महिला सशक्तिकरण | Mahila Sashaktikaran Essay In Hindi

महिला सशक्तिकरण के बारे में जानने से पहले हमें ये समझ लेना चाहिये इसका वास्तविक मतलब क्या है. महिला सशक्तिकरण मतलब महिलाओ की उस क्षमता से है जिससे उनमे ये योग्यता आ जाती है जिसमे वे अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय ले सकती है.

8 March को पुरे विश्व में अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस / International Women’s Day मनाते है, सही मायने में इस महिला दिन का उदेश्य क्या है ? ये आज के विद्यार्थियों के लिये जानना आवश्यक है, उन्हें ये समझना होंगा देश की तरक्की करनी होंगी तो महिलाओं को सशक्त बनना होगा.

Mahila Sashaktikaran Essay

विद्यार्थियों के लिये महिला सशक्तिकरण विषय पर निबंध / Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi

महिला सशक्तिकरण / Mahila Sashaktikaran को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएँ शक्तिशाली बनती है जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है. समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिये उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है.

नरेंद्र मोदी जी द्वारा महिला दिन / Mahila Din पर कहा गया मशहूर वाक्य “देश की तरक्की के लिये पहले हमें भारत के महिलाओं को सशक्त बनाना होंगा”. एक बार जब महिला अपना कदम उठा लेती है, तो परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर बढ़ता है.

भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है, जैसे दहेज प्रथा, यौन हिंसा, अशिक्षा, भ्रूण हत्या, असमानता, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, कार्य स्थल पर यौन शोषण, बाल मजदूरी, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय. लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अंतर ले आता है जो देश को पीछे की ओर ढ़केलता है.

भारत के संविधान में लिखे गये समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे प्रभावशाली उपाय है. लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में नारी सशक्तिकरण / Nari Sashaktikaran को बढ़ावा मिला है.

महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारित करना चाहिये. ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो. एक बेहतर शिक्षा की शुरुआत बचपन से घर पर हो सकती है, महिलाओं के उत्थान के लिये एक स्वस्थ परिवार की जरुरत है जो राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक है.

आज भी कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी की वजह से कम उम्र में विवाह और बच्चे पैदा करने का चलन है. महिलाओं को मजबूत बनाने के लिये महिलाओं के खिलाफ होने वाले दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव तथा हिंसा आदि को रोकने के लिये सरकार कई सारे कदम उठा रही है.

महिलाओं के खिलाफ कुछ बुरे चलन को खुले विचारों के लोगों और महान भारतीय लोगों द्वारा हटाया गया जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्यों के लिये अपनी आवाज उठायी. राजा राम मोहन रॉय की लगातार कोशिशों की वजह से ही सती प्रथा को खत्म करने के लिये अंग्रेज मजबूर हुए.

बाद में दूसरे भारतीय समाज सुधारकों आचार्य विनोबा भावे, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद, महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले आदि ने भी महिला उत्थान के लिये अपनी आवाज उठायी और कड़ा संघर्ष किया. भारत में विधवाओं की स्थिति को सुधारने के लिये ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने अपने लगातार प्रयास से विधवा पुर्न विवाह अधिनियम 1856 की शुरुआत करवाई.

महिलाओं की समस्याओं का उचित समाधान करने के लिये महिला दूसरे क्षेत्रों में भी महिलाओं को सक्रिय रुप से भागीदार बनाने के लिये कुछ प्रतिशत सीटों को आरक्षित किया गया है. सरकार को महिलाओं के वास्तविक विकास के लिये पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा और वहाँ की महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके.

महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिये लड़िकयों के महत्व और उनकी शिक्षा को प्रचारित करने की जरुरत है. इसके साथ ही हमें महिलाओ के प्रति हमारी सोच को भी विकसित करना होगा.

कानूनी अधिकार के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये संसद द्वारा पास किये गये कुछ अधिनियम है –

  1. अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956
  2. दहेज रोक अधिनियम 1961
  3. एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976
  4. मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987
  5. लिंग परीक्षण तकनीक एक्ट 1994
  6. बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006
  7. कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013

जब हैं नारी में शक्ति सारी, तो फिर क्यों नारी को कहे बेचारी…

जरुर पढ़े Nari Sashaktikaran पर नारे: Women Empowerment Slogans In Hindi

पिछले कुछ सालो में देश में महिलाओ की स्थिति में अचानक ही काफी बदलाव आया है, Mahila Sashaktikaran पर ख़ास जोर दिया गया है, तो आइये शुरू से महिलाओ की उपलब्धियों पर एक नजर डालते है :

