Kartarpur Sahib Gurdwara
किसी मनुष्य की धार्मिक आस्था कभी सीमाएं या देश के साथ उसके देश कैसे संबध है ये नहीं देखती है शायद यही वजह है कि धार्मिक आस्था के आगे अक्सर बड़े बड़े देशों की सरकार को भी झुकना पड़ता है। हालांकि हर बार ऐसा हो ये भी जरुरी नहीं। इन दिनों भारतीय मीडिया में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा – Kartarpur Sahib Gurdwara का मुद्दा गरमाया हुआ है।
ये हम सब जानते है कि बंटवारे से पहले पाकिस्तान भी भारत का हिस्सा रहा है। जिस वजह से बहुत से धार्मिक स्थल बंटवारे के कारण दो सरहदों के बीच बंट गए। और करतारपुर साहिब गुरुद्वारा भी इस बंटवारा के बाद पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। लेकिन सिखों की अधिकांश आबादी भारत में रहती है जिनकी इस गुरुद्वारे में एक अलग आस्था है। जो उन्हें सरहद पार जाकर इस गुरुद्वारे के दर्शन करने के लिए प्रेरित करती है। लेकिन इस गुरुद्वारे में जाकर दर्शन करना इतना आसान नहीं है। चलिए आपको बताते ऐसा क्यों है और क्या है करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का इतिहास – History of Kartarpur Sahib Gurdwara।
जानिए क्यूँ भारतीयों को इस गुरुद्वारे का दर्शन दूरबीन से करना पड़ता हैं….
गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब भारतीय सीमा से पाकिस्तान में करीब चार किलोमीटर की दूरी पर है। माना जाता है कि इस गुरुद्वारे में सिखों के गुरु गुरु नानक अपने जीवन का काफी लंबा समय बिताया था और माना जाता है कि जब उन्होनें अपनी आखरी सांस ली तो उनका शरीर अपने आप गायब हो गया और उसकी जगह कुछ फूल थे।
जिसमें से आधे फूल सिख ले गए और उन्होनें हिंदू रीति रिवाजों से गुरु नानक का अंतिम संस्कार किया और इसके बाद करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में बाबा गुरुनानक की समाधि बनाई। वहीं बाकी बचे फूलों को बाबा गुरु नानक के मुस्लिम भक्त अपने साथ ले गए और उन्होनें इस गुरुद्वारे में बाहर आंगन में मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार उनकी कब्र बनाई।
आजादी से पहले इस गुरुद्वारे की तस्वीर काफी अलग थी। लेकिन आजादी के बाद लाखों सिख जो पाकिस्तान वाली जमीन पर रहा करते थे सभी भारत आ गए। और इसी बीच कुछ स्मगलरों ने इस गुरुद्वारे को हथियारे रखने के लिए उपयोग करना शुरु कर दिया। इस बीच ये गुरुद्वारा भी काफी बुरी तरह टूट फूट गया हालाकि इस दौरान भी पाकिस्तान में रहने वाले भक्त यहां बाबा गुरु नानक के दर्शन के लिए आते रहे।
इस गुरुद्वारे की नई इमारत को साल 2001 में बनाया गया था। इस गुरुद्वारे में सिर्फ भारतीयों की ही नहीं पाकिस्तानियों की भी काफी आस्था है। माना जाता है कि गुरुद्वारे में बने वाले लंगर के लिए यहां के आसपास के मुस्लिम समुदाय के लोग चंदा देते है वहीं खाना पकाने के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ियां पाकिस्तान सेना व्दारा दी जाती है।
भारत पाकिस्तान के बीच बना कॉरिडोर है समस्या
सिखों की इस गुरुद्वारे से आस्था जुड़ी होने के कारण भारत सरकार कई बार पाकिस्तान सरकार से इस कॉरिडोर को फ्री वीजा कर भारत में रहने वाले गुरुनानक के भक्तों के लिए खोलने के लिए गुजारिश कर चुकी है क्योंकि करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में जाने के लिए भारतीयों को पाकिस्तान वीजा लेना पड़ता है। लेकिन आजतक ऐसा संभव नहीं हो पाया।
भारतीय सीमा पर बीएसएस जवानों ने इस धार्मिक स्थल को देखने के लिए एक स्थान बनाया है जहां से भारतीय करतापुर साहिब गुरुद्वारे के दूरबीन से दर्शन कर सकते है।
करतापुर साहिब गुरुद्वारे को लेकर राजनीति भले हो पाकिस्तान की तरफ से हो या भारत की राजनीतिक पार्टियों की तरफ से। दोनों ही गलत है। हमें ये समझना होगा कि धार्मिक स्थल देश कें बंटवारे से बंट नहीं जाते और आस्था सभी में एक समान है फिर चाहे वो सीमा की इस पर के श्रद्धालु हो या फिर उस पार के।
Read More:
- Golden Temple history
- गुरु नानक जी की जीवनी
- Guru Ravidass Ji History
- गुरु गोबिन्द सिंह की जीवनी
- History of India
Hope you find this post about ”Kartarpur Sahib Gurdwara” useful. if you like this articles please share on facebook & whatsapp.and for the latest update download : Gyani Pandit free android App
Amazing!!! I like this website so much it’s really awesome. I have also gone through your other posts too and they are also very much appreciate able and I m just waiting for your next update to come as I like all your posts.
Thanks, Naren for going through our article. It is pleasure to hear from your site regarding our website.
बहुत ही बढ़िया लेख लिखा आपने
लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
जैसे कि हमने आपको इस लेख में बताया कि सिख समुदाय की आस्था किस तरह इस गुरुद्धारा से जुड़ी हुई है और आगे भी हम आपको इस तरह की जानकारी देते रहेंगे साथ ही हम ये आशा करते हैं कि आपको हमारे लेख पसंद आएंगे।
bhaut he achchha or interesting article likha hai aapne thanks for the sharing this article
हमारे लेख की तारीफ करने के लिए शुक्रिया. हमें आगे भी इस तरह के पोस्ट अपडेट करते रहेंगे।
kya bat hai sir aapne mujhe eak bahut achche jankari di hai isse pahle mujhe nahi pata tha ka koi aisa bhi gurdwara hai jisko hame durbeen se dekhna padta hai.
बहुत खुबसूरत लेख है साँझा करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद…..