Michael Phelps
Michael Phelps – माइकल फेल्प्स अमेरिका देश के एक ऐसे तैराक जिन्होंने अपने जज्बे एवं जुनून के दम पर वो कर दिखाया जिसने हर इंसान के लिए यह मिशाल कायम कर दी की यदि इंसान अपने मन मे कुछ करने को ठान ले तो दुनिया की कोई भी ताकत इंसान को वो काम करने से रोक नही सकती।
माइकल फेल्प्स ने खेल की दुनिया मे एक नया इतिहास कायम किया है। उन्होंने खुद को स्विमिंग का बादशाह साबित कर दिया है। यही नही माइकल ने अपने जज्बे के दम पर खुद को ओलंपिक के अब तक का सबसे महान खिलाड़ी साबित किया है।
माइकल फेल्प्स का नाम ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों में दर्ज है। इनके नाम पर कुल 83 मेडल दर्ज है। इनमे से 28 मेडल ऐसे हैं जिसे इन्होंने ओलंपिक में जीता है और इससे भी बड़ी बात यह है कि इन 28 मेडल में से 23 मेडल गोल्ड मेडल हैं। कई देश ऐसे है जहाँ के सारे खिलाड़ियो ने मिलकर भी इतना मेडल नही जीता है।
अगर भारत की बात की जाए तो यहाँ पर सन 1900 से लेकर अब तक जीते गए कुल मेडलों की संख्या 28 है जिनमे से केवल 9 मेडल ही गोल्ड मेडल हैं। इस बात से फ्लेप्स की कामयाबी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल जीतने वाले “गोल्डन बॉय” माइकल फेल्प्स – Michael Phelps
माइकल फेल्प्स का प्रारंभिक जीवन – Early Life of Michael Phelps
माइकल फेल्प्स का जन्म 30 जून 1985 को अमेरिका के बाल्टीमोर के मैरीलैंड में हुआ था। फ्लेप्स के माताजी एक अध्यापिका हैं। इनके पिताजी का स्पोर्ट्स से काफी लगाव है। 7 साल की छोटी सी उम्र में ही फ्लेप्स अपनी दो बड़ी बहनों के साथ तैराकी सीखने जाने लगे थे।
हालांकि शुरुआती दौर में माइकल को पानी से काफी डर लगता था, खास तौर पर वो सिर पर पानी डालने से बहुत डरते थे। इसी वजह से उनके स्विमिंग कोच ने उन्हें पीठ के तरफ से तैरने को कहा। शुरुआत में फ्लेप्स तैराकी बस शौक के तौर पर सीखने जाते थे।
तैराकी के क्षेत्र में फ्लेप्स का करिअर – Michael Phelps Swimming Career
सन 1996 में जब फ्लेप्स मात्र 11 वर्ष के थे तब उन्हें अटलांटा में आयोजित हो रहे ओलंपिक मैच को देखने का मौका मिला। इसी दौरान फ्लेप्स ने जब टॉम माल्को और टॉम डोलन की बेहतरीन तैराकी को देखा, तब फ्लेप्स के मन मे भी तैराकी के क्षेत्र में रुझान पैदा हुआ। जिसके बाद ही फ्लेप्स ने तैराकी के क्षेत्र में अपना नाम बनाने का फैसला किया।
जब फ्लेप्स तैराकी का अभ्यास किया करते थे उस दौरान ही कोच बॉब बोमन की पारखी नजर फ्लेप्स पर पड़ी और कोच बोमन ने फ्लेप्स के शारीरिक आकार अर्थात लम्बे हाँथ, पैर जो कि तैरने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, को देखकर फ्लेप्स को ट्रेनिंग देने का फैसला किया।
बोमन को फ्लेप्स के अंदर छुपी मेहनत करने एवं किसी भी लक्ष्य को हासिल कर लेने की जो उत्सुकता थी, उसने बहुत प्रभावित किया। और इसीलिए बोमन ने फ्लेप्स को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया।