  1. 1848 : सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर भारत के पुणे में महिलाओ के लिये स्कूल खोली. इस प्रकार सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका बनी.
  2. 1898 : भगिनी निवेदिता ने महिला स्कूल की स्थापना की.
  3. 1916 : 2 जून 1916 को पहली महिला यूनिवर्सिटी SNDT महिला यूनिवर्सिटी की स्थापना सामाजिक समाज सुधारक धोंडो केशव कर्वे ने सिर्फ पांच विद्यार्थियों के साथ मिलकर की.
  4. 1917 : भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की एनी बेसेन्ट पहली महिला अध्यक्षा बनी.
  5. 1925 : सरोजिनी नायडू भारत में जन्मी, भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की पहली अध्यक्षा बनी.
  6. 1927 : आल इंडिया विमेंस कांफ्रेंस (All India Women’s Conference) की स्थापना की गयी.
  7. 1947 : 15 अगस्त 1947 को आज़ादी के बाद सरोजिनी नायडू भारत की पहली महिला गवर्नर बनी.
  8. 1951 : डेक्कन एयरवेज की प्रेम माथुर भारत की पहली कमर्शियल महिला पायलट बनी.
  9. 1953 : विजया लक्ष्मी पंडित यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली की भारत की पहली महिला अध्यक्षा बनी.
  10. 1959 : अन्ना चंडी हाई कोर्ट (केरला हाई कोर्ट) ,भारत की पहली महिला जज बनी.
  11. 1963 : उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और किसी भी भारतीय राज्य में इस पद पर रहने वाली सुचेता कृपलानी पहली महिला थी.
  12. 1966 : कमलादेवी चट्टोपाध्याय को कम्युनिटी लीडरशिप के लिये रोमन मेग्सय्सय अवार्ड से सम्मानित किया गया.
  13. 1966 : इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी.
  14. 1970 : कमलजीत संधू एशियाई खेलो में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी.
  15. 1972 : भारतीय पुलिस दल मे शामिल होने वाली किरन बेदी पहली महिला बनी.
  16. 1979 : मदर टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया, इसे हासिल करने वाली वह पहली भारतीय महिला नागरिक है.
  17. 1984 : 23 मई को बचेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने पहली भारतीय महिला बनी.
  18. 1986 : सुरेखा यादव भारत और एशिया की पहली महिला लोको-पायलट, रेलवे ड्राईवर बनी.
  19. 1989 : न्यायमूर्ति एम्. फातिमा बीवी भारतीय सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनी.
  20. 1992 : प्रिया झिंगन इंडियन आर्मी में शामिल होने वाली पहली महिला कैडेट बनी.
  21. 1999 31 अक्टूबर को सोनिया गाँधी भारतीय विपक्षी दल की पहली महिला नेता बनी.
  22. 2007 : 25 जुलाई को प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनी.

कुछ प्रेरणादायक महिलाओं की जीवनी की List यहाँ दे रहें है जरुर पढ़े:

  1. सर्वश्रेष्ठ बॉक्सर मैरी कॉम
  2. गोल्डन गर्ल पी. टी. उषा
  3. टेनिस खिलाडी सानिया मिर्ज़ा
  4. बैडमिंटन खिलाडी सायना नेहवाल
  5. बहादुर नीरजा भनोट ‘हेरोइन ऑफ़ हाईजैक’
  6. भारत की बेटी – कल्पना चावला
  7. मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय
  8. एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा
  9. गायन कोकिला लता मंगेशकर

दोस्तों, और भी महिलाओं की प्रेरणादायक जीवनी ज्ञानीपण्डित.कॉम पर उपलब्ध है, पर पुरी List यहा देना संभव नहीं है… अगर आपको किसी प्रेरणादायक महिला की जीवनी पढ़नी है, तो ऊपर दिये साइडबार में SEARCH Box है उसमे English में नाम डाल कर आप को प्रसिद्ध महिलाओं की जीवनी मिल जाएगीं, अगर ना मिले तो कमेन्ट में हमें जरुर बताये हम यहा पब्लिश करने की पूरी कोशिश करेगें.

ये बेहतरीन लेख Mahila Sashaktikaran Essay In Hindi हमें Shilpa जी द्वारा प्राप्त हुआ है.

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Shilpa
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21 thoughts on “महिला सशक्तिकरण | Mahila Sashaktikaran Essay In Hindi”

  1. Sharif M Naved

    Nice Article, well done.
    in the last seen our 9 Admirable women seems you forgot a name to complete ” India’s Top 10 Women” the is Bachendri Pal i think no need for Her Introduction because her name is enough.

  2. It is really true thoughts and nice, definitely woman progress in all field and she acquired many field and reach top on her own efforts.
    But you need to add about some women empowerment helpline such as 1090 and Vodafone sakhi etc.

  3. Dr Nilesh R Nimbalkar

    Nice artical definitely Indian woman progress in all field she acquired many field and reach top on her own efforts but it is not sufficient for women empowerment at that time men Chang his views to look women and give fully support that is way to women empowerment

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