Mughal History in Hindi
मुग़ल साम्राज्य की शुरुवात अप्रैल, 1526 में इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुए पानीपत के युद्ध के बाद हुई थी। इस युद्ध में जीत के बाद भारत में दिल्ली सत्लनत के शासन का खात्मा हुआ और मध्यकालीन भारत में मुगल वंश की नींव रखी गई, जिसके बाद करीब 18 वीं शताब्दी, देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम तक मुगलों ने भारतीय उपमहाद्धीप पर राज किया था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आने तक भारत में मुगलों ने अपना शासन चलाया था।
मुगल सम्राज्य एक काफी कुशल, समृद्ध एवं संगठित सम्राज्य था। मुगल वंश का शासन, भारत के मध्ययुगीन इतिहास के एक युग परिवर्तन को प्रदर्शित करता है। मुगलकालीन भारत में ही कला, शिल्पकला का विकास हुआ। भारत में ज्यादातर खूबसूरत एवं ऐतिहासिक इमारतें मुगलकाल के समय में ही बनाईं गईं थी।
इन इमारतों में सांची के स्तूप, आगरा में स्थित दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल, दिल्ली का लालकिला, अजंता-एलोरा की गुफाएं, उड़ीसा के प्रसिद्ध मंदिर, खजुराहो के मंदिर, तंजौर की अद्भुत मूर्तिकला, शेरशाह सूरी का ग्रैंड ट्रंक रोड, बीजापुर का गोल गुंबद आदि शामिल हैं। तो आइए जानते हैं मुगल वंश के इतिहासके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी–
मुग़ल साम्राज्य का रोचक इतिहास – Mughal History in Hindi
मुगल वंश के बारे मे जानकारी – About Mughal Empire in Hindi
साम्राज्यवंश का नाम | मुगल वंश |
शासन काल | १५२६-१८५७ |
प्रमुख सत्ताकेंद्र स्थान |
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प्रमुख शक्तिशाली शासक |
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शासन काल मे कला से जुडी प्रमुख उपलब्धीया |
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प्रथम शासक | बाबर |
अंतिम शासक | बहादूर शाह जफर |
साम्राज्य का कुल शासनकाल | लगभग ३३१ साल |
मुगल वंश के शासकों की सूची – List of Mughal Emperors in Hindi
शासक का नाम | शासनकाल |
बाबर | (30 अप्रैल 1526-26 दिसम्बर 1530) |
हुमायूं | (26 दिसम्बर 1530 – 17 मई 1540) |
अकबर | (27 जनवरी 1556 – 27 अक्टूबर 1605) |
जहांगीर | (27 अक्टूबर 1605 – 8 नवम्बर 1627) |
शाहजहाँ | (8 नवम्बर 1627 – 31 जुलाई 1658) |
औरंगजेब | (31 जुलाई 1658 – 3 मार्च 1707) |
बहादुरशाह | (19 जून 1707 – 27 फ़रवरी 1712) |
जहांदार शाह | (27 फ़रवरी 1712 – 11 फ़रवरी 1713) |
फर्रुख्शियार | (11 जनवरी 1713 – 28 फ़रवरी 1719) |
मोहम्मद शाह | (27 सितम्बर 1719 – 26 अप्रैल 1748) |
अहमद शाह बहादुर | (26 अप्रैल 1748 – 2 जून 1754) |
आलमगीर द्वितीय | (2 जून 1754 – 29 नवम्बर 1759) |
शाह आलम द्वितीय | (24 दिसम्बर 1760 – 19 नवम्बर 1806) |
अकबर शाह द्वितीय | (19 नवम्बर 1806 – 28 सितम्बर 1837) |
बहादुर शाह द्वितीय | (28 सितम्बर 1837 – 14 सितम्बर 1857) |
मुगल वंश का इतिहास – Mughal Samrajya ka Itihas
यहां हम आपको मुगल वंश के प्रमुख शासकों और उनके कार्यालय के बारे में संक्षिप्त में जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं। इनके बारे में विस्तार में जानने के लिए आप नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें-
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मुगल वंश के संस्थापक बाबर (30 अप्रैल 1526-26 दिसम्बर 1530)
भारत में साल 1526 में पानीपत की लड़ाई के बाद भारत में लोदी वंश और दिल्ली सल्लनत का अंत हुआ एवं बाबर द्धारा मुगल वंश की स्थापना की गई। बाबर के बारे में एक नजर में–
पूरा नाम | जहीर-उद-दिन मुहम्मद बाबर |
जन्म | 14 फरवरी, 1483, अन्दिझान (उज्बेकिस्तान) |
पिता | उमर शेख मिर्जा (फरगना राज्य के शासक) |
माता | कुतलुग निगार खानुम |
पत्नियां |
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पुत्र / पुत्रियां | हुमायूँ, कामरान, अस्करी, हिन्दाल,गुलबदन बेगम |
शासन काल | सन 1526 से 1530 ई. |
