मुमताज़ महल का इतिहास | Mumtaz Mahal History In Hindi

Mumtaz Mahal History In Hindi

मुगल शासक शाहजहां की सबसे पसंदीदा और प्रिय बेगम मुमताज महल को उत्तप्रदेश के आगरा में बने दुनिया के सात आश्चयों में से एक ताजमहल के लिए याद किया जाता है। मुमताज महल अपने अत्याधिक आर्कषक और सुंदर रुप के लिए मशहूर थी।

वहीं उसे सुंदरता से प्रभावित होकर ही शाहजहां उन पर मोहित हो गये थे और उन्हें उसने अपनी सबसे पसंदीदा बेगम बना लिया था और तो और मुगल शासक शाहजहां ने कई कवियों को भी मुमताज महल की खूबसूरती का वर्णन करने के लिए प्रेरित किया था।

मुमताज महल अपने दयालु एवं नम्र स्वभाव के लिए भी जानी जाती थी, वे जरूरमंदों और बेसहारा लोगों की मद्द के लिए काफी तत्पर रहती थीं। मुमताज महल रुपवान होने के साथ-साथ एक बुद्दिमान महिला भी थीं, जो कि अपने शौहर शाहजहां के राज-काज से जुड़े हर फैसले में साथ देती थीं। आइए जानते हैं मुमताज महल की जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में –

Mumtaz Mahal

मुमताज़ महल का इतिहास – Mumtaz Mahal History in Hindi

वास्तविक नाम (Real Name) अर्जुमंद बानो
जन्म (Birthday) अप्रैल 1593 में आगरा
पति (Husband) शाहजहां (10 मई, 1612)
निधन (Death) 17 जून, 1631, बुरहानपुर

मुमताज महल का जन्म और परिवार – Mumtaz Mahal Biography

मुमताज महल, अप्रैल 1593 में उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में अर्जुमंद बानो बेगम के रुप में जन्मीं थी। मुमताज महल, अब्दुल हसन आसफ खां की पुत्री थी, जो कि मुगल साम्राज्य के चौथे शासक और शाहजहां के पिता जहांगीर के वजीर थे। वहीं मुमताज महल की बुआ नूरजहां मुगल सम्राट जहांगीर की सबसे प्रिय बेगम थीं।

मुमताज महल और शाहजहां की मुलाकात और निकाह – Mumtaz Mahal Shah Jahan

मुमताज महस उर्फ अर्जुमंद बानो एक बेहद सुंदर और गुणवती महिला थीं, जो कि हरम से जुड़े हुए मीना बाजार में कांच और रेशम के मोती बेचा करती थीं। वहीं 1607 में उनकी मुलाकात इसी बाजार में मुगल वंश के शहजादे शाहजहां (खुर्रम) से हुई थी, उस समय वे महज 14 साल की थी।

वहीं तभी से शाहजहां और मुमताज महल की बेमिसाल प्रेम कहानी की शुरुआत हुई और समय के साथ-साथ दोनों का प्यार परवान चढ़ा और फिर इसके 5 साल बाद मुमताज महल और मुगल वंश के शहजादे शाहजहां ने 1612 ईसवी में निकाह कर लिया। निकाह के बाद वे शाहजहां की सबसे प्रिय और पसंदीदा बेगम बन गईं, जिनके बिना शाहजहां एक पल भी नहीं रह सकता था।

शाहजहां ने मुमताज बेगम को अपने राज्य में दिए थे सबसे ज्यादा अधिकार: 

अर्जुमंद बानों के अत्याधिक सुंदर रुप से शाहजहां इतना प्रभावित था कि उसने निकाह के बाद उसने उनका नाम बदलकर मुमताज महल कर दिया। इसके साथ ही शाहजहां ने मुमताज महल को ‘मलिका-ए-जमानी’ की उपाधि भी प्रदान की थी। आपको बता दें कि शाहजहां की मुमताज महल के अलावा और भी कई पत्नियां थी, लेकिन जो उनके राज्य में जो सम्मान और स्थान मुमताज महल को मिला था, वैसा किसी अन्य को नहीं मिल सका।

