Khusro Bagh
खुसरो बाग यह बाग मुग़ल वास्तुकला का एक बहुत ही सुन्दर उदाहरण है। खुसरो बाग में खुसरो की कब्र आती है। खुसरो जहागीर का बहुत निडर और जाबाज लड़का था। खुसरो के बारे में कई बाते की जाती है लेकिन खुसरो के नाम से इस बाग को क्यों जाना जाता है, इसके बारे में बहुत कम लोगो को मालूम है।
मशहूर खुसरो बाग का इतिहास – Khusro Bagh History
खुसरो ऐसा पहला व्यक्ति था जिसे बाग में बंदी बनाकर रखा गया था क्यों की उसने उसके पिता जहागीर के खिलाफ ही सन 1606 में विद्रोह कर दिया था।
सिंहासन पाने के लिए खुसरो ने लड़ाई लड़ी थी जिसमे उसे बड़ी निर्दयता से मार दिया गया था तब उसकी उम्र केवल 34 साल की थी। उस लड़ाई में जहागीर के दुसरे लड़के खुर्रम ने खुसरो को ख़तम करने के लिए लड़ाई में हिस्सा लिया था। उसके बाद में खुर्रम बादशाह बन गया।
खुर्रम बड़ा होकर शाहजहान बन गया जिसने उसकी प्यारी पत्नी मुमताज के लिए ताजमहल बनवाया था। खुसरो की कब्र का निर्माण सन 1622 में पूरा हो गया था और निथर बेगम जिसकी कब्र शाह बेगम और खुसरो की कब्र के बिच में थी, उसका निर्माण सन 1624-25 के दौरान करवाया गया था।
यह बाग सभी तरफ़ से बड़ी बड़ी दीवारों से रक्षित की गयी है और शायद इसीलिए इस बाग को इतिहास के नजर में काफी महत्व है।
1857 में जब सिपाही विद्रोह हुआ था तब इस खुसरो बाग ने बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान का काम किया था। क्यों की उस वक्त सिपाही इसी बाग में आकर सलाह मशवरा लिया करते थे और युद्ध की आगे की रणनीति बनाते थे।
तब उस वक्त विद्रोह का नेतृत्व मौलवी लियाकत अली कर रहे थे और वो मुक्त अलाहाबाद के गवर्नर के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन कुछ दिनों के बाद अंग्रेजो ने उनके इस विद्रोह को कुचल डाला।
ऐतिहासिक भव्यता के अलावा भी, खुसरो बाग में कई सारे आम और अमरुद के पेड़ है। इन पेड़ो पौधों के लिए भी खुसरो बाग काफी जानी जाती है।
ऐसी प्रसिद्ध और मशहूर खुसरो बाग अलाहाबाद रेलवे स्टेशन से काफी नजदीक के मुहल्ला खुलादाबाद में आती है।
खुसरो बाग की वास्तुकला – Khusro bagh Architecture
रेतीले पत्थर से बने हुए तिनो भी मकबरे इस बाग में देखने को मिलते है जो मुग़ल की सुन्दर वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करते है। इस बाग में जितने भी प्रवेश द्वार, और शाह बेगम की तिन स्तरीय कब्र जो बनायीं गयी है उसका पूरा श्रेय जहागीर के मुख्य कारागीर आका राजा को ही जाता है।
शाह बेगम जो पहले मान बाई हुआ करती थी वो अम्बेर के राजा भगवंत दास की लड़की थी। उसके पति और उसका लड़का खुसरो के बिच में हमेश होनेवाली नोकझोक से दुखी होकर शाह बेगम ने सन 1604 में अफीम खाकर आत्महत्या कर ली थी। उसके मकबरे को आका राजा ने सन 1606 में बनवाया था।
उसका मकबरा बहुत सुन्दर और चौड़ा होने के साथ साथ तीन स्तरों में भी बनवाया गया था। कुछ लोग तो उसके मकबरे की तुलना फतेहपुर सिकरी से की थी। उसकी कब्र पर एक बहुत बड़ी छत्री बनवाई गयी थी।
बेगम की कब्र के बाजु में ही खुसरो की बहन निथर की कब्र है। वास्तुकला की नजर से देखा जाए तो उसकी कब्र सबसे बड़ी और विस्तृत थी और वो बहुत उचाई पर भी बनवाई गयी थी। खुसरो बाग में सबसे आखरी में खुसरो की कब्र आती है।
कोई भी बाग या उद्यान शब्द जब बोला जाता है तो हमारे सामने पेड़, पौधे, वनस्पति सामने आ जाते है लेकिन जहागीर के बेटे खुसरो की बाग कुछ अलग है।
इस बाग में पेड़, पौधे, पंछी, वनस्पति देखने को तो मिलते ही है लेकिन इस बाग में कुछ और खास देखने को मिलता है और वो है खुसरो की कब्र। इस मशहूर खुसरो बाग में खुसरो की माँ और बहन की कब्र है। यानि इस खुसरो बाग में एक साथ तीन लोगो की कब्र देखने का मौका मिलता है।
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