निर्माण | क़ाबुली बाग़ मस्जिद, आगरा की मस्जिद, जामा मस्जिद, बाबरी मस्जिद,नूर अफ़ग़ान, |
मृत्यु | 26 दिसम्बर 1530 |
बाबर, मुगल सम्राज्य का संस्थापक और पहला मुगल सम्राट था। बाबर ने भारत पर 5 बार हमला किया था। उसने 1519 ईसवी में यूसुफजई जाति के खिलाफ भारत में अपना पहला संघर्ष छेड़ा था, इस अभियान में बाबर ने बाजौर और भेरा को अपने कब्जे में कर लिया था।
Mughal Empire Weapons
मुगल सम्राट बाबर ने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को पराजित कर दिल्ली और आगरा में अपना कब्जा जमा लिया, जिसके साथ दिल्ली सल्तनत का अंत हो गया और भारत में मुगल वंश की स्थापना की गई। 17 मार्च 1527 में मुगल सम्राट बाबर ने खानवा की लड़ाई में मेवाड़ के शक्तिशाली शासक राणा सांगा को पराजित किया।
इस युद्ध के बाद बाबर ने गांजी की उपाधि धारण कर ली थी। 1659 ईसवी में बाबर ने घाघरा की लड़ाई में अफगानी सेना को फिर से हार की धूल चटाई। मुगल शासक एक शक्तिशाली शासक होने के साथ-साथ बेहद दयालु था, जिसे उसकी उदारता के लिए कलंदर की उपाधि दी गई थी।
बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा की रचना की थी। आपको बता दें कि बाबर को मुबईयान नामक पद्य शैली का पितामह भी माना जाता है। बाबर की मृत्यु के बाद उसके पुत्र हुमायूं ने मुगल सम्राज्य का शासन संभाला। बाबर के बारे में और अधिक जानकारी के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें- बाबर का इतिहास और जानकारी
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मुगल सम्राट हुमायूं:
पूरा नाम | नासीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं |
जन्म | 6 मार्च, सन् 1508 ई., क़ाबुल |
पिता | बाबर |
माता | माहम बेगम |
शासन काल | (26 दिसंबर, 1530 – 17 मई, 1540 ई. और 22 फ़रवरी, 1555 – 27 जनवरी, 1556 ई.) |
उत्तराधिकारी | अकबर |
मृत्यु | 27 जनवरी, सन् 1555 ई., दिल्ली |
मुगल सम्राट हुमायूं दूसरा मुगल शासक था, जो कि 23 साल की उम्र में मुगल सिंहासन पर बैठा था। हूमायूं और शेरशाह की बीच हुई कन्नौज और चौसा की लड़ाई में, शेरशाह ने हुमायूं को पराजित कर दिया था, जिसके बाद हुमायूं भारत छोड़कर चला गया था।
करीब 15 साल के निर्वासित जीवन व्यतीत करने के बाद हुमायूं ने 1555 में सिकंदर को पराजित कर दिल्ली का राजसिंहासन संभाला था। मुगल सम्राट हुमायूं ने ही हफ्ते में सातों दिन सात अलग-अलग रंग के कपड़े पहनने के नियम बनाए थे। हुमायूं के बारे में और अधितर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- मुग़ल शासक हुमायूँ का इतिहास
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मुगल सम्राट अकबर द महान:
नाम | अबुल-फतह जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर |
जन्म | 15 अक्टूबर, 1542, अमरकोट |
पिता | हुमांयू |
माता | नवाब हमीदा बानो बेगम साहिबा |
शासनकाल | 11 फरवरी 1556 से 27 अक्टूबर 1605 |
उत्तराधिकारी | जहांगीर |
मृत्यु | 27 अक्टूबर 1605 (फतेहपुर सीकरी, आगरा) |
मुगल शासक हुमायूं की मृत्यु के बाद उनके पुत्र अकबर, मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठे थे। 14 साल की छोटी सी उम्र में ही अकबर को मुगल सम्राज्य का शासक बनाया गया था, इसलिए कुछ समय तक उनके पिता के मंत्री बैरम खां उनके संरक्षक रहे थे। मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में मुगल सम्राज्य की एक नई शुरुआत हुई थी।
इस दौरान भारतीय उपमहाद्धीप के ज्यादातर हिस्से पर मुगल सम्राज्य का विस्तार किया गया था। अकबर ने पंजाब, दिल्ली, आगरा, राजपूताना, गुजरात, बंगाल, काबुल, कंधार में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था।
अकबर के शासनकाल के दौरान आगरा किला, बुलंद दरवाजा, फतेहपुर सीकरी, हुमायूं मकबरा, इलाहाबाद किला, लाहौर किला, और सिकंदरा में उनका खुद का मकबरा समेत कई वास्तुशिल्प कृतियों का निर्माण भी किया गया। अकबर ”दीन ए इलाही” धर्म का प्रधान पुरोहित था।
अकबर के बारे में और अधिर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर इतिहास
