Laila Majnu – लैला और मजनूं एक प्रेम कहानी है जिसकी उत्पत्ति 11 वी शताब्दी में सेंचुरी अरबिया में हुई थी, बाद में उसे पर्शियन कवी निजामी गंजवी ने अपना लिया था जिन्होंने “खोसरो और शिरीन” भी लिखी थी। पाँच सबसे लम्बी कथा कविताओ यह तीसरी थी।
लैला और मजनूं एक प्रेम कहानी – Laila Majnu Love Story in Hindi
निजामी के बहुत समय पहले, किंवदंती अपने वास्तविक रूप में इरानिनन अख़बार में थी। मजनूं के बारे में वास्तविक जानकारी बहुत कम है। निजामी के कार्य में बहुत सी नकली बाते सामने आ रही थी, उनके कार्यो के बाद बहुत सी वास्तविक बातो को उजागर किया गया था।
लैला और मजनूं कहानी –
कायस इब्न अल-मुलाव्वाह लैला के प्यार में पड़ गया था। जल्द ही उसने अपने और लैला के प्यार पर कविताए बनाना शुरू कर दी, कविताओ में वह लैला के नाम का जिक्र भी किया करता था। लैला को मनाने के लिए उसके द्वारा की जा रही कोशिशो को देखते हुए स्थानिक लोगो ने उसे मजनूं का नाम दिया था।
जब मजनूं ने लैला के पिता से शादी का हाथ माँगा तो लैला के पिता ने इंकार कर दिया था, उन्होंने ऐसा कहकर इंकार कर दिया की लैला किसी पागल इंसान से शादी नही करेंगी।
इसके बाद लैला की शादी किसी अमीर व्यापारी से करवा दी गयी। जिससे उनकी शादी हुई वह इंसान भी काफी अच्छा और खुबसूरत भी था, उसका नाम वरद अल्थाक़फ़ी था।
जब मजनूं ने लैला की शादी के बारे में सुना तो वह आदिवासी इलाके से भाग गया और आस-पास के रेगिस्तान में आवारागर्दी करने लगा। उनके परिवार ने उसके वापिस आने की आशा भी छोड़ दी थी और वे जंगल में उसके लिए खाना छोड़ चले जाते थे।
कई बार मजनूं लैला के प्यार में मिटटी पर लकड़ी की सहायता से लैला पर आधारित कविताए भी लिखता था।
लैला को भी शादी के बाद अपने शौहर के साथ उत्तरी अरबिया में भेज दिया गया था। कुछ कथाओ के अनुसार लैला की मृत्यु अपने मजनूं को देखे बिना ही ह्रदय विकार की वजह से हुई थी। लेकिन मजनूं को इस बात का पता 688 AD में लगा था।
इसके बाद मजनूं ने लैला की कब्र के पास पत्थरो पर तीन कविताए लिखी, जो लैला के लिए मजनूं द्वारा लिखी गयी अंतीम कविताए थी।
उनकी मृत्यु से पहले उनके प्यार में और भी बहुत सी रोमांचक बाते हुई थी। मजनूं द्वारा लिखी गयी कविताओ में निचे की कविता भी शामिल है –
“मै इन दीवारों से गुजरता जाऊंगा, जिनसे लैला गुजरती है
और मै उस दीवार को किस (चूमना) करूंगा जिससे लैला गुजरती है
यह मेरे दिल में दीवारों के प्रति प्यार नही है जो मेरे दिल को खुश करता है
लेकिन जो उन दीवारों के पास से चलकर मेरा ध्यान आकर्षित करती है, उससे मुझे प्यार है।”
यही लैला और मजनूं की एक शोकपूर्ण प्रेम कहानी है। इस तरह की प्रेम कहानी को अक्सर “कुँवारा प्यार” कहा जाता है क्योकि ऐसी प्रेम कहानियो में प्रेमी जोड़ो को कभी शादी नही होती। इतिहास में ऐसी बहुत सी प्रेम कहानियाँ हमें देखने को मिलती है, जिनमे लैला और मजनूं के साथ-साथ रोमियो और जूलिएट का भी समावेश है।
लैला और मजनूं की मौत के बाद ही दुनिया ने जाना की उनकी मोहब्बत में कितनी सच्चाई थी। दोनों को साथ-साथ दफनाया गया ताकि इस दुनिया में न मिलने वाले लैला-मजनूं जन्नत में जाकर मिले।
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आपने बहुत ही बेहतरीन कहानी लिखी है आपका लिखने का अंदाज बड़ा ही अच्छा है
i m majnu super duper love story
This Article Is Really intresting.
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I love this story……….
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Superb love to read this…