मंगला गौरी मंदिर का इतिहास | Mangla Gauri Temple History

मंगला गौरी मंदिर – Mangla Gauri Temple

बहुत से मिथक और परमपरा के अनुसार पुरे भारतवर्ष में सती के शरीर के कुल 51 हिस्से पुरे देश में बिखरे हुए है और जीन स्थानों पर वो गिरे है उस जगह को शक्ती पीठ कहा जाता है और सभी शक्तिपीठ विभिन्न देवियों को समर्पित है। उनमे से एक हैं  मंगला गौरी मंदिर।

Mangla Gauri Temple

मंगला गौरी मंदिर का इतिहास – Mangla Gauri Temple History

पद्म पुरान, वायु पुराण और अग्नि पुराण में जिस मंदिर का उल्लेख हैं वो हैं बिहार का सबसे प्रसिद्ध और मशहूर मंगला गौरी मंदिर। मंगला गौरी मंदिर बिहार के गया शहर में स्थित है। इस मंदिर का समावेश अठरा महा शक्तिपीठ में किया गया है।

मंगला गौरी मंदिर 15 वी शताब्दी में बना हुआ मंदिर है। यह मंदिर देवी शक्ति को समर्पित है और गया का यह मंदिर विशेष रूप से वैष्णव पंथिय है। दया और करुना की देवता के रूप में मंगला गौरी की पूजा की जाती है।

इस मंदिर को उप शक्तीपीठ में शामिल किया गया है। जो भी भक्त यहापर माँ दुर्गा के दर्शन करने आता है उसकी हर प्रार्थना और इच्छा पूरी हो जाती है।

इस मंदिर से जुडी एक बहुत पुराणी लेकिन असली कहानी है। हजारों साल पहले की बात है, भगवान शिव सती के शरीर को हातो लेकर जा रहे थे। उस समय भगवान शिव बहुत ही उदास और दुखी थे।

जब वो सती के शरीर को लेकर कैलाश जा रहे थे तो उस वक्त देवी सती के शरीर का एक हिस्सा इस जगह पर गिर गया था। आगे चलकर इसी स्थान पर देवी मंगलागौरी का मंदिर बनवाया गया। इसीलिए देवी का यह मंदिर बहुत ही जागृत मंदिर है।

यह मंदिर पूर्व की दिशा में और मंगलागौरी पहाड़ी पर बनवाया गया है। इस मंदिर तक जाने के लिए सीढिया बनायीं गयी है और मोटर से जाने के लिए रास्ते की भी व्यवस्था की गयी है। इस पवित्र मंदिर में देवी की बहुत सुन्दर और नक्काशी की गयी मूर्ति स्थापित की गयी है। मंदिर के सामने ही एक छोटासा मंडप है।

भगवान शिव के भी दो छोटे छोटे मंदिर यहापर है और साथ में महिषासुर मर्दिनी, दुर्गा और देवी काली की मुर्तिया भी है।

इस मंगलागौरी मंदिर के परिसर में माँ काली, भगवान गणेश, भगवान हनुमानजी और भगवान शिव का भी मंदिर है।

गया जैसे पवित्र शहर हमारे देश में कई सारे है। मगर हर शहर की अपनी अलग पहचान होती। अपनी अलग विशेषता होती है। उसी तरह इस गया शहर की भी अपनी अलग पहचान है। बिहार के इस शहर में कई सारे स्थल है जो जरुर देखने चाहिए।

इस शहर की खास बात यह भी है इसका नाम एक गया नाम के राक्षस के नाम पर से रखा गया था। इस गया शहर में मंगलागौरी देवी का जागृत मंदिर है और साथ ही बहुत कम दिखने में आनेवाला भीम का मंदिर भी इसी शहर में है।

पुरे देश में बहुत ही कम ऐसे स्थान है जहापर भीम जैसे महाभारत के महान योद्धा के मंदिर है। भीम के बारे ऐसा भी कहा जाता है की उसने इस स्थान पर श्राद्धकर्म किया था और यहापर उसके घुटने के निशान भी देखने को मिलते है।

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