भारतीय राजनीती के वरिष्ट नेता लाल कृष्ण अडवाणी | Lal Krishna Advani Biography

Lal Krishna Advani – लाल कृष्ण अडवाणी जो भारतीय जनता पक्ष के सदस्य और भारतीय राजनीती में वरिष्ट नेताओ में से एक है। भारतीय जनता पक्ष के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दौरान सन 1998-2004 तक अडवाणी देश के गृह मंत्री थे और बाद में उप प्रधानमंत्री बने।

Lal Krishna Advani
भारतीय राजनीती के वरिष्ट नेता लाल कृष्ण अडवाणी – Lal Krishna Advani Biography

एल के अडवाणी का जन्म 8 नवम्बर 1927 को कराची में एक हिन्दू सिन्धी व्यावसायिक किशनचंद डी अडवाणी और ज्ञानी देवी के परिवार में हुआ। उन्होने प्राथमिक शिक्षा कराची में सेंट पैट्रिक विद्यालय में ली और आगे की पढाई हैदाराबाद के डी जी कॉलेज से की। उनका परिवार देश के विभाजन के दौरान मुंबई में आकर बस गया, जहा पर उन्होने बॉम्बे यूनिवर्सिटी के सरकारी कानून कॉलेज से कानून की डिग्री हासील की।

फरवरी 1965 में एल के अडवाणी ने कमला अडवाणी से शादी की। उन्हें एक बेटा और एक बेटी हैं जिनका नाम जयंत और प्रतिभा है। प्रतिभा अडवाणी टीवी मालिकाए निर्माण करती है और पिता को राजनीती की गतिविधियों समर्थन देती है।

लाल कृष्ण अडवाणी का राजनीतीक करियर – Lal Krishna Advani Political Career

एल के अडवाणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सचिव पद के लिए चुने जाने के बाद उनका राजनीती का सफ़र शुरू हुआ। अगले कुछ सालो में ही अडवाणी भारतीय जन संघ के सदस्य बन गए और बाद में इस संघ के वो अध्यक्ष भी बने।

समय के साथ साथ, जन संघ पक्ष अन्य राजनीति के पक्षों के साथ मिल गया और इसका नाम जनता पक्ष बन गया। जनता पक्ष सत्तारूढ़ हुआ और अडवाणी सुचना और प्रसारण मंत्री बने। लेकिन पक्ष के भीतर के शत्रुता के कारण भारतीय जनता पक्ष का निर्माण हुआ और राज्य सभा में एल के अडवाणी ने पक्ष का प्रतिनिधित्व किया।

1986 में अडवाणी बीजेपी के अध्यक्ष बने। उन्होने पक्ष का चेहरा ही बदल दिया और पक्ष को बड़ी उचाई पर ले गए। 1998 में बीजेपी फिर सत्ता में आयी और एनडीए की गठबंधन की सरकार में एल के अडवाणी उपप्रधानमंत्री बने। 2004 के चुनाव में एनडीए सरकार हार गयी और सत्ता से बाहर हुई।

एल के अडवाणी की प्रधानमंत्री बनने की इच्छा थी और इसके लिए वह कई बार चुनाव में उतरे है। जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने आखिरी बार चुनाव जीते तब उनकी प्रधानमंत्री होने की महत्त्वाकांक्षा को कुचल दिया गया। उसके बाद उन्होने लोक सभा के विपक्षी नेता का पद छोड़ दिया और सुषमा स्वराज को दे दिया।

10 जून 2013 में उन्होने बीजेपी के सभी पदों का इस्तीफा दे दिया। लेकिन उनका इस्तीफा अब तक भारतीय जनता पक्ष ने स्वीकार नहीं किया। 2014 में अटल बिहारी वाजपेयी और मुरली मनोहर जोशी के साथ उन्हें भी बीजेपी के मार्ग दर्शक मंडल में शामिल कर लिया गया।

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