Makka Madina History In Hindi
सऊदी अरब में स्थित मक्का-मदीना मुस्लिम समुदाय का सबसे पवित्रतम स्थल है। मुस्लिमों के लिए यह जन्नत का दरवाजा के रुप में जाना जाता है। इसके साथ ही यह इस्लाम के पांच प्रमुख स्तंभों में से भी एक माना जाता है।
हर मुस्लिम अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार यहां जाने की ख्वाहिश रखता है। मक्का मदीना की यात्रा को ही ‘हज यात्रा’ के नाम से जाना जाता है। हर साल लाखों मुस्लिम हज यात्रा पर जाते हैं। तो चलिए मुस्लिमो के इस पवित्र स्थान के बारे में जान लेते है।
मक्का में एक पवित्र क्यूब आकार का काबा भी स्थित है, जिसके यहां दर्शन के लिए आने वाले प्रत्येक हजयात्री परिक्रमा लगाते हैं और फिर बाद में इस चूमते हैं। ऐसा करने से ही हज यात्रा पूर्ण मानी जाती है।
ऐसा माना जाता है कि, अल्लाह की इस पावन धरती पर जो भी मुस्लिम जाता है, उसे जन्नत नसीब होती है एवं वह अपने जीवन में खूब तरक्की करते हैं।
इस पवित्र तीर्थस्थल से एक यह भी मान्यता जुड़ी हुई है कि इसी जगह कई हज़ार साल पहले पहली बार मुस्लिमों की पवित्र पुस्तक कुरान की घोषणी की गई थी।
इसके अलावा मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए यह स्थान इसलिए भी काफी महत्व रखता है क्योंकि पैगम्बर मुहम्मद साहब ने इसी स्थल पर जन्म लिया था। वहीं प्राचीन काल से ही मक्का-मदीना व्यापारियों का भी प्रमुख केन्द्र रहा है।
तो आइए जानते हैं मुस्लिमों के इस पावन तीर्थस्थल मक्का-मदीना के बारे में एवं इससे जुड़े कुछ अनसुने, रहस्यमयी एवं चमत्कारी तथ्यों के बारे में –
पवित्र मक्का मदीना का इतिहास – Makka Madina History In Hindi
मुस्लिमों का सबसे पवित्रतम स्थल मक्का – मदीना – History Of Mecca
इस्लाम धर्म के सबसे पावन तीर्थस्थल मक्का-मदीना सऊदी अरब की धरती पर स्थित है और यहीं पर इस्लाम धर्म का जन्म हुआ था। यह सऊदी अरब के हिजा़ज इलाके में स्थित है, जो कि मक्का सम्राज्य के शासक की राजधानी है।
समुद्र तल से यह करीब 909 फीट की ऊंची जित्राह की घाटी पर शहर से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। व्यापार का प्रमुख केन्द्र रहा मक्का-मदीना को ‘अल-मदीना अल-मुनव्वरा’ के नाम से भी पहचाना जाता है।
पैगम्बर हजरत मुहम्मद की जन्मस्थली माने जाने वाली मक्का शहर की आबादी करीब 20 लाख बताई जाती है, वहीं अगर हज की जायरीनों को सम्मिलत कर लिया जाए तो, यह जनसंख्या करीब 3 गुनी हो जाती है।
यहां के ज्यादातर लोग ”Haj Industry” में हज की तैयारियों से जुड़े काम ही करते रहते हैं। आपको बता दें कि इस्लामी तारीख के मुताबिक 10 जिलहज को विश्व के कोने-कोने से मुसलमान इस पवित्र तीर्थस्थल पर पहुंचते हैं, जिसे “ईदुल अजहा’ कहा जाता है।
मक्का-मदीना इस्लाम धर्म की प्रमुख पुस्तक कुरान की शुरुआत की भी मिसाल मानी जाती है। इस्लाम धर्म को मानने वाले सभी लोग अपनी 5 समय की नमाज मक्का में स्थित पवित्र काबा की तरफ मुंह करके ही पढ़ते हैं।
मक्का में विशाल मस्जिद के बीचोबीच स्थित पवित्र काबा – Makka Madina Kaba Sharif
पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब की जन्मस्थली माने जाने वाला मुस्लिमों के पवित्र शहर मक्का में एक विशाल मस्जिद है, जिसके बीचों-बीच में पवित्र काबा बना है। यह क्यूब के आकार की इमारत है, जिसकी लंबाई करीब 40 फुट और चौड़ाई 33 फुट है।
ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित इस पवित्र काबा में किसी भी तरह की कोई खिड़की नहीं है, जबकि यहां एक दरवाजा लगा हुआ है। इस काबा को 14 सौ साल से भी पुराना माना जाता है। पवित्र तीर्थ स्थल में स्थित इस काबा को इस्लामी परंपरा के मुताबिक इब्राहिम के समय से जोड़ा जाता है।