इसका परिणाम यह हुआ कि मात्र 15 साल की उम्र में ही सन 2000 में फ्लेप्स को अमेरिकी टीम में शामिल कर लिया गया। साथ ही इन्हें सिडनी में आयोजित की गई ओलंपिक स्पर्धा में प्रदर्शन करने का मौका भी मिला। हालांकि इसमें उन्हें कोई पदक नही मिला। बस निराशा ही हाँथ लगी।
परन्तु फ्लेप्स ने निराश होने के बजाय इस हार से सबक लेने का फैसला किया। और अपनी त्रुटियों को दूर करके, दुगनी मेहनत से खुद को तैयार करने में लग गए। जिसका परिणाम यह हुआ कि इस खेल के एक वर्ष बाद ही इन्होंने 200 मीटर बटरफ्लाई में विश्व रिकॉर्ड कायम किया। इसके बाद से ही इनका जीत का सिलसिला शुरू हो गया।
माइकल फेल्प्स के जीवन से जुड़ी खास घटना – A special event related to the lives of Michael Phelps
जैसा कि हम सब जानते हैं कि साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक में माइकल फेल्प्स ने कुल 8 स्वर्णपदक अपने नाम करके एक विश्वरिकार्ड कायम किया था। पर ये कम ही लोग जानते हैं कि इस जीत के 2 वर्ष पहले फ्लेप्स के हांथो में फ्रैक्चर हो गया था, जिसकी वजह से डॉक्टरों ने यह कह दिया था कि वे आगे से तैराकी नही कर पाएंगे।
डॉक्टर ने यह भी बताया कि यदि फ्लेप्स का हाँथ पूरी तरह से ठीक भी हो जाता है तब भी उसमे पहले जैसी ताकत नही रहेगी। यह एक ऐसा समय था जब कोई इंसान वक्त के आगे अपने घुटने टेक देता परन्तु ऐसी मुश्किल घड़ी में भी फ्लेप्स ने अपना हौसला नही छोड़ा और उन्होंने अपने जीवन का जो लक्ष्य निर्धारित किया था उससे पीछे नही हटे।
फ्लेप्स ने यह फैसला किया कि वह तैराकी से अपना कदम पीछे नही हटाएंगे। इसके लिए उन्होंने यह निर्धारित किया कि वह अपने हांथो से अधिक पैरों का इस्तेमाल तैराकी के लिए करेंगे।
फ्लेप्स का यही हौसला था जिसने 2008 की बीजिंग ओलंपिक में इतिहास रचने में उनकी मदद की और परिणाम आज हम सबके सामने है।
माइकल फेल्प्स द्वारा अर्जित की गई उपलब्धियां – Achievements earned by Michael Phelps
माइकल फेल्प्स ने अपना नाम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तैराक के रूप में प्रसिद्ध किया है। यह विश्व के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने ओलंपिक में 28 पदक जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। इनसे पहले किसी भी खिलाड़ी ने इतने पदक नही जीते हैं। ओलम्पिक में 23 स्वर्णपदक जीतने का रिकॉर्ड भी फेल्प्स ने अपने नाम पर दर्ज कर लिया है। इसके अलावा एक ही ओलम्पिक में 8 स्वर्णपदक जीतने वाले फ्लेप्स विश्व के एकमात्र खिलाड़ी हैं।
माइकल फेल्प्स ने जिस तरह से विपरीत परिस्थितियों को हराकर इतिहास के पन्नो में अपना नाम दर्ज कराया है वह दुनिया के हर युवा के लिए एक मिसाल है। हम सबको इनसे प्रेरणा लेकर सदैव अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अग्रसर रहना चाहिए।
माइकल फेल्प्स के जीवन से हमे यह सीख मिलती है कि यदि इंसान अपने मन मे किसी बात का दृढ़ निश्चय कर लेता है तो परिस्थितियां कैसी भी हो इंसान को आगे बढ़ने से नही रोक सकती हैं।
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