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मुगल शासक जहांगीर (1605 से 1627 तक)
पूरा नाम | मिर्ज़ा नूर-उद्दीन बेग़ मोहम्मद ख़ान सलीम जहाँगीर |
जन्म | 30 अगस्त, सन् 1569, फ़तेहपुर सीकरी |
पिता | अकबर |
माता | मरियम उज़-ज़मानी |
विवाह | नूरजहाँ, मानभवती, मानमती |
शासनकाल | सन 15 अक्टूबर, 1605-8 नवंबर, 1627 |
मुगल सम्राट अकबर की मृत्यु के बाद उनके बेटे सलीम, जहांगीर के नाम से मुगल सम्राज्य के शासक बने, वह अपनी शान-ओ-शौकत के लिए काफी मशहूर था। जहांगीर के राज में मुगल सम्राज्य का किश्ववर और कांगड़ा के अलावा बंगाल तक विस्तार तो किया गया, लेकिन उसके शासनकाल में कोई बड़ी लड़ाई और उपलब्धि शामिल नहीं है।
जहांगीर के सिंहासन पर बैठते ही उनके पुत्र खुसरो ने सत्ता पाने की चाहत में उनके खिलाफ षणयंत्र रच आक्रमण कर दिया, जिसके बाद जहांगीर और उसके पुत्र के बीच भीषण युद्ध हुआ। वहीं इस युद्द में सिक्खों के 5वें गुरु अर्जुन देव जी द्धारा खुसरों की मदद्द करने पर जहांगीर ने उनकी हत्या करवा दी थी।
Mughal Empire Images
जहांगीर चित्रकला का गूढ़ प्रेमी था, जिसने अपने महल में कई अलग-अलग तरह के चित्र इकट्ठे किए थे। उसके शासनकाल को चित्रकला का स्वर्णकाल भी कहा जाता है। जहांगीर को आगरा में बनी “न्याय की जंजीर” के लिए भी याद किया जाता है।
जहांगीर के उनके बेटे शाहजहां से भी रिश्ते अच्छे नहीं थे, हालांकि उनकी मौत के बाद शाहजहां को उनके उत्तराधिकारी बने थे। जहांगीर के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- जहाँगीर का इतिहास
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मुगल शासक शाहजहां (1628-1658)
पूरा नाम | मिर्ज़ा साहब उद्दीन बेग़ मुहम्मद ख़ान ख़ुर्रम |
जन्म | 5 जनवरी, सन् 1592, लाहौर, पाकिस्तान |
पिता | जहांगीर |
माता | जगत गोसाई (जोधाबाई) |
विवाह | अर्जुमन्द बानो (मुमताज) |
शासनकाल | 8 नवम्बर 1627 से 2 अगस्त 1658 ई.तक |
निर्माण | ताजमहल, लाल क़िला दिल्ली, मोती मस्जिद आगरा, जामा मस्जिद दिल्ली |
उपाधि | अबुल मुज़फ़्फ़र शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-सानी, शाहजहाँ (जहाँगीर के द्वारा प्रदत्त) |
मुगल शासक शाहजहां को दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल के निर्माण के लिए याद किया जाता है, उन्होंने अपनी प्रिय बेगम मुमताज महल की याद में इस खूबसूरत इमारत का निर्माण करवाया था।
शाहजहां, मुगल सम्राज्य के सबसे बड़े लोकप्रिय बादशाह थे, जिन्हें पड़ोसी राज्यों के लोग अपनी विदेश नीति के लिए भी सर्वश्रेष्ठ मानते थे।
शाहजहां ने अपने शासनकाल में मुगल कालीन कला और संस्कृति को जमकर बढ़ावा दिया था, इसलिए शाहजहां के युग को स्थापत्यकला का स्वर्णिम युग एवं भारतीय सभ्यता का सबसे समृद्ध काल के रुप में भी जानते हैं।
मुगल सम्राट शाहजहां को उनके जीवन के अंतिम दिनों में उनके क्रूर पुत्र औरंगजेब द्धारा आगरा किला में बंदी बना लिया था, इसके बाद 1666 ईसवी में उनकी मौत हो गई थी। मुगल शासक शाहजहां के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- शाहजहाँ का इतिहास
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मुगल शासक– औरंगजेब:
पूरा नाम | अब्दुल मुज़फ़्फ़र मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर पादशाह गाज़ी |
जन्म | 4 नवम्बर, सन् 1618 ई., दाहोद (गुजरात) |
पिता | शाहजहाँ |
माता | मुमताज महल |
शासनकाल | 31 जुलाई, सन् 1658 से 3 मार्च, सन् 1707 तक |
निर्माण | लाहौर की बादशाही मस्जिद 1674 ई. में, बीबी का मक़बरा, औरंगाबाद, मोती मस्जिद |
उपाधि | औरंगज़ेब आलमगीर |
मुगल सम्राट औरंगजेब, अपने पिता शाहजहां को कई सालों तक बंदी बनाने के बाद मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था। औरंगजेब मुगल वंश का इकलौता ऐसा शासक था, जिसने भारत पर साल 1658 ईसवी से 1707 तक करीब आधी सदी (49 साल) तक अपना कब्जा जमाया था।