आपको बता दें कि, अनुपजाऊ और संकरी घाटी में बसे मुस्लिमों के सबसे पवित्रतम शहर मक्का का खर्च यहां आने वाले लाखों जायरीन (हज यात्रियों) से प्राप्त कर द्धारा चलता है।
प्राचीन काल से ही मक्का धर्म और व्यापार का केंद्र रहा है। यह एक सँकरी, बलुई तथा अनुपजाऊ घाटी में बसा है, जहां वर्षा कभी-कभी ही होती है। नगर का खर्च यात्रियों से प्राप्त कर द्वारा पूरा किया जाता है।
इस पवित्र हज यात्रा पर जो भी जायरीन आता है, वह इस विशाल मस्जिद के मध्य मे स्थित काबा के 7 परिक्रमाएं जरूर लगाता है, और फिर इसके बाद इसें चूमते हैं इसे तवाफ नाम की रस्म से जाना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक हज यात्री द्धारा तवाफ की रस्म अदायगी के बाद ही उनकी हज यात्रा संपन्न मानी जाती है और ऐसा करना वाला शख्स की जिंदगी सफल हो जाती है, वह धन्य हो जाता है।
इस पवित्र काबा के पूर्वी कोने में भूमि से करीब 5 फीट की ऊंचाई पर एक पवित्र काला पत्थर स्थित है, आपको बता दें कि यह पवित्र काबा की संरचना सोने एवं काले पत्थर से बनी हुई है, जो कि देखने में बेहद आर्कषक है। तवाफ की रस्म यानि की काबा के परिक्रमा लगाते वक्त जायरीन काबा के कोने के पत्थरों को चूमते हैं।
आज से हजारों साल पहले पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब द्धारा बसाए गए इस पवित्र तीर्थ स्थल में दुनिया के कोने-कोने से मुस्लिम धर्म के लोग आते हैं और अल्लाह की इबादत कर अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं एवं सुख-शांति की दुआ करते हैं।
आपको बता दें कि मुस्लिमों के इस पावन स्थल पर हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित है।
पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब से जुड़ा है मक्का-मदीना – Mohammad Paigambar
इतिहासकारों की माने तो इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने सऊदी अरब के मक्का शहर में 570 ईसा पूर्व में जन्म लिया था,हालांकि 620 ईसा पूर्व के आसपास बाद में वे किन्हीं कारणों की वजह से मक्का छोड़कर मदीना चले गए थे।
इसलिए इस स्थान का मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए काफी महत्व है, ऐसा माना जाता है कि, मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोगों को अपनी जिंदगी में पैगम्बर साहब की जन्मस्थली मक्का की यात्रा पर जरूर आना चाहिए।
वहीं अरबी भाषा में यात्रा को “हिजरत” कहा जाता है। आपको बता दें कि मुस्लिमों के इस पावन स्थल से ही संवत हिजरी की शुरुआत मानी जाती है।
मक्का में ‘जम-जम’ का पवित्र कुआं – Zamzam Well
पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब की जन्मस्थली मक्का में मस्जिद के पास ‘जम-जम’ का पवित्र कुंआ बना हुआ है। यहां हज यात्रा में आने वाले जायरीन इस पवित्र कुंए का पानी ग्रहण तो करते ही हैं, साथ ही हिन्दुओं में गंगाजल की मान्यता की तरह मुस्लिम धर्म के लोग इस कुंआ का पानी अपने घरों में रखना शुभ मानते हैं।
जम-जम के पानी से लेकर कई चमत्कारी तथ्य जुड़े हुए हैं, जिसके अनुसार सालों से लाखों जायरीनों द्धारा इस पवित्र कुंए का पानी पिया जा रहा है, लेकिन आज तक ना तो पानी कभी खत्म हुआ है और न ही कभी सूखा है। ऐसी मान्यता है कि, जम-जम के पानी को पीने से शरीर में स्फूर्ति एवं ताकत मिलती है।
मक्का-मदीना की पवित्र हज यात्रा – Makka Madina Hajj Yatra
सऊदी अरब की धरती पर इस्लाम धर्म का जन्म हुआ था, हर मुस्लिम अपने जीवन में एक बार मक्का-मदीना की पवित्र हज यात्रा पर जरूर जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस तीर्थयात्रा पर जाने से न सिर्फ मुस्लिमों को सारे गुनाह माफ होते हैं, बल्कि उनका जीवन सफल हो जता है।
