मुहम्मद अली जित्रा ने एक नए इस्लामिक राष्ट्र पाकिस्तान का भी गठन किया। वे मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता थे, जिन्होंने धर्म के आधार पर पाकिस्तान बनाने की मांग की थी।
मुहम्मद अली जित्रा की वजह से ही देश का बंटबारा हुआ। जित्रा न सिर्फ एक राजनेता थे, बल्कि उन्होंने एक वकील के रुप में भी काफी प्रसिद्धि हासिल की थी।
तो आइए जानते हैं मुहम्मद अली जित्रा के जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें –
मुहम्मद अली जित्रा की जीवनी – Muhammad Ali Jinnah in Hindi
एक नजर में –
पूरा नाम (Name) | मुहम्मद अली जित्रा |
जन्म (Birthday) | 25 दिसंबर, 1876, कराची, ब्रिटिश भारत |
पिता (Father Name) | जित्रा भाई (पूंजा लाल) |
माता (Mother Name) | मीठी बाई |
पत्नी (Wife Name) | अमीबाई, रतनबाई पतित |
बेटी (Daughter) | डीना जित्रा |
शिक्षा (Education) | लॉ की पढ़ाई |
मृत्यु (Death) | 11 सितंबर 1948, कराची, पाकिस्तान |
जन्म, परिवार, शिक्षा एवं शुरुआती जीवन –
मुहम्मद अली जित्रा 25 दिसंबर, 1876 को कराची में ब्रिटिश भारत में एक गुजराती और संपन्न परिवार में जन्में थे। जिन्ना का परिवार मुख्य रुप से गुजरात के काठियावाड़ का रहने वाला था, जो कि एक पीढ़ी पहले तक हिन्दू धर्म से तालुक्कात रखता था।
उनके दादा जी प्रेमजी भाई ठक्कर गोंडल एक हिन्दू व्यापारी था, जो कि मछली का कारोबार करते थे। वहीं इस व्यापार के चलते उनके दादा को जाति से बहिष्कृत कर दिया था, जिसके बाद उनके पिता पूंजालाल ठक्कर ने गुस्से में आकर अपना धर्म बदलकर इस्लाम धर्म अपना लिया था। इसलिए जित्रा को दूसरी पीढ़ी का मुसलमान भी कहा जाता था।
शिक्षा –
मुहम्मद अली जित्रा ने 6 साल की उम्र में कराची के सिंध मदरसा उल इस्लाम में एडमिशन लिया और इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई मुंबई केथेड्रल और जॉन कानन स्कूल से की।
इसके कुछ समय बाद वे वापस कराची लौट आए जहां पर उन्हेोंने क्रिश्च्यन मिशनरी सोसाइटी हाईस्कूल में एडमिशन लिया और फिर वे इसके बाद अपनी वकालत की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए और वकील के रुप में काम करने लगे।
शादी और बच्चे –
जब वे पढ़ाई कर रहे थे, उस दौरान ही उनकी मां ने उनकी शादी एमी बाई से करवा दी। पहले तो जित्रा ने शादी करने से इनकार किया, लेकिन बाद में मां के ज्यादा कहने पर वे शादी के लिए तैयार हो गए।
लेकिन उनकी यह शादी ज्यादा दिन तक नहीं चल सकी। जिसके बाद जित्रा ने साल 1918 में दूसरी शादी रत्तनबाई से कर ली, जो कि उनसे उम्र में करीब 24 साल छोटी थीं। शादी के बाद दोनों को डीना जित्रा नाम की बेटी भी हुई।
सबसे महंगे और सफल वकील के रुप में –
मोहम्मद अली जित्रा इंग्लैंड से अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत वापस लौट आए और यहां 20 साल की उम्र में उन्होंने वकालत का काम शुरु कर दिया।
वे उस समय के सबसे मशहूर और महंगे वकील के रुप में जाने जाते थे। वकालत के दौरान वे कई बड़े राजनेताओं के संपर्क में आए और फिर उनकी दिलचस्पी राजनीति की तरफ बढ़ने लगी।
राजनैतिक जीवन –
साल 1906 में मुहम्मद अली जित्रा इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और फिर उन्होंने आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके बाद उन्होंने वे मुस्लिम लीग में शामिल हो गए फिर उन्होंने मुस्लिम लीग और कांग्रेस को एक साथ लाने का कठोर प्रयत्न किया।
पाकिस्तान के संस्थापक एवं प्रथम गवर्नर जनरल के रुप में –
पाकिस्तान के ‘क़ायदे आज़म’ के रूप में मशहूर मुहम्मद अली जित्रा ने साल 1940 में मुस्लिम लीग के विभाजन की मांग की और फिर अलग राज्य का गठन करने का प्रस्ताव रखा।
जित्रा ने धर्म के आधार पर भारत के बंटबारे और मुसलिम बहुसंख्यक प्रान्तों को मिलाकर पाकिस्तान बनाने की मांग की। आपको बता दें कि साल 1947 में जित्रा की वजह से ही भारत का बंटबारा हो गया और एक नए मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की स्थापना हुई।
विभाजन के बाद जित्रा को नए राष्ट्र पाकिस्तान के पहले गवर्नर-जनरल बनने का गौरव हासिल हुआ। यही नहीं भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर का मुद्दा उठाने वाले जित्रा ही पहली शख्सियत थे।
हालांकि, नए इस्लामिक राष्ट्र की गठन करने के एक साल बाद ही जित्रा की मृत्यु हो गई।
मृत्यु –
हिन्दू-मुस्लिम एकता के राजदूत माने जाने वाले मशहूरअली जित्रा ने 11 सितंबर, 1948 को कराची, पाकिस्तान में अपनी आखिरी सांस ली। उनकी मौत की वजह टीबी की बीमारी बताई जाती है।