औरंगजेब ने अपने शासनकाल में भारतीय उपमहाद्धीप के ज्यादार हिस्सों पर अपने सम्राज्य का विस्तार किया था। औरंगजेब एक कट्टर मुस्लिम शासक था, जिसने सिक्खों के नौंवे गुरु तेग बहादुर के इस्लाम नहीं स्वीकार करने पर उनकी हत्या करवा दी थी। औरंगेजेब ने अपने शासनकाल के दौरान कई लड़ाईयां जीतीं लेकिन उसे मराठा सम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज से हार का सामना करना पड़ा था।
उसकी की मौत के बाद मुगल सम्राज्य की नींव धीमे-धीमे कमजोर पड़ने लगी थी। मुगल शासक औरंगजेब के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- औरंगजेब का इतिहास
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बहादुर शाह प्रथम (19 जून 1707-27 फ़रवरी 1712)
पूरा नाम | कुतुब उद-दीन मुहम्मद मुअज्ज़म |
जन्म | 14 अक्टूबर, 1643 बुरहानपुर, मुगल साम्राज्य |
पिता | औरंगजे़ब |
माता | रहमतुन्निस बेगम (नवाब बाई) |
शासनकाल | 19 जून, 1707 से 27 फरवरी, 1712 तक |
मृत्यु | 20जनवरी, 1961 लाहौर, मुगल सम्राज्य |
बहादुर शाह प्रथम, महान मुगल सम्राट भारत पर शासन करने वाला भारत का 8वां मुगल शासक था, जिसने भारत पर सिर्फ 5 साल शासन किया था।
उसनें अपने शासनकाल में अपने सहयोगियों को कई नई उपाधियां एवं ऊंचे दर्जे प्रदान किए, हालांकि बहादुर शाह के शासन के समय उसके दरबार में षणयंत्रों के कारण दो दल बन गए थे, जिसमें ईरानी दल ‘शिया मत’ को मानने वाले थे, जबकि तुरानी दल ‘सुन्नी मत’ के समर्थक थे।
बहादुर शाह प्रथम ने राजपूतों के साथ संधि की नीति अपनाई थी, इसके साथ ही उसने मराठाओं के साथ शांति स्थापित करने की कोशिश भी की थी, जो मुगल वंश के लिए सबसे बड़ा खतरा थे। इस तरह बहादुर शाह की नीतियों ने मुगल वंश के पतन का कारण बनी।
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जहांदार शाह (1712 – 1713)
पूरा नाम | मिर्ज़ा मुइज़्ज़-उद-दीन बेग मोहम्मद ख़ान जहाँदार शाह बहादुर |
जन्म | 9 मई, 1661, दक्कन, मुग़ल साम्राज्य |
पिता | बहादुरशाह प्रथम |
मृत्यु | 1713, दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य |
जहांदार शाह के पिता बहादुरशाह प्रथम की मौत के बाद उत्तराधिकारी के लिए सभी भाइयों में काफी संघर्ष हुआ, इस भीषण संघर्ष में उसके तीन भाइयों की मौत हो गई, जिसके बाद जहांदार शाह मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था। जहांदारशाह ने बेहद कम समय तक ही शासन किया।
ऐसा माना जाता है कि वह अपने प्रधानमंत्री जुल्फिकार खां,(जिसने उसे मुगल सत्ता दिलवान में उसकी मद्द की थी )के हाथों की कठपुतली था। उसके शासनकाल के सभी महत्वपूर्ण फैसले जुल्फिकार खां लेता था, उसकी विफल नीतियों के चलते धीमे-धीमे मुगल वंश की नींव कमजोर होती चली गईं और बाद में यही मुगल वंश के पतन का मुख्य कारण बनी।
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फर्रुख्शियार(11 जनवरी 1713 – 28 फ़रवरी 1719 )
पूरा नाम | अब्बुल मुज़फ्फरुद्दीन मुहम्मद शाह फर्रुख़ सियर |
जन्म | 20 अगस्त, 1685,औरंगाबाद, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 28 अप्रॅल, 1719, दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य |
माता/पिता | साहिबा निस्वान/अजीमुश्शान |
1713 में मुगल वंश का शासक बनने के बाद ही फर्रुख्शियार ने जुल्फिकार खां की हत्या करवा दी। इसके साथही उसके ही शासनकाल में सिक्ख नेता बन्दा सिंह को उसके 740 समर्थकों के साथ बन्दी बना लिया था और बाद में इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं करने पर उसकी निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी।
1717 में फर्रुख्शियार ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल के लिए मुफ्त व्यापार करने का अधिकार दिया, जिसके बाद से ही अंग्रेज भारत में मजबूती से पैर जमाने लगे थे, जबकि दूसरी तरफ मुगल वंश पतन के मुहाने पर खड़ा था।
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मुहम्मद शाह ( 27 सितम्बर 1719 – 26 अप्रैल 1748 )
पूरा नाम | अबु अल-फतह रोशन अख्तर नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह (हुमायूं ) |
माता/पिता | क़ुदसिया बेगम/खुजिस्ता अख्तर जहान शाह |