यही वजह है कि यहां विश्व के कोने-कोने से मुस्लिम समुदाय के लोग यहां पहुंचते हैं। मुस्लिम धर्म के लोग इस्लामी तारीख़ के अनुसार 10 जिलहज को इस पवित्रस्थल पर पहुंचते हैं, इस तारीख को “ईदुल-अजहा” एवं ‘बकरीद’ भी कहा जाता है।
वहीं हज यात्रा पूर्ण तब मानी जाती है, जब शरीयत द्वारा मान्य पशु की कुर्बानी की जाती है। मक्का पहुंचने के लिए मुख्य नगर जेद्धाह है, इस नगर पर एक बंदरगाह होने के साथ-साथ अंतराष्ट्रीय हवाई मार्ग का मुख्य केन्द्र भी है।
वहीं जेद्दाह से मक्का जाने वाले मार्ग पर अरबा भाषा में कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं एवं संकेत भी लिखे रहते हैं।
मस्जिद अल हरम – Masjid Al-Haram
मुस्लिमों के सबसे पवित्र धार्मिक स्थल मक्का में ‘मस्जिद-अल-हरम’ नाम से एक दुनिया की सबसे विशाल एवं काफी प्राचीन मस्जिद बनी हुई है, जो कि काफी मशहूर है।
356 हजार 800 वर्ग मीटर में फैली भव्य मस्जिद के चारों ओर पुरातात्विक महत्व के खंभे बने हुए हैं, जिसका निर्माण हजरत इब्राहिम ने किया था। कई महान इस्लामिक जानकारों के अनुसार इस विशाल मस्जिद के पास से ही हजरत मुहम्मद साहब ‘बुरर्क’ (पंख वाले घोड़े) पर सवार होकर ईश्वर का साक्षात् करने के लिए स्वर्ग पधारे थे।
मक्का-मदीना में मक्केश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी अवधारणा – Makka Madina Shiv Mandir
इस्लाम धर्म के सबसे पवित्रतम तीर्थस्थल मक्का-मदीना से जुड़ी एक प्रसिद्ध अवधारणा यह भी मानी जाती है, जिसके मुताबिक यहां हिन्दुओं का सबसे बड़ा मक्केश्वर महादेव का मंदिर था।
कुछ इतिहासकारों की माने तो मुस्लिमों के इस पवित्र तीर्थस्थल में काले रंग का एक विशाल शिवलिंग मौजूद था, जो आज भी यहां खंडित अवस्था में रखा गया था।
वहीं एक प्रसिद्ध इतिहासकार की पुस्तक के मुताबिक मक्का में मस्जिद के बीचो-बीच बने काबा में जिस पत्थर को लोग चूमते हैं, उसे भगवान शिव की शिवलिंग बताया गया है।
यह काफी विवादास्पद है। वहीं कुछ समय पहले ही एक शिवलिंग की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी, जिसे लोग मक्का-मदीना से जोड़ रहे थे एवं इसके पीछे कई कहानियां भी बना रहे थे।
फिलहाल, यह सब एक महज अवधारणाएं और अफवाह ही हैं। मक्का-मदीना में न तो कोई शिवलिंग मौजूद था और ना ही कोई भी गैर मस्लिमों को वहां प्रवेश दिया जाता है।
मक्का-मदीना से जुड़े कुछ रोचक एवं दिलचस्प तथ्य – Facts About Makka Madina
अब जानते हैं मक्का मदीना के बारे में ऐसे कुछ महत्वपूर्ण बाते वो भी एक नजर में।
- पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब की जन्मस्थली माने जानी वाली तीर्थस्थली मक्का की स्थापना करीब 1400 साल पहले मोहम्मद साहब ने की थी, यह बाहर से देखने पर चौकोर भवन की तरह लगता है, जिस पर काला लिहाफ चढ़ा रहता है।
- मुस्लिमों के लिए 5 प्रमुख अनिवार्य बातों में हज भी शामिल है, इसलिए यहां मक्का-मदीना में हर साल हज या उमरा करने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लाखों जायरीन आते हैं और मक्का के चारों तरफ बनी मस्जिदों में नमाज पढ़ते हैं।
- इस पूरे विश्व के मुसलमान अपनी 5 वक्त की नमाज मक्का में स्थित काबा की तरफ ही मुंह करके पढ़ते हैं।
- इस्लाम के सबसे पवित्र धर्म स्थल मक्का के मस्जिद के दक्षिण में लंदन के बिग बने क्लॉक (Big Ben Clock) की तर्ज पर रॉयल मक्का क्लॉक टॉवर (Royal Mecca Clock Tower) बनाया गया है, जिसे विश्व की सबसे ऊंची इमारतों में से एक बताया जा रहा है।
- लाखों-करोड़ों मुस्लिमों की आस्था से जुड़े इस पावन स्थल पर पैगम्बर मोहम्मद साहब के पद चिन्ह भी मौजूद है, जिसके दर्शन यहां आने वाला प्रत्येक जायरीन करता है, इसके साथ ही यहां स्थित पवित्र काबा को चूमकर भी लोग दुआ मांगते हैं।
