कुछ समय पहले लंदन में अपने भाषण के दौरान कांग्रेस राहुल गाँधी ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ यानी आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड – Muslim Brotherhood से की थी। जिसके बाद से ही मुस्लिम ब्रदरहुड भारतीय मीडिया में छाया हुआ है। लेकिन मुस्लिम ब्रदरहुड के बारे में बहुत कम लोग जानते है। और शायद ज्यादातर लोगों को ये भी नहीं पता होगा कि मुस्लिम ब्रदरहुड को अरब के कई देशों में आतंकी संगठन घोषित किया जा चुका है। चलिए आपको बताते है मुस्लिम ब्रदरहुड की उत्पत्ति और इसके एक आम संगठन से आतंकी संगठन बने के बारे में।
आख़िर क्या हैं मुस्लिम ब्रदरहुड ? – Muslim Brotherhood
मुस्लिम ब्रदरहुड को मिस्र में इख्वान अल- मुस्लमीन के नाम से भी जाना जाता है जिसकी स्थापना साल 1928 में की गई थी। मुस्लिम ब्रदहुड के स्थापंक का नाम हसन अल -बन्ना था। इस संगठन का एकमात्र उद्देश विश्वभर में इस्लाम को पहचान दिलाना और इस्लामी की पहचान के लिए आंदोलन करना है।
स्थापना के कुछ सालो तक इस संगठन ने इस्लाम के नैतिक मूल्यों पर चलते हुए मिस्त्र में कई अच्छे काम किए। मिस्त्र की बहुत ही दयनीय हालत के बीच लोगों के लिए स्कूल और कॉलेज बनाए। जिसे लोग भी इनसे जुड़ने लगे। क्योंकि जो उन्हें मिस्त्र की सरकार नहीं दे पा रही थी। वो ये संगठन दे रहा था।
लेकिन धीरे – धीरे मुस्लिम ब्रदरहुड की महत्वकंक्षा और अपने धर्म को सर्वोच्च करने की सोच उन्हें गलत रहा पर ले गई। मुस्लिम ब्रदरहुड चाहता था कि देश का कानून केवल इस्लाम या शरिया के अनुसार चले ना कि देश के संविधान के अनुसार। जिस कारण मुस्लिम ब्रदरहुड ने राजनीति की ओर भी रुख किया। मुस्लिम ब्रदरहुड का चर्चित नारा इस्लाम ही समाधान है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार साल 1940 में इस संगठन से जुड़ने वाले लोगों की संख्या 20 लाख तक पहुंच गई थी इस संगठन की सोच ने सभी अरब देशों की सोच को प्रभावित किया था। लेकिन मुस्लिम ब्रदरहुड अपने धर्म के लोगों के अलावा दूसरे समुदाय के लोगों को महत्व नहीं देता था। मुस्लिम ब्रदहुड ने इसी दौरान हथियार बंद दस्ते का गठन भी किया जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ बमबारी और हत्याओं को अंजाम देता था। और यहीं से आंतकी संगठन की पैदावर भी शुरु हुई।
मुस्लिम ब्रदरहुड को साल 1948 में ब्रितानी और यहूदियों के हितों को देखते हुए मिस्त्र की सरकार ने भंग कर दिया। इसके बाद इस संगठन पर मिस्त्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासर की हत्या के प्रयास करने का आरोप लगा जिसके बाद इसे पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया। लेकिन कुछ राजनेता मुस्लिम ब्रदरहुड से मिले हुए थे जिनमें से एक अनवर अल सादात थे। जो साल 1970 में मिस्त्र के राष्ट्रपति बने। लेकिन कुछ समय बाद ही सादात और मुस्लिम ब्रदरहुड के बीच खटास पड़ने लगी।
जिसके बाद मुस्लिम ब्रदरहुड ने एक बार फिर राजनीति में सक्रिय होने की कोशिश की और मिस्त्र की राजनीतिक पार्टी वफाद और दूसरे दलों के साथ गठबंधन किया। मुस्लिम ब्रदरहुड ने पहली बार साल 2000 में 17 सीटें जीती और विपक्ष का दर्जा हासिल किया। साल 2011 में मिस्त्र के राष्ट्रपित होस्नी को पद से हटाने में मुस्लिम ब्रदरहुड की अहम भूमिका मानी जाती है।
लेकिन इस दौरान मुस्लिम ब्रदरहुड ने कई आंतकी संगठनों और आंतकियों को भी जन्म दिया जिनमें अमेरिका में हुए 9/11 के हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन, आतंकी संगठन अल कायदा और इस्लामिक स्टेट शामिल है। माना जाता है कि ये सभी आंतकी संगठन और आंतकवादी मुस्लिम ब्रदरहुड की देन है।
आंतकवादी ओसामा बिन लादेन तो मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्य भी रह चुका था। मुस्लिम ब्रदरहुड को सउदी अरब, सीरिया, रुस, मिस्त्र, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन में आंतकी संगठन घोषित किया जा चुका है।
हालांकि इसके बावजूद भी मुस्लिम ब्रदरहुड अरब के कई देशों की राजनीति में सक्रिय है। वहीं इस्लामिक स्टेट का आंतक तो इराक और सीरिया पहले से झेल ही रहा था अब सोमिलिया देश भी इस आतंकी संगठन के हमले झेलने को मजबूर है। इस्लामिक स्टेट को भी मुस्लिम ब्रदरहुड की सोच की पैदावर माना जाता है जिनका एक मात्र उद्देश्य विश्वभर में इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाना है।
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