मुहम्मद पैगंबर मुस्लिम धर्म के नबी | Mohammad Paigambar history

Mohammad Paigambar – मुहम्मद पैगंबर मुस्लिम धर्म के नबी और संस्थापक थे। इस्लामिक सिद्धांतो के अनुसार, वे अल्लाह के दूत थे, जिन्हें समाज में एकेश्वरवाद का प्रचार करने भेजा गया था, जिसे उनसे पहले अब्राहम, आदम, जीसस, मोसेस और दुसरे नबियो ने भी पूरा किया।

इस्लाम धर्म में वे अल्लाह द्वारा भेजे गये अंतिम दूत के माने जाते है। मुहम्मद पैगंबर जी ने मुस्लिम को एकत्र किया और लोगो को कुरान, शिक्षा और ज्ञान के माध्यम से इस्लाम पर के प्रति भरोसा दिलाया।

Mohammad Paigambar

मुहम्मद पैगंबर प्रारंभिक जीवनी | Mohammad Paigambar history

उनका जन्म तक़रीबन 570 CE में मक्का के अरेबियन शहर में हुआ था, अल्पायु में ही मुहम्मद अनाथ हो चुके थे। अनाथ होने के बाद उनकी देखभाल उनके चाचा अबू तालिब ने की थी। इसके बाद समय के साथ-साथ उन्होंने समाज को भी छोड़ दिया और हिरा नाम की पर्वत गुफा में जाकर कई रातो तक दुआ करते रहे।

बाद में 40 साल की उम्र में कहा जाता है की गुफा में उनसे मिलने गब्रिअल आए थे, जहाँ उन्होंने बताया था की उन्हें तभी अल्लाह् का पहला रहस्य ज्ञात हुआ था। तीन साल बाद, 610 CE में, मुहम्मद ने इस रहस्य को समाज में पहुचाने का काम किया और “अल्लाह् एक ही है” इसका प्रचार करने लगे और तभी से लोग उन्हें अल्लाह द्वारा भेजा गया दूत कहने लगे थे, इस्लाम धर्म में उन्हें भगवान का ही दर्जा दिया जाता है।

दुआ करने के बाद जल्द ही मुहम्मद को अपने कुछ अनुयायी मिल चुके थे लेकीन मक्का के कुछ कस्बो से उन्हें नफरत का सामना भी करना पड़ा था। 622 CE में उत्पीडना से बचने के लिये, मुहम्मद ने अपने कुछ अनुयायियों को मक्का से मदीना स्थानांतरित होने से पहले एबीसीनिया भेज दिया था। इसी घटना को इस्लामिक कैलेंडर की शुरुवात भी माना जाता है, साथ ही इसे हिजरी कैलेंडर का भी नाम दिया गया था।

मदीना में मुहम्मद ने सभी जनजाति को मदीना के संविधान के तहत एकत्रित किया। इसके बाद दिसम्बर 629 में, मुहम्मद ने तक़रीबन 10,000 मुस्लिम लोगो की सेना जमा की और मक्का में जाकर जुलुस निकाला।

632 CE में विदाई तीर्थयात्रा से वापिस आने के बाद वे बीमार पड़े और उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी मृत्यु से पहले अरेबियन पेनिनसुला का ज्यादातर भाग इस्लामिक जाती में परिवर्तित हो चूका था।

कुरान :

कुरान इस्लाम धर्म का धार्मिक ग्रंथ है। मुस्लिम जनजाति के अनुसार इसका एक-एक शब्द अल्लाह का शब्द है जिसे गब्रिअल से लेकर मुहम्मद ने लोगो तक पहुचाया। कुरान में हमें मुहम्मद की कालानुक्रमिक जीवनी का वर्णन बहुत कम देखने मिलता है। जबकि कुरान में वर्णित बहुत से छंदों का हमें कोई इतिहासिक जोड़ नही दिखाई देता है।

कुरान में पाए जाने वाले नाम और पदवी

मुहम्मद शब्द का अर्थ “सराहनीय” है और यह शब्द कुरान में कुल चार बार आया है। कुरान में मुहम्मद को बहुत सी पदवियो से नवाजा गया है, जिनमे मुख्य रूप से नबी, अल्लाह का गुलाम, दूत, बशीर, मुबश्शिर, शहीद, नाथिर, नूर, मुधाक्किर, और सिरजमुनिर शामिल है। कई बार मुहम्मद को अलग-अलग जगहों पर उनकी पदवियो से भी नवाजा गया है, जैसे की कुरान के 73:1 में उन्हें अल-मुज्ज़म्मिल और कुरान 74:1 में उन्हें अल-मुद्दथ्थिर से नाम से संबोधित किया गया है।

सूरा अल-अहज़ाब 33:40 में मुहम्मद को “नबी की मुहर” कहा गया था क्योकि मुस्लिम धारणाओ के अनुसार मुहम्मद इस्लाम धर्म के अंतिम नबी थे। कुरान में भी मुहम्मद को अहमद की तरह ही नवाजा गया है और उन्हें “सराहनीय” कहा गया है।

मुहम्मद पैगंबर की मृत्यु और मकबरा :

विदाई तीर्थयात्रा के कुछ महीनो बाद ही मुहम्मद बीमार पड़ गये और बहुत दिनों तक बीमारी से पीड़ित रहे। 8 जून 632 को 62 या 63 साल की उम्र में मदीना में उनकी मृत्यु हुई थी। मरने से पहले उन्होंने अपने अंतिम शब्द कहे, उनके अंतिम शब्द थे :

“ओह अल्लाह, अर-रफ़ीक अल-अल्ला”

– मुहम्मद

अर-रफ़ीक अल-अल्ला शायद अल्लाह को दर्शाता है। उन्हें उनके मृत्यु वाली जगह पर ही दफनाया गया था। उमय्यद कालिफ अल वालिद, अल-मस्जिद अन-नबावी (नबियो की मस्जिद) के शासनकाल के समय मुहम्मद के मकबरे का विस्तार किया गया। मकबरे के उपर के हरे गुंबद का निर्माण 13 वी शताब्दी में मामलुक सुल्तान अल मंसूर कालवून ने करवाया था, हालाँकि उसपर हरा रंग 16 वी शताब्दी में ओटोमन सुल्तान सुलेमान के शासनकाल में चढ़ाया गया था।

मकबरे से सटी हुई दो मीनारे भी है जो उनके दो साथी और पहले दो खलीफा अबू बकर और उमर को दर्शाती है। जब बिन सूद ने 1805 में मदीना को अपने कब्जे में कर लिया था तब मुहम्मद के मकबरे से सारा सोना और आभूषण चुरा लिये गये थे। अनुयायियों से वहाबी तक सूद के अनुयायियों ने मदीना में बने लगभग सभी मकबरों को ख़त्म कर दिया था। लेकिन कहा जाता है की सूद ने मुहम्मद के मकबरे को ऐसे ही छोड़ दिया था।

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6 COMMENTS

  1. Yes ofcourse we people in world especially Muslims know Allah JS through our esteemed beloved Prophet Muhammad PBUH. Hazrat Muhammad PBUH and holy QURAN is hundred percent guide for whole the world. Lakhoo kurodoo duroodo salam unpur

    • Thank you for your wonderful comment. Muhammad was the founder of Islam. According to Islamic doctrine, he was a prophet, sent to present and confirm the monotheistic teachings preached previously by Adam, Abraham, Moses, Jesus, and other prophets.

  2. Hazrat Mohammad (S.S.) and the Qur’an are the guide of all the people of the world. Not only are Muslims.

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