- पैगम्बर साहब से जुड़े इस पवित्र तीर्थ स्थल में बना जम-जम का कुआं कई चमत्कारी रहस्यों से भरा पड़ा है, लाखों-करोड़ों जायरीनों द्धारा इसका पानी पीने के बाबजूद भी इसका पानी न तो कभी खत्म होता है और न ही कभी यह सूखता है।
- पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जन्मस्थली माने जाने वाली मक्का की आबादी 20 लाख है, जो कि पवित्र हज के महीने में तीन गुनी हो जाती है।
- सउदी अरब के हेजाज क्षेत्र के पश्चिम में स्थित मदीना को अल-मदीना अल-मुनव्वरा के नाम से भी जाना जाता है। मक्का के बाद यह इस्लाम का दूसरा पवित्र स्थान है,जहां पैगम्बर मोहम्मद साहब को दफनाया गया था।
- मक्का में पवित्र काबा से एक यह मिथक भी काफी प्रचलित है कि यह भगवान शिव की शिवलिंग है।
- मक्का-मदीने में गैरमुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है, साथ ही यहां एक भी मंदिर या अन्य कोई धार्मिक स्थान नहीं है, यहां सिर्फ चारों चरफ अल्लाह की ही बंदगी है।
- मक्का में दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद ‘मस्जिद अल हरम’ स्थित है, जिसे Grand Mosque के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा मक्का शहर, सफा, मारवा, बैथ उल्लाह जैसी पवित्र मस्जिदों के लिए भी काफी मशहूर है।
- इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र शहर मक्का में Mosque-E-Haram है, जो कि मुस्लिमों का प्रमुख धार्मिल स्थल माना जाता है, जबकि बैतुल मुक़द्दस में Mosque-E-Axa इस्लाम का तीसरा पावन स्थल है।
मुस्लिमों के इस सबसे पवित्र तीर्थ स्थल से जुड़ी एक अन्य मान्यता यह भी है कि यहां सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी ने आधुनिक इराक के बगद्दा और सऊदी अरब के मक्का-मदीना की यात्रा की थी।
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agar macca me shiv ling nhi h to ganga jal se kyo darte ho, kyo gaga jal nhi dalne dete kyo wha jane wale ko ganga jal nhi le jane deete, kyo wha hindu vaidic riti riwajo ko folloow karte h
jai shri ram
Islam mein murti puja ya chitron ki puja varjit hai .par kabba k andar sun or moon k sign ka hona jo hindu devta maney jatey hain or inki aaradhna puja ka vidhan hamarey vedas me hai.
Yeh sab kahi na kahi hindu culture k hi proif hai.
Koi Proof Hai Vedas me, Toorant send karo us sentence ko aur saath mein kitab ka naam, chapter no., verse no. and point number send karo. Aur Hindu to brahmaan ke har cheej ko devta aur devi maante hain lekin jiska ek khuda hai woh sab kucch khuda ka hi hai maante hain.
Aur agar nahi bhejoge to tumhaare vedas ki pointed sentence ko send karta hu usme to double standard waale baat nahi karoge na.
Jaankaari lo kitabo se uske baat bahas karne ki jahmat gawara karo. Samajh gaye
Suni sunayi baato par mat jao
Or hindu dhram me mandir ki parikrama ya chakkar laganey ki vidhi vedo me batayi gayi hai.jabki kuran mein kahi b aisa chakkar laganey ka tarika nahi bataya gaya..
Jo kuchh b huj me hota hai sara hindu temple culture hai.
Jinahi wo sunnaht hai jo hamare prft . Kiya karte the
Aap jitney log huj jatey hain vo sab safed kapday pehen kar kyun jatey hain..
Dadhi shev banva kar ganjey ho kar.
Safed dhoti or safed chadar .is tarah ibadad ya pooja karna to hindu culture hai
Hindu vedas me bhgwan shiv ki aaradhna ka pooja ka yahi tarika bataya gaya hai.
Or yeh to sab jantey hain ki vedas sansaar me sabsey puraney hain.
Isliye wahan poori tatah se hindu tradition hi follow kiya jata hai
Shiv hi sab hain, wahi sarvsakhtiman hain.