पत्नियां | बादशाह बेगम मल्लिका-उज़-ज़मानी,उधमबाई |
बच्चे | अहमद शाह बहादुर |
मोहम्मद शाह को मोहम्मद शाह रंगीला के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इन्हें नाच-गाने का भी काफी शौक था। मोहम्मद शाह के शासनकाल में साल 1739 में नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण कर दिल्ली में लूटपाट मचाई थी।
मोहम्मद शाह के शासनकाल के समय कई विदेशी शक्तियों ने भारत में अपने पैर पसार लिए थे, जिससे मुगल वंश का पतन होना तय हो गया था। इस तरह मोहम्मद शाह, मुगल वंश के एक कमजोर शासक के रुप में उभरे।
अहमद शाह बहादुर ( 26 अप्रैल 1748 – 2 जून 1754 )
- मुगल सल्लतनत पर करीब 6 साल तक अहमद शाह बहादुर ने शासन किया था। उसके शासनकाल में राज्य का कामकाज महिलाओं और हिजड़ों के एक गिरोह के हाथों में था।
- अहमद शाह बहादुर एक अयोग्य एवं अय्याश शासक था, जिसमें प्रशासनिक क्षमता न के बराबर थी। उसकी मूर्खतापूर्ण फैसलों से न सिर्फ मुगल अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर हो गई, बल्कि भारत पर अफगान हमलों का खतरा भी बढ़ गया।
आलमगीर द्वितीय (2 जून 1754 – 29 नवम्बर 1759 )
- पूरा नाम – अज़ीज़ उद-दीन आलमगीर द्वितीय
- जन्म – 6 जून, 1699, मुल्तान, मुग़ल साम्राज्य
- पिता का नाम – जहांदार शाह
- शासनकाल – 1754 से 1759 तक
- मृत्यु – 29 नवम्बर, 1759, कोटला फतेहशाह, मुग़ल साम्राज्य
बहादुर अहमदशाह को गद्दी से निस्काषित करने के बाद आलमगीर द्धितीय मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था। यह एक कमजोर प्रशासक था, जिसे सत्ता चलाने का कोई खासा अनुभव नहीं था। आलमगीर द्धितीय अपने वजीर गाजीउद्दीन इमादुलमुल्क के इशारों पर काम करता था, हालांकि 1759में उसकी वजीर गाजीउद्दीन ने ही उसकी हत्या करवा दी थी।
आलमगीर द्धितीय के शासनकाल में ही 1756 में अहमदशाह अब्दाली ने चौथीबार भारत में आक्रमण किया था और दिल्ली में काफी लूटपाट की थी, सिंध पर कब्जा कर लिया था।
इसके साथ ही साल 1758 ईसवी में मराठों ने दिल्ली पर चढ़ाई की वहीं आलमगीर द्धितीय इन सभी घटनाओं को मूकदर्शक बनकर देखता रहा। इससे पहले 1757 में हुए प्लासी के युद्द में ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत के बाद से भारत में अंग्रेजों की स्थिति मजबूत होती चली गई और मुगल पतन के मुहाने पर पहुंच गए।
शाहआलम द्वितीय ( 24 दिसम्बर 1759– 19 नवम्बर 1806 )
- पूरा नाम – अब्दुल्लाह जलाल उद-दीन अब्दुल मुज़फ़्फ़र हम उद-दीन मुहम्मद अली गौहर शाह-ए-आलम द्वितीय
- जन्म – 25 जून, 1728, शाहजहाँनाबाद, मुग़ल साम्राज्य
- पिता/माता – जीनत महल/आलमगीर द्वितीय
- शासनकाल – 1759-1806
- मृत्यु – 19 नवम्बर, 1806
शाह आलम द्वितीय 1759 में आलमगीर द्धितीय के उत्तराधिकारी के रुप में मुगल सिंहासन की गद्दी पर बैठा था। बादशाह शाहआलम द्धितीय ने अपने शासनकाल में ईस्ट इंडिया कंपनी से इलाहाबाद की संधि कर ली थी और इस संधि के मुताबिक वह ईस्ट इंडिया कंपनी से मिली पेंशन पर अपना जीवन-यापन करता था।
शाह आलम द्धितीय के शासनकाल के दौरान ही अहमद-शाह-अब्दाली ने आक्रमण किया था। ऐसा माना जाता है कि शाह आलम द्धितीय का शासनकाल भारतीय इतिहास का सबसे संकटग्रस्टकाल रहा है। इस समय ईस्ट इंडिया कंपनी भारत के बंगाल, बिहार, उड़ीसा समेत कई राज्यों पर अपना प्रभुत्व जमा चुकी थी और मुगलों की शक्ति पूरी तरह कमजोर पड़ चुकी थी।
अकबर शाह द्वितीय (19 नवम्बर 1806 – 28 सितम्बर 1837)
- पूरा नाम – अबु नासिर मुईन उद-दिन मुहम्मद अकबर शाह दिव्तीय
- जन्म – 22 अप्रैल, 1760, मुकुंदपुर, मुग़ल साम्राज्य
- मृत्यु तिथि – 28 सितम्बर, 1837, दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य
- माता/पिता – क़दसियाबेगल/ शाहआलम द्वितीय
अकबर शाह द्धितीय मुगल वंश का 18वां सम्राट था, जिसने करीब 31 साल मुगल सत्ता पर राज किया था। हालांकि, उसके शासनकाल में मुगलकाल का सबसे कठिन दौर चल रहा था, उस समय मुगल पूरी तरह कमजोर पड़ गए थे एवं उन्हें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सहारे अपना जीवनयापन करना पड़ रहा था।
