Kanaka Durga Temple | देवी कनका दुर्गा मंदिर का इतिहास

Kanaka Durga Temple

शक्ति, समृद्धि और भलाई की देवी कनका दुर्गा का मंदिर, जहा हर साल नवरात्री के समय लाखो श्रद्धालु आते है और इस उत्सव को बड़ी धूम-धाम से मनाते है। कनका दुर्गा का प्राचीन मंदिर विजयवाडा की इन्द्रकीलाद्री पहाडियों के तट पर पवित्र कृष्णा नदी के तट पर बना हुआ है। इतिहास में देवी कनका दुर्गा मंदिर से जुडी हुई बहुत सी किंवदंतियाँ भी है।

Kanaka Durga Temple

Kanaka Durga Temple – देवी कनका दुर्गा का मंदिर

कनका दुर्गा मंदिर देवी दुर्गा का एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है, जो भारतीय राज्य आंध्रप्रदेश के विजयवाडा में बना हुआ है। यह देवी कनका दुर्गा मंदिर इन्द्रकीलाद्री एक विशेष पहाड़ी है और इसीलिए कनका दुर्गा ने इसे अपना निवास स्थान और मल्लेश्वर को स्वयंभू बनाया।

यहाँ दुर्गा मल्लेश्वर के दायी तरफ है, जबकि परंपरा के अनुसार देवियों का स्थान हमेशा बायीं तरफ होता है। यह हमें इन्द्रकीलाद्री की अपार शक्तियों को दर्शाती है।

कालिका पुराण, दुर्गा सप्तशती और दुसरे वैदिक साहित्यों एवं ग्रंथो में कनिका दुर्गा का वर्णन किया गया है और तृतीयकल्प में उनका उल्लेख स्वयंभू के नाम से किया गया है।

इस मंदिर से जुडी हुई बहुत सी पौराणिक कथाओ में यह भी एक है की, इन्द्रकीला पहाड़ी के शीर्ष पर अर्जुन ने भगवान शिव की प्रार्थना की थी, ताकि वे उनका आशीर्वाद ले सके और अर्जुन की जीत के बाद ही इस शहर का नाम “विजयवाडा” रखा गया।

मंदिर से जुडी हुई एक और किंवदंती कनका दुर्गा की असुर राजा महिषासुर पर हुई विजय से है। कहा जाता है असुर राजा का बढ़ता खतरा स्थानिक लोगो के लिए असहनीय हो रहा था।