हालांकि जित्रा ने अपनी बीमारी की बात छिपाई थी, उनकी इस घातक बीमारी की बारे में डॉक्टर और उनके सिवाय कोई अन्य नहीं जानता था।
दरअसल जित्रा ने अपनी बीमारी की बात इसलिए भी छिपाई थी, कि अगर उनकी इस जानलेवा बीमारी के बारे में माउंटबेटन और अन्य कांग्रेस राजनेताओं को पता चल जाता तो भारत और पाकिस्तान के बंटवारा कुछ समय तक टल जाता है और उनका एक अलग मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान बनाने का सपना कभी पूरा नहीं हो पाता।
महत्वपूर्ण और आश्चर्यजनक तथ्य –
धर्म के आधार पर पाकिस्तान का गठन करने वाले मुहम्मद अली जित्रा सबसे महंगे वकीलों में से एक थे, जो कि उस समय डेढ़ हजार रुप तक फीस वसूलते थे, लेकिन मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की स्थापना के बाद वे हर महीने सिर्फ 1 रुपए ही वेतन लेते थे, क्योंकि वे अपने नए राष्ट्र को किसी भी वजह से कर्ज में नहीं डुबोना चाहते थे।
जित्रा, लॉ की डिग्री हासिल करने वाले सबसे कम आयु के पहले भारतीय थे।
जित्रा व्यवस्थित ढंग और शान से रहना पसंद करते थे। वे अक्सर सूट, टाई और टोपी पहनते थे। उनके पास 200 से भी ज्यादा सूट थे और वे एक बार जिस टाई को लगा लेते थे, उसे फिर कभी दोबारा नहीं लगाते थे।
जित्रा ने भले ही संप्रदायिक आधार पर पाकिस्तान का गठन किया हो, लेकिन वे कट्टर मुस्लिम नहीं थे। वे इस्लाम में वर्जित चीजों का सेवन करते थे और कभी भी नमाज अदा नहीं करते थे।
जित्रा से पहले एक पीढ़ी तक उनका परिवार हिन्दू था, इसलिए उन्हें दूसरी पीढ़ी की मुसलमान भी कहा जाता था। आपको बता दें कि उनके दादा जी हिन्दू थे, जबकि उनके पिता ने मुस्लिम धर्म अपना लिया था।
मुहम्मद अली जित्रा के नाम पर ऐतिहासिक धरोहर:
पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जित्रा के सम्मान में उनके नाम पर पाकिस्तान में कई स्कूल, यूनिवर्सिटी और कॉलेज का नाम रखा गया है।
पाकिस्तान मुद्रा पर मुहम्मद अली जित्रा की तस्वीर छापी गई है।
पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि ईरान के तेहरान में भी मुहम्मद अली जित्रा के सम्मान में मुहम्मद अली जिन्नाह एक्सप्रेस भी है। यही नहीं तुर्की की सबसे बड़ी सड़क का नाम भी इनके नाम पर रखा गया है।
sir,jha tak maine padha hai…congress party ne hamesha musalmano ko support kiya hai….alag desh ki maang khud jinha ne ki….congress ne nhi
लेखक जी ..मेरे मन मे एक प्रश्न है …मैने तो सुना है कि गांधी जी तो मुसलमानो के प्रति अती उदारता पुर्ण रवैय्या रखते थे और कांग्रेश भी इसी वजह से भारत मे दो बड़े संगठन ..राष्ट्रीय स्वंम सेवक संघ ..और विश्व हिंदू परिषद ..का उदय हुआ..और साथ ही साथ मोहम्मद अली जीन्ना सुरवाती दैर मे सहिष्णु थे यहा तक की जीन्ना ने कई बार कोर्ट मे गांधी जी का केश भी लड़ा ..जीन्ना के लाख मना करने पर भी उनका अती उदार रवैय्ये और उनकी बातो का गांधी जी द्वारा महत्व न देने पर वो हिंदु मुसलमान वाली बात पर आ खड़े हुऐ..क्योकि जीन्ना ने कहा था की गांधी जी आप मुश्लिम सीग को आवश्यकता से अधिक महत्व दे रहे है आप को ऐसा नही करना चाहिऐ ..और अंततः जीन्ना नाराज़ होकर चले गऐ और उसने मुसलमानो के लिऐ पाकिस्तान की मांग पर अड़ गऐ..और अंत तक गांधी से बात नही की क्योकि उनको पता था की गांधी जी उनको मना लेगे l
ये बाते कितनी सच है कृपया जानकारी दे |
Haa ye bat shi to hai
saurabh sahab RSS (Rastra Seva Sangh) ka sangathan desh ki seva ke liye hai kabhi sangathan me jakar dekho..desh ke heet ki chinta hoti hai logo me..usme bharat ke sacche saput hai chahe wo hindu hai or musalman aur ye RSS kabhi desh torne ki bat nahi karta,kyoki jise koi apna desh samjhega wo kabhi us desh ke tukre ki soch nahi sakta. Sach ye hai ki Islam ka sahara lekar zinna ne siyasat ki..unke desh se zyada islam ke log bharat me hai aur unlogo se zyada khush bhi hai.
Durbhagya hai is desh ka jaha logo me unity nahi hai aur aap ke jaise log sahi aur galat me phark nahi samjh pate hai aur khud gumrah rehte hai aur dusro ko bhi karte hai.
jinah ko pak aadar de sakata he. vaha ke musalman inhe ak mahan neta ki najar se dekhte he par bharat ke nahi.des ke tukre karne se janta parbhawit hui. aaj musalman bharat me unse behtar jindagi jee rhe he. pak ka patan hoga ye sambhavna puri samjo.
bharat ji Namaste zaara sochiye tab Rss kyo h
right information.