अकबर शाह द्धितीय भी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की मद्द से अपना गुजर – बसर कर रहा था, और वह महज नाम मात्र का शासक था।
बहादुर शाह ज़फ़र (28 सितम्बर 1837 – 14 सितम्बर 1857)
- पूरा नाम – अबु ज़फ़र सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह ज़फ़र
- अन्य नाम – बहादुरशाह द्वितीय
- जन्म – 24 अक्तूबर सन् 1775, दिल्ली
- मृत्यु तिथि – 7 नवंबर, 1862, रंगून, बर्मा
- माता/पिता – लालबाई/अकबर शाह द्वितीय और
- शासन काल – 28 सितंबर 1837-14 सितंबर 1857
बहादुर शाह ज़फर मुग़ल वंश के अंतिम शासक थे। इन्होंने आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम तक अपना शासन किया।
बहादुर शाह जफर ने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए उनके खिलाफ विद्रोह किया। हालांकि,अपने शासनकाल में उनके पास वास्तविक शक्तियां नहीं थी, वह अंग्रेजों पर आश्रित थे। 1857 में अंग्रेजों से हार के बाद उन्हें म्यांमार में भेज दिया जहां 1862 में उनकी मृत्यु हो गई, और इसी के साथ सदियों तक भारत पर राज कर चुके मुगलों का अंत हो गया।
मुगल राजवंश की वंशावली – Mughal Empire Family Tree
१. प्रथम मुगल शासक – झहीरुद्दिन बाबर बाबर की संताने
- फख्र उन्निसा बेगम – पुत्री
- मासुमा सुलताना बेगम – पुत्री
- अस्कारी मिर्झा – पुत्र
- कामरान मिर्झा – पुत्र
- हिंदाल मिर्झा – पुत्र
- गुलबदन बेगम – पुत्री
- मेहर जान बेगम – पुत्री
- ऐसान दौलत बेगम – पुत्री
- हुमायु – (बाबर के बाद मुगल वंश का शासक बनने वाला बाबर का पुत्र)
- बाबूल मिर्झा – पुत्र
२. द्वितीय मुगल शासक – हुमायु हुमायु की संताने
- अल अमान -पुत्र
- अब्द अल फतह जलालुद्दिन मोहम्मद ‘अकबर’ (हुमायु का पुत्र और उसके बाद का मुगल वंश का शासक)
- बक्षी बानो बेगम – पुत्री
- अकीकाह बेगम -पुत्री
- बख्त अल निसा बेगम – पुत्री
- मिर्झा मोहम्मद हकीम – पुत्र
३. तृतीय मुगल शासक – जलालुद्दिन मोहम्मद अकबर अकबर की संताने
- हसन – पुत्र
- हुसैन – पुत्र
- शहझादा खानम – पुत्री
- सुलतान सलीम नूर अलदिन ‘जहांगीर’- (अकबर का पुत्र एवं उसके बाद का मुगल शासक)
- शाह मुराद – पुत्र
- दानियाल – पुत्र
- आरम बानू बेगम – पुत्री
- शक्र अलनिस्सा बेगम – पुत्री
मुगल शासन का चतुर्थ शासक – जहांगीर जहांगीर की संताने
- परवेझ – पुत्र
- खुसरौ – पुत्र
- बहार बानो बेगम – पुत्री
- सुलतान अल निस्सा बेगम – पुत्री
- खुर्रम शिहाब अल दिन ‘शाहजहान’- (जहांगीर का पुत्र एवं उसके बाद का मुगल शासक)
- शहर्रीयार – पुत्र
- जाहंदर – पुत्र
५. मुगल शासन का पाचवा शासक – शाहजहान शाहजहान की संताने
- दारा शिकोह – पुत्र
- जहा आरा बेगम – पुत्री
- शाह सुजा
- रौशन आरा बेगम – पुत्री
- मुह्यी अल दिन मोहम्मद आलमगीर ‘औरंगजेब’ – (शाहजहान का पुत्र तथा उसके बाद का मुगल शासक)
- मुराद बक्ष – पुत्र
- कुद्दैय्याह – पुत्र
- गौहर आरा बेगम – पुत्री
६. मुगल शासन का छठा सुलतान – आलमगीर ‘औरंगजेब’ औरंगजेब की संताने
- झेबुन्निसा – पुत्री
- झीनत उन्निसा – पुत्री
- मोहम्मद सुलतान – पुत्री
- मोहम्मद मुअझ्झम बहादूर शाह आलम -(औरंगजेब का पुत्र एवं उसके बाद का मुगल शासक)
- बद्र उन्निसा बेगम – पुत्री
- जुबादत उन्निसा बेगम – पुत्री
- मोहम्मद अकबर- पुत्र
- मोहम्मद आझम शाह – पुत्र
- मिहीर उन्निसा – पुत्री
- मोहम्मद कामबक्ष – पुत्र
७. मुगल वंश का सातवा शासक – बहादूर शाह आलम/बहादूर शाह प्रथम बहादूर शाह आलम की संताने
- जाहंदर शाह – (बहादूर शाह प्रथम का पुत्र एवं उसके बाद का मुगल शासक)
- अझ्झ अल दिन -पुत्र
- मोहम्मद अझीम -पुत्र
- दौलत अफ्झा -पुत्र
- रफी अल शन/रफी अल कद्र – पुत्र
- जहान शाह – पुत्र
- मोहम्मद हुमायु
८. मुगल शासन का आठवा शासक – फर्रुख्शीयार (मोहम्मद अझीम का पुत्र) फर्रुख्शीयार की संताने
- आलमगीर द्वितीय – पुत्र
९. मुगल शासन का नववा शासक – मोहम्मद शाह (जहान शाह का पुत्र) मोहम्मद शाह की संताने
- अहमद शाह बहादूर – पुत्र ( मोहम्मद शाह के बाद का मुगल शासक)