इतिहासकारों की माने तो मुगल सम्राट शाहजहां ने मुमताज को अपने राज-काज से संबंधित कई जरूरी फैसलों का अधिकार भी दे रखा था। और तो और मुमताज महस की मुहर के बगैर मुगल सम्राट शाहजहां कोई भी शाही फरमान तक जारी नहीं करते थे।

शाहजहां और मुमताज महल के अटूट प्रेम को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि शाहजहां का अपनी मुमताज बेगम से इतना लगाव था कि वो उनके बिना एक पल भी नहीं रह सकता था, इसलिए वो अपने राजनैतिक दौरे के दौरान भी मुमताज बेगम को अपने साथ ले जाता था।

इसके अलावा शाहजहां ने मुमताज महल को अपने सबसे ज्यादा भरोसेमंद साथी के रुप में सम्मानित करते हुए उनके नाम पर आगरा में खास महल, मुहर उजाह, शाही मुहर जैसे भव्य और शानदार महलों का भी निर्माण करवाया था।

मुमताज महल की मौत और ताजमहल का निर्माण – Mumtaz Mahal Death And Taj Mahal

मुमताज महल ने कुल 14 बच्चों को जन्म दिया था, जिनमें से 8 पुत्र और 6 पुत्रियां थी, लेकिन उनके सिर्फ 7 बच्चे ही जिंदा बचे थे, उनके बाकी बच्चों की मौत किशोर अवस्था में ही हो गई थी। उनके बच्चों में जहांआरा बेगम, दाराशिकोह आदि शामिल थे।

दाराशिकोह उनका सबसे ज्यादा सभ्य, समझदार और बुद्धिमान पुत्र था, जिसे शाहजहां भी अपनी मौत के बाद उत्तराधिकारी बनाना चाहता था, हालांकि बाद में उसे उनके अपने लालची भाई औरंगजेब से हार का सामना करना पड़ा था। मुमताज महल ने अपनी 14वीं संतान गौहर बेगम के जन्म के समय अत्याधिक प्रसव पीड़ा के दौरान 17 जून, 1631 में दम तोड़ दिया था।

वहीं अपनी सबसे प्यारी बेगम मुमताज महल की मौत के बाद शाहजहां बेहद टूट गया था, यहां तक कि उनके बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि, मुमताज बेगम की मौत के बाद करीब 2 साल तक शाहजहां शोक बनाते रहे थे। इस दौरान रंगीन मिजाज के मुगल सम्राट शाहजहां ने अपने सारे शौक त्याग दिए थे, और इस दौरान न तो उन्होंने किसी तरह के कोई शाही लिबास पहने और न ही वे किसी शाही जलसे में शामिल हुए थे।

वहीं मुमताज की मौत के बाद शाहजहां ने अपनी मोहब्त को हमेशा अमर रखने के लिए उनकी याद में आगरा में ताजमहल बनवाया। जो कि अपनी भव्यता और अत्याधिक खूबसूरती की वजह से आज दुनिया के सात अजूबों में से एक है। इसके निर्माण में करीब 23 साल लगे थे। यह, भारत के पर्यटकों के आार्कषण का मुख्य केन्द्र है।

ताजमहल, मुमताज महज की एक बेहद भव्य और आर्कषक कब्र है, इसलिए इस खास इमारत को ”मुमताज का मकबरा” भी कहते हैं। इसके साथ ही ताजमहल, शाहजहां और मुमताज महल के बेमिसाल प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

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32 thoughts on “मुमताज़ महल का इतिहास | Mumtaz Mahal History In Hindi”

  1. Indrajeet singh

    Above the comment of mumtaz mahal was also married with sher afgaan .it is totally wrong. Nurjaha was the first wife of sher afgan not mumtaj.

  2. Dilip agarwal

    AB mere pass ek sawal ka jabab NAHI hai agar Kisi k pass hai to pls reply karna Sachi Kahani.sawal ye hai ki tab sahjahan NE tajmahal kyu banaya tha AUR use mumtaj ki yaad mai banaya hai aisa kyu kaha Jaya hai?

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