“गुफा के महान देवता” यानी कंदारिया महादेव मंदिर | Kandariya Mahadeva Temple

Kandariya Mahadeva Temple – कंदारिया महादेव मंदिर का अर्थ “गुफा के महान देवता” से है, मध्यकालीन समय का यह सबसे विशाल और अलंकृत हिन्दू मंदिर है, जिसकी खोज भारत में मध्यप्रदेश के खजुराहो में हुई। भारत में मध्यकालीन समय के सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध मंदिरों में से यह एक है।

Kandariya Mahadeva Temple

“गुफा के महान देवता” यानी कंदारिया महादेव मंदिर – Kandariya Mahadeva Temple

किसी समय में खजुराहो चंदेला साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। भारतीय मध्यकालीन युग के अलंकृत और मध्यकालीन कला के महत्वपूर्ण मंदिरों में से यह एक है। खजुराहो में चंदेला शासको द्वारा बनाये गए दुसरे मंदिरों की तुलना में यह मंदिर सबसे बड़ा है। मंदिर में मुख्यतः भगवान शिव की पूजा की जाती है।

इस मंदिर को खजुराहो का सबसे पवित्र मंदिर भी माना जाता है।

कंदारिया महादेव मंदिर का निर्माण विद्याधर के शासनकाल (1003-1035 CE) में किया गया। साम्राज्य में उनके शासनकाल में भगवान विष्णु, शिव, सूर्य और शक्ति के बहुत से हिन्दू मंदिरों का निर्माण किया गया और साथ ही जैन धर्म के तीर्थकारो का भी निर्माण किया गया। मुस्लिम इतिहासकार इब्न-अल-अथिर में विद्याधर को बीड़ा को नाम से भी जाना जाता है, जिन्होंने कंदारिया महादेव मंदिर की स्थापना करवाई थी। वे एक शक्तिशाली शासक थे।

जिन्होंने 1019 में ग़जनी के महमूद को पहले युद्ध में पराजित किया था। लेकिन यह युद्ध निर्णयात्मक साबित हो सका और महमूद को ग़जनी वापिस जाना पड़ा। इसके बाद 1022 में महमूद ने पुनः विद्याधर के खिलाफ युद्ध छेड़ा। इस बार उसने कलिंगर के किले पर आक्रमण किया था।

लेकिन किले की चारो तरफ से घेराबंदी करने में वह असफल रहा। लेकिन युद्ध शुरू होने के कुछ समय बाद ही महमूद और विद्याधर ने युद्धविराम की घोषणा कर दी थी।

इसके बाद विद्याधर ने महमूद और दुसरे शासको पर मिली जीत का जश्न मनाते हुए कंदारिया महादेव मंदिर का निर्माण करवाया, जो भगवान शिव को समर्पित था। मंदिर में मंडप पर लिखे एपिग्राफिक शिलालेखो में इसके निर्माता का नाम “विरीम्दा” लिखा गया है, जो शासक विद्याधर का ही उपनाम था। सूत्रों के अनुसार इसका निर्माण 1025 और 1050 AD के बीच किया गया था।

कंदारिया महादेव मंदिर और साथ ही उसके आस-पास के मंदिरों को 1986 में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में मापदंड III के तरह शामिल कर लिया गया।

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4 COMMENTS

    • Viram Singh Ji,

      Jankari ka koi fix source nahi hain. hame jis bhi vyakti ki biography ya kisi or chij ki janakari chahiye hoti hain to uspe pahale alag alag jagase padh lete hain. usme akhabaro ki or news ki bhi madat lete hain. or janakari prapt karke uspar study karke use publish karate hain.

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