१०. मुगल शासन का दसवा शासक – अहमद शाह बहादूर (मोहम्मद शाह का पुत्र)
११. मुगल शासन का अकरावा शासक – आलमगीर द्वितीय( फर्रुख्शीयार का पुत्र)
१२. मुगल शासन का बारवा शासक – शाह आलम द्वितीय ( आलमगीर द्वितीय का पुत्र)
१३. मुगल शासन का तेरहवा शासक – अकबर शाह द्वितीय (शाह आलम द्वितीय का पुत्र)
१४. मुगल शासन का चौदहवा शासक – बहादूर शाह जफर (अकबर शाह द्वितीय का पुत्र एवं अंतिम मुगल शासक)
मुगल साम्राज्य के बारे मे महत्वपूर्ण रोचक तथ्य – Mughal Empire Facts
- मुगल शासक शाहजहान जिसकी ख्याती दुनियाभर मे कलाप्रेमी के तौर पर इतिहास मे मौजूद है, जिसने ना केवल शिल्पकला और भव्य स्मारक निर्मित किये थे, बल्की उस जमाने मे अनमोल हिरे और रत्नो से बना सुंदर सिंहासन भी उसने खुद्के लिये बनाया था। इस खास सिंहासन का नाम तख्त-ए-ताउस था ताउस एक अरबी शब्द है जिसका मतलब मोर या मयूर होता है, शाहजहान इसे मयूर सिंहासन संबोधित करता था जिसकी सुंदरता ताजमहाल से कम नही थी। पर क्रूर आक्रांता नादिर शाह के आक्रमण मे दिल्ली को लुटा गया जिसमे इस मयूर सिंहासन को दिल्ली से इराण ले जाया गया था। नादिर शाह की इराण मे हत्या के बाद से ये सिंहासन अभी तक पहेली बना हुआ है और ये खुलासा नही हो पाया के उसके बाद ये किसके पास है।
- भारतीय इतिहास के पन्नो मे महान शासक अकबर के समय के शासन की सराहना की जाती है।जिसमे अकबर को कुशल राजा और भाईचारा कायम कर अमन पसंद शासक माना जाता है, पर क्या आप जानते है के अकबर एक विचित्र बिमारी से ग्रासित था जिसमे उसे पढने लिखने मे काफी दिक्कते आती थी। यु कहे तो इतिहासकारो के मत तथा ऐतेहासिक प्रमाणो के मुताबित अकबर एक अनपढ व्यक्ती थे जिन्हे डिस्लेक्सिया यानी पढने लिखने मे समस्या की बिमारी थी। अबुल फजल के आईन-ए-अकबरी मे भी इस बात का जिक्र किया हुआ है।
- अनमोल कोहिनूर हिरा एक वक्त तक मुगल साम्राज्य के अधीन था जिसे मुगल शासक सर के उपर ताज मे इस्तेमाल किया करते थे। परंतु नादिर शाह के लुट ने इस बेशकिमती हिरे को भी भारत से लुटकर इराण ले जाया गया था और फिर इराण के राजासे ये अंग्रेजो को मिला जो आज तक उनके ही अधीन है।
- बाबर का पुत्र हुमायु दुसरा मुगल शासक बना, जिसको अफीम और नशेबाजी की बहुत ज्यादा आदत थी। इस नशेखोरी मे ही हुमायु को शेरशाह सुरी से पराजय का सामना करना पडा था तथा प्रबल शासक शेरशाह सुरी के वर्चस्व के वजह से जीवन के कई साल अज्ञातवास जैसे गुजारने पडे थे।हालाकि शेरशाह सुरी के मृत्यू के पश्चात पुनः दिल्ली पर मुगल शासक हुमायु का साम्राज्य स्थापित हुआ था।
- मुगल साम्राज्य का सबसे अधिक शासन करने वाला शासक औरंगजेब था, जिसने सत्ता को हासिल करने हेतू अपने ही तीन भाईयो की हत्या कर दी थी। औरंगजेब को सबसे कडवा प्रतिकार मराठो द्वारा मिला था, जिसमे मराठा शासन को पूर्णतः नष्ट करने के उद्देश्य से मुगल शासन की राजधानी को दिल्ली से बदलकर महाराष्ट्र के मराठवाडा मे स्थलांतरीत किया गया था। यहा औरंगजेब ने खुद्के नाम से राजधानी हेतू जिस शहर को चुना था उसे हाल फिलहाल औरंगाबाद कहा जाता है।
- मुगल शासन मे राजनीतिक तौर पर देखे तो अकबर के कालखंड मे सबसे अधिक सैन्य रचना, प्रदेशो की रचना तथा चलन मे काफी सारी बदलाव दिखाई पडते है, जिसे इतिहास के दृष्टी से देखे तो अकबर दूर दृष्टी वाला शासक नजर आता है। अकबर के समय धर्म भेद और धार्मिक कलह इत्यादी जैसी बाते देखने को नही मिलती,जिस मे हिंदूओ को तीर्थयात्रा पर लगने वाला कर भी माफ किया गया था।वही महान संत तुलसीदास और भक्ती पंथ के महान साधु संत भी इस दौर मे हुये थे। अकबर के दरबार को नव रत्नो का दरबार कहा जाता है जिसमे बिरबल,तोडरमल,तानसेन इत्यादी शामिल थे।
- भारत के इतिहास मे गुप्त साम्राज्य और मुगल शासक शाहजहान के साम्राज्य को स्वर्णिम युग कहा जाता है, जिसमे अनेक सुंदर वास्तुओ के साथ कला के एक से एक नमुने स्थापित किये गये। जिसे आज भी हम देख सकते है और उस समय काल की कारागिरी को प्रत्यक्ष अनुभव भी कर पाते है।
