Mandodari Temple
मंदोदरी शब्द का अर्थ बहुत ही अद्भुत है और बहुत से लोगों को मालूम भी नहीं होगा। शब्द के अर्थ अनुसार देखा जाये तो ‘मंद’ यानि पानी और उदर का अर्थ ‘पेट।’ यानि सीधी भाषा में देखा जाये तो इसका अर्थ होता है की जिसका जन्म पानी से हुआ है।
रहस्मयी और चमत्कारिक मंदोदरी मंदिर – Mandodari Temple, Betki History
मंदोदरी मंदिर से भी एक बहुत पुराणी और रहस्यमयी सच्ची कहानी जुडी है। उस कहानी को सुनकर कोई भी उसपर विश्वास नहीं करेंगा लेकिन वो कोई काल्पनिक कथा नहीं बल्की असली में घटी और दिल को दहलादेनेवाली घटना है।
कहानी के मुताबिक गाव में पानी एक बूंद भी मिलना मुश्किल था लेकिन कौन बता सकता है कब कहा और क्या चमत्कार हो जाये। वैसा ही कुछ इस गाव और मंदिर के लोगों के साथ हुआ।
गाव के लोगों को पानी देने के लिए ख़ुद जल की देवी प्रकट हुई और उन सब को कुछ ऐसा आशीर्वाद दिया जिसके कारण उन्हें आज भी पानी की कमी महसूस नहीं होती।
यहाँ के गाव के लोगों को झरने का पानी हमेशा के लिए मिलता रहे इसीलिए बहुत साल पहले यहाँ लोगों ने उनके बच्चो की क़ुरबानी दे दी। उन्ही बच्चो के बलिदान के खातिर मंदोदरी मंदिर बनाया गया। उसी कारण इस बेटकी गाव में एक भी कुवा नहीं और सभी लोग पानी के लिए झरने के पानी पर ही निर्भर रहते है।
ऐसा प्रसिद्ध और मशहूर मंदिर बेटकी गाव में आता है जो मार्सेल पोंडा से लगभग 10 – 15 किमी की दुरी पर आता है। मंदिर को जिस वास्तुकला में बनाया गया उससे मंदोदरी मंदिर की खूबसूरती में ओर बढ़ोतरी हुई है।
मंदोदरी मंदिर का धार्मिक महत्व – Religious importance of Mandodari temple
आध्यात्मिकता की दृष्टी से देखा जाये तो बेटकी गाव का मंदिर जो मंदोदरी मंदिर नाम से प्रसिद्ध है और गाव के लोगों की देवता देवी बेटकी है। कुछ लोगों का ऐसा भी भ्रम है यह मंदिर रावण की पत्नी मंदोदरी का है। लेकिन यह बात सच नहीं है।
मंदोदरी का असली मतलब होता है उदर और पानी। यानि इस मंदिर में जिस देवता की पूजा की जाती वो जल के देवता है, जिनका पानी से जन्म हुआ हो। धार्मिकता की दृष्टी से देखे तो गाव के भले के लिए जिन बच्चोने अपनी जान देदी जिसके कारण गाव के लोगों को झरने का पानी मिल सका।
जैसे हम पहले ही देख चुके है की मंदोदरी मंदिर जल देवता का मंदिर है और जिन बच्चोने अपने जान की क़ुरबानी दी, उनके लिए मंदिर समर्पित है। गाव का इतिहास हमें मंदिरे के कहानी से रूबरू करता है उन बच्चोके के बलिदान के बाद ही जल देवता प्रसन्न हुई और तबसे गाव में झरने का पानी आ सका। 2013 में इस प्रसिद्ध मंदोदरी मंदिर को 102 साल पुरे हुए।
बेटकी गाव के लोगों के लिए तो मंदोदरी मंदिर एक तीर्थयात्रा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण जगह है। उन्हें देवी के आशीर्वाद के कारण ही शीतल और शुद्ध झरने का जल लगातार मिलता रहता है और यही मंदिर की विशेषता है।
जब भी आप मंदिर के दर्शन करने आयेंगे तो झरने के जल को देखे बिना जा ही नहीं सकते।
जहा गाव होता है वहा मंदिर होता है और जहा मंदिर होता है तो उस मंदिर की देवता की पूजा करने के प्रसाद, फूल, नारियल और साथ में थोडेसे जल की आवश्यकता होती ही है। क्यु की कई मंदिरों में जलाभिषेक तो किया ही जाता है।
लेकिन इस बेटकी गाव में जाने के बाद आपकी जो सोच है वो पूरी तरह से बदल जाएगी। क्यु की जब भी आप जल का इस्तेमाल करोगे तो आपको जल का कोई भी स्त्रोत नहीं मिलेगा सिवाय झरने का जल।
इस गाव में आप को एक भी जगह पर कुआ देखने को नहीं मिलेगा। आपको हर जगह केवल यहाँ उस रहस्मयी और चमत्कारिक झरने का पानी ही मिलेगा। वो ऐसा झरना है जिसका पानी कभी ख़तम ही नहीं होता।
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