कित्तूर रानी चेन्नम्मा – Kittur Rani Chennamma भारत के कर्नाटक राज्य के कित्तूर की रानी थी। 1824 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ अपनी सेना बनाकर लढने वाली वह पहली रानी थी। लेकिन बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और तभी से वह भारतीय स्वतंत्रता अभियान की पहचान बन गयी। कर्नाटक राज्य में उन्होंने अब्बक्का रानी, केलादि चेन्नम्मा और ओनके ओबव्व के साथ मिलकर ब्रिटिशो के खिलाफ लड़ाई की थी।
कित्तूर की रानी चेन्नम्मा – Kittur Rani Chennamma History In Hindi
चेन्नम्मा का जन्म भारत के कर्नाटक राज्य के बिलगावी जिले के छोटे से गांव काकटि में हुआ था, वह अपने पडोसी राजा की ही रानी बनी थी और देसाई परिवार के राजा मल्लासर्ज से उन्होंने विवाह कर लिया था।
रानी चेन्नम्मा ने कित्तूर में हो रही ब्रिटिश अधिकारियो की मनमानी को देखते हुए बॉम्बे प्रेसीडेंसी के गवर्नर को सन्देश भी भेजा था लेकिन इसका कोई फायदा नही हुआ था। लेकिन ब्रिटिश अधिकारी कित्तूर की रानी के खजाने और बहुमुल्य आभूषणों और जेवरात को हथियाना चाहते थे। उस समय रानी के खजाने की कीमत तकरीबन 1.5 मिलियन रूपए थी। इसीलिये ब्रिटिशो ने 20000 आदमियो और 400 बंदूको की विशाल सेना के साथ आक्रमण किया था। अक्टूबर 1824 में युद्ध के पहले राउंड में ब्रिटिश सेना का काफी पतन हो चूका था और कलेक्टर और राजनैतिक एजेंट जॉन थावकेराय की हत्या कर दी गयी थी। चेनम्मा का मुख्य सहयोगी बलप्पा ही ब्रिटिश सेना के पतन का मुख्य कारण बना था। इसके बाद दो ब्रिटिश अधिकारी सर वाल्टर इलियट और मी। स्टीवसन को भी बंदी बना लिया गया था। लेकिन फिर ब्रिटिशो के साथ समझौता कर उन्हें बाद में छोड़ दिया गया था और युद्ध को भी टाल दिया गया था। लेकिन ब्रिटिश अधिकारी चैपलिन ने दुसरो के साथ हो रहे युद्ध को जारी रखा था।
दूसरे हमले के समय सोलापूर के सबकलेक्टर मी। मुरणो की हत्या कर दी। लेकिन रानी चेनम्मा ने बड़ी बहादुरी से अंग्रेजो का सामना किया था। और लढते-लढते ही उन्होंने बैल्होंगल किले में बंदी बना लिया गया था और वही 21 फरवरी 1829 में उनकी मृत्यु हो गयी थी। ब्रिटिशो के खिलाफ युद्ध में रानी चेनम्मा की गुरुसिडप्पा ने काफी सहायता की है।
उनके गिरफ्तार होने तक 1829 में संगोलि रायन्ना ने गुरिल्ला युद्ध जारी रखा था। रानी चेनम्मा अपने दत्तक लिए हुए बेटे शिवलिंगप्पा को कित्तूर का शासक बनाना चाहती थी लेकिन सोलंकी राजा को बंदी बनाकर मार दिया गया था। शिवलिंगप्पा को ब्रिटिश ने गिरफ्तार किया था। चेनम्मा की महानता आज भी हमें कित्तूर में दिखाई देती है। उनकी याद में 22 से 24 अक्टूबर को हर साल कित्तूर उत्सव मनाया जाता है।
नयी दिल्ली के पार्लिमेंट हाउस कॉम्पलेक्स में उनका स्टेचू भी बनवाया गया है। 11 सितम्बर 2007 को भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने इसका अनुकरण भी किया था। इस दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री शिवराज पाटिल, लोक सभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी, बीजेपी लीडर एल. के. आडवाणी, कर्नाटक के मुख्य मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी और दूसरे लोग भी उपस्थित थे। इस स्टेचू को कित्तूर रानी चेनम्मा मेमोरियल कमिटी ने बनवाया था। रानी चेनम्मा का स्टेचू बैंगलोर और कित्तूर में बनवाया गया है।
अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में रानी चेनम्मा ने अपूर्व शौर्य का प्रदर्शन किया, लेकिन वह लंबे समय तक अंग्रेजी सेना का मुकाबला नहीं कर सकी। उन्हें कैद कर बेलहोंगल किले में रखा गया जहां उनकी २१ फरवरी १८२९ को उनकी मौत हो गई। पुणे-बेंगलूरुराष्ट्रीय राजमार्ग परबेलगामके पास कित्तूर का राजमहल तथा अन्य इमारतें गौरवशाली अतीत की याद दिलाने के लिए मौजूद हैं। उनके सम्मान में उनकी एक प्रतिमा संसद भवन परिसर में भी लगाई गई है।
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Sir ek baat mention nhi ki aapne ki 21 February 1829 me bhi british government ke hatho marne ki bajaye unhone apne aur desh ke samman ke liye khud marna uchit sumjha aur ek kaanch ke tukde se apna gala kaat liya tha….
Aur bhi bahut saare points chore hue hain sir yanha
Aap shifuji shaurya bhardwaj ki is video ke throw poori jankari le sakte hain:-
An untold story about one of the most powerful wo…: http://youtu.be/4CzsQ2y-zp8
piya dhiman ji
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