- लगभग ३३१ साल तक भारत पर शासन करनेवाले मुगल शासन का सबसे अधिक विस्तार अकबर, औरंगजेब के शासन मे हुआ जिसमे तात्विक दृष्टी से देखे तो इन दोनो शासको की विचार प्रणाली एक दुसरे से काफी अलग दिखाई पडती है। औरंगजेब एक कट्टर धार्मिक शासक था वही अकबर सहिष्णुता से शासन करनेवाला शासक सिद्ध हुआ।
इस प्रकार से अबतक आपने मुगल शासन के बारे मे कुछ रोचक तथ्यो को पढा जिसमे आपको जरूर कुछ नई जानकारी भी मिली होगी।आशा करते है इस जानकारी को पढकर आपको काफी आनंद आया होगा, हमसे जुडे रहने के लिये धन्यवाद।
मुगल साम्राज्य के बारेमें अधिकतर बार पुछे जाने वाले सवाल – Quiz Questions on Mughal Empire
- मुगल शासन से संबंधित इतिहास के जानकारी हेतू कौनसी किताबे उपलब्ध है?(Books related to mughal empire history)
जवाब :- द मुगल एम्पायर – जॉन रिचर्ड, द ग्रेट मुगल एंड देअर इंडिया – डर्क कोलायर, आईन ए अकबरी – अबुल फजल, द लास्ट मुगल – विलिंअम डेर्लेअमप्ल, द मुगल स्टेट १५२६- १७५०, अ शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द मुगल एम्पायर – मायकेल फिशर इत्यादी।
- मुगल साम्राज्य का कुल समय कितना था?भारत मे मुगल शासन कबसे कब तक था?( Mughal empire timeline)
जवाब :- इसवी सन १५२६ से लेकर इसवी सन १८५७ तक भारत मे मुगल शासन स्थापित था जिसका कुल समय काल ३३१ साल का होता है।
- साहित्य के किन उपलब्ध स्त्रोतो से हमे मुगल साम्राज्य के बारे मे जानकारी हासिल होती है?(Literary sources of mughal empire)
जवाब :- बाबर की जीवनी ‘तुझुक-इ- बाबरी’ , अकबर की जीवनी ‘आईन-इ-अकबरी’जिसे अबुल फजल ने लिखा था, मुल्ला दौड द्वारा लिखित ‘तारिख-इ- अल्फी’, अबुल फजल द्वारा लिखित ‘अकबरनामा’, अब्दुल कादिर बदायुनी द्वारा लिखित ‘मुंतखब- उल-तवारीख’, ‘पादशाहनामा’जिसे अब्दुल हामिद लाहोरी ने लिखा है, इसके अलावा मिर्झा मोहम्मद काझीम द्वारा लिखित ‘आलमगीरनामा’ तथा इनायत खान द्वारा लिखित ‘शाहजहाननामा’ इत्यादी साहित्य स्त्रोतो से हमे तत्कालीन मुगल साम्राज्य के बारे मे जानकारी हासिल होती है।
- पुरातत्व संशोधन के उपलब्ध किन स्त्रोतो से हमे तत्कालीन मुगल साम्राज्य के बारे मे जानकारी मिल पाती है?(Archaeological sources of mughal empire)
जवाब :- मुगल साम्राज्य मे वास्तुकला,चित्रकला और साहित्य इत्यादी पर काफी कार्य किया गया जिसमे कुछ वास्तूए सफेद संगमरवर से तो कुछ जगह पर लाल बलुआ पत्थर भी उपयोग मे लाया गया।जैसे के आग्रा का ताजमहाल, दिल्ली का लाल किला, इसके अलावा जामा मस्जिद, मोती मस्जिद, लाहोर किला, बिबी का मकबरा, जहांगीर का सिंहासन, और मुगल शासको के विभिन्न मकबरे आदि से तत्कालीन समय के शासन की काफी जानकारी प्राप्त होती है। मुगल शासन के दौरान उपयोग मे लाये गये शस्त्र और चलन प्रणाली से भी हमे उनके साम्राज्य की जानकारी हासिल हो जाती है जिसकी पुष्टि तत्कालीन साहित्यकारो द्वारा लिखित ग्रंथो और रचनाओ से होती है। तत्कालीन चित्रकला,वास्तुकला और साहित्य के स्त्रोत पुरातत्व के वो प्रमुख स्त्रोत है जिनसे आज भी हम उस दौर की काफी ज्यादा जानकारी को प्राप्त कर सकते है।
- मुगलकालीन वास्तुरचना और मुर्तीरचना पद्धती किस प्रकार की होती थी?इसमे किस तत्कालीन समय के कलापद्धती का प्रभाव दिखता है?(Sculpture of mughal period)
जवाब :- प्राचीन भारत मे गुप्त साम्राज्य और उससे पहले मंदिर और मूर्ती रचना मे सबसे ज्यादा दक्षिण भारत के द्रविड शैली के मंदिर पद्धती की झलक और प्रभाव था।इसमे उस समय के बुध्द और अन्य धार्मिक मुर्तियो मे इसका प्रभाव था, पर मुगल कालीन वास्तू और मूर्ती रचना मे इंडो इस्लामिक तथा पर्सिंयन कला आविष्कार का प्रभाव साफ झलकता है जिसमे भव्य ऊचे स्तंभ, मिनार, भव्य प्रवेशद्वार, मकबरे आदी शामिल हुये।सुंदर नकाशी और चित्र शैली भी इसमे अधिकता से शामिल होने लगी थी, स्मारक या मकबरो का निर्माण भी अच्छी गुणवत्ता के पत्थर और अन्य सामग्री से बने हुये नजर आते है।
Isee tarh or bhi answer dete rahiye
This is my favourite subject it so interesting
Mind blowing
Muje bahut acha lga so history ke bare me or Janna chahti hu