मेघालय राज्य का इतिहास | Meghalaya History information

Meghalaya – मेघालय उर्फ़ मेघ बादल, भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का एक निराला लेकिन छोटा राज्य है।लेकिन भारत के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक बना। जीवंत संस्कृति, महान दर्शनीय सुन्दरता, परंपरा और शांति के साथ राज्य में बहुत से आकर्षित करने वाली चीजे है, जो लाखो पर्यटकों को आकर्षित करती है।

Meghalaya

मेघालय राज्य का इतिहास – Meghalaya History information

असम राज्य के दो जिले : दी यूनाइटेड खासी हिल्स और जैंतिया हिल्स और गारो हिल्स को विभाजित कर 21 जनवरी 1972 को मेघालय का गठन किया गया। सम्पूर्ण राज्य की उपाधि मिलने से पहले 1970 में मेघालय को अर्ध स्वायत्त की उपाधि दी गयी।

1947 में भारत की आज़ादी के समय, वर्तमान मेघालय में असम के दो जिलो का समावेश था और असम राज्य के साथ इसे सिमित स्वायत्तता दी गयी थी। इसके बाद 1960 में स्वतंत्र पहाड़ी राज्य के अभियान की शुरुवात हुई।

1969 के असम पुनर्गठन (मेघालय) एक्ट के तहत मेघालय राज्य को स्वायत्त राज्य की उपाधि प्रदान की गयी। 2 अप्रैल 1970 से इस एक्ट को पारित किया गया और असम से मेघालय जैसे स्वायत्त राज्य का जन्म हुआ।

1971 में संसद भवन में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (पुनर्गठन) एक्ट, 1971 पारित किया गया, जिसमे मेघालय राज्य को सम्पूर्ण स्वायत्ता राज्य की पदवी दी गयी। 21 जनवरी 1972 को मेघालय को राज्य का अस्तित्व प्राप्त हुआ।

मेघालय राज्य के जिले – Districts of Meghalaya State

ऋभोई जिला, पश्चिम खासी पहाड़ी, पूर्व खासी पहाड़ी, जैंतिया पहाड़ी, पश्चिम गारो पहाड़ी, पूर्वी गारो पहाड़ी, और दक्षिण गारो पहाड़ी।

मेघालय राज्य का धर्म – Religion of Meghalaya State

मेघालय के मुख्य जातीय समुदाय में खासीस, गारो और जैंतिया शामिल है। माना जाता है की इन समुदाय के लोग दक्षिण पूर्वी एशिया से मेघालय में आये थे। मेघालय के लोग हंसमुख स्वभाव और अनुकूलता के लिए जाने जाते है।

जबकि खासी, जैंतिया और गारो समुदाय के बहुत से लोगो ने धर्मरूपांतर कर क्रिस्चियन धर्म अपनाया है, मेघालय में हम आसानी से बहुत से चर्च, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और मठ देख सकते है।

मेघालय राज्य की भाषा – Language of meghalaya state

अंग्रेजी राज्य की सर्वाधिक बोली जाने वाली और अधिकारिक भाषा है। राज्य की दूसरी मुख्य भाषाओ में खासी और गारो शामिल है।

मेघालय में दूसरी भी बहुत सी भाषाओ का प्रयोग किया जाता है। जैसे की, पनार, तिवा, बैते, नेपाली भाषा का उपयोग मेघालय राज्य के लगभग सभी भागो में किया जाता है।

सभी जनजाति और समुदाय के लोग सामान्यतः अंग्रेजी भाषा का उपयोग करते है। शहरो इलाको में ज्यादातर लोग अंग्रेजी भाषा का ही उपयोग करते है और ग्रामीण इलाके के लोग विविध भाषाओ के उपयोग करते है।

मेघालय राज्य में मनाएं जानेवाले महोत्सव – Festival celebrating state of Meghalaya

गारो: गारो जनजाति के लोगो के महोत्सव में ही उनकी सांस्कृतिक विरासत छुपी हुई है। वे अक्सर संस्कृति, धार्मिक घटना और मौसम को समर्पित उत्सव मनाते है। गारो समुदाय के महोत्सव में देन बिल्सिया, वंगाला, रोंग्छु गाला, मीअमुआ, मंगोना, ग्रेंगडिकबा, जमंग सिया, जा मेगापा, सा सत रा चका, अजेओर अहोरा, डोरे राता नृत्य, चम्बिल मेसरा, दो कृ सुआ, सरम चा और ए से मेनिया इत्यादि शामिल है।

खासी: नृत्य खासी के जीवन का मुख्य अंग है और साथ उनके संस्कार का भी एक हिस्सा है। नृत्य प्रदर्शन श्नोग (गाँव), रेड (गांवों का समूह) और हिमा (गांवों के समूहों का समूह) में किया जाता है। राज्य के मुख्य महोत्सवो में का शाद सुक म्यनिस्म, कापोम-ब्लांग नोंगक्रेम, का-शाद श्यंगविंग-थान्गीयाप, का-शाद-क्यांजो खास्कैन, का बम खाना श्नोग, उम्सननोंग खराई, शाद बेह सिएर शामिल है।

जैंतिया: जैंतिया पहाड़ी के महोत्सव दूसरी जनजाति के महोत्सवो की तरह ही होते है। यहाँ के लोग प्रकृति, संतुलन और एकजुटता को मनाते है। जैंतिया समुदाय के महोत्सवो में बेहदीन खलं, लाहो नृत्य, बोवाई अनुष्ठान समारोह शामिल है।

बैते: बैते समुदाय में बहुत से महोत्सव विविध मौको पर मनाते है। लेकिन प्राचीन समय में मनाये जाने वाले बहुत से उत्सवो को वे आज नही मनाते। हर साल जनवरी में नुल्डिंग कूट नामक उत्सव मनाया जाता है, जिसमे इस समुदाय के लोग नृत्य करते है, संगीत का आनंद लेते है और पारंपरिक खेल खेलते है। साथ ही मंदिर में पूजा भी की जाती है।

हाजोंग: हाजोंग समुदाय के लोग हिन्दू रीती-रिवाजो को मानते है। हर हाजोंग परिवार में पूजा करने के लिए “देवघर” नामक मंदिर होता है और रोज सुबह-शाम वे प्रार्थना करते है। हाजोंग समूह में रहते है और समूह के क्षेत्र को “पारा या गाँव” का नाम दिया जाता है। हाजोंग गाँव किसी साम्राज्य से कम नही होता। गाँव में रहने वाले हाजोंग परिवार के सभी लोगो को गाँव की सदस्यता लेनी पड़ती है। हाजोंग पुरुष भिज़गम्सा और महिलाये रंगा पाठीन और फुला आर्गों पहनती है। हाजोंग समुदाय के लोग लोकनृत्य भी करते है।

आध्यात्मिकता: दक्षिणी मेघालय में मावज्याम्बइन गुफा है। यहाँ प्रकृति द्वारा एक विशाल चुने के स्तम्भ को शिवलिंग का आकार दिया गया है। किंवदंतियों के अनुसार, 13 वी शताब्दी से यह शिवलिंग जैंतिया पहाड़ी में रानी सिंगा के क्षेत्र में बना हुआ है। हर साल हिन्दू उत्सव शिवरात्रि के दिन हजारो श्रद्धालु यहाँ आते है।

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