतिहास में नानाजी देशमुख दूसरे स्वयंसेवक हैं जिन्हें भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा गया है।
RSS को नए विचार देने वाले भारत रत्न नानाजी देशमुख – Nanaji Deshmukh Biography
11 अक्तूबर, 1916 को महाराष्ट्र के हिंगोली के कडोली कस्बे में जन्मे नानाजी देशमुख का जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनसंघ से रहा है, उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद विचारधारा वाले संघ को अपना यह नया विचार दिया कि।
‘मैं अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हूं”
RSS की स्थापना में नानाजी ने निभाई अहम भूमिका – Rashtriya Swayamsevak Sangh Founded
आपको बता दें कि RSS के संस्थापक (founder OF RSS) डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार से नानाजी के पारिवारिक सम्बन्ध थे। वे बचपन से ही उनके संपर्क में रहते थे। वहीं हेडगेवार जी ने भी नानाजी की सामाजिक प्रतिभा को शुरु में ही पहचान लिया था और उन्होंने ही नानाजी को संघ में आने के लिए प्रेरित किया था।
हेडगेवार जी हमेशा संघ के विचारों को नानाजी के सामने रखते थे, जिससे वे काफी प्रभावित होते थे। वहीं साल 1940 में जब हेडगेवार की मौत हो गई, उसके बाद बाबा साहब आप्टे के निर्देशन पर नानाजी आगरा में संघ का कामकाज संभालने लगे और फिर उन्होंने आरएसएस को खड़ा करने की ज़िम्मेदारी अच्छे से निभाई और अपना पूरा जीवन संघ के नाम कर दिया।
नानाजी ने जनसंघ को उत्तरप्रदेश की राजनीतिक शक्ति बनाया
वहीं जब राजनीतिक संगठन के रूप में जनसंघ की स्थापना का फैसला किया गया, तब गोलवलकर ने नानाजी को उत्तरप्रदेश में भारतीय जन संघ के महासचिव का प्रभार लेने को कहा।
नानाजी के जमीनी कार्य ने उत्तरप्रदेश में पार्टी को स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और साल 1957 तक जनसंघ ने उत्तरप्रदेश के सभी जिलों में अपनी इकाइयां खड़ी कर लीं और इसे मजबूती प्रदान की।
इसके बाद भारतीय जनसंघ उत्तरप्रदेश की प्रमुख राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरकर सामने आई।
नानाजी देशमुख ने नहीं स्वीकारा मंत्री पद
आपातकाल हटने के बाद जब चुनाव हुआ तो नानाजी देशमुख यूपी के बलरामपुर से लोकसभा सांसद चुने गए, उसी समय साल 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी और मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने। और उन्होंने नानाजी देशमुख को मंत्री बनने का प्रस्ताव रखा।
लेकिन नानाजी ने इस मंत्री पद को यह कहकर ठुकरा दिया कि 60 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों को सरकार से बाहर रहकर समाजसेवा करनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा और भारत के छोटे-छोटे गांवों की दशा और दिशा बदलने में लगा दिया।
इसके साथ ही नानाजी ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में अपना योगदान दिया। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था। वाजपेयी के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण स्वालंबन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया था।
हम आपको यह भी बता दें कि भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक की राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रभावित होकर समाज सेवा के क्षेत्र में आए थे। इसके अलावा नानाजी ने सरस्वती शिशु मन्दिर स्कूल स्थापना नानाजी ने सबसे पहले गोरखपुर में ही की थी और आज यह स्कूल पूरे देश में है।
वहीं अपने भ्रमण के दौरान नानाजी जब 1989 में चित्रकूट आए तो यहीं बस गए तो उन्होंने इसे अपनी कर्मभूमि बना लिया और अपनी पूरी जिंदगी चित्रकूट के विकास में लगा दी।
नानाजी देशमुख का निधन – Nanaji Deshmukh Death
इसके बाद 27 फरवरी 2010 को नाना जी ने यहीं अपनी अंतिम सांस ली।
देशमुख जी ने देह दान का संकल्प पत्र बहुत पहले ही भर दिया था। इसलिए देहांत के बाद उनका शरीर आयुर्विज्ञान संस्थान को दान दे दिया गया। नानाजी देशमुख को उनके नेक कामों के लिए आज भी याद किया जाता है।
Read More:
Hope you find this post about ”Nanaji Deshmukh”. if you like this Information About Nanaji Deshmukh In Hindi then please share on facebook & Whatsapp. and for latest update download: Gyani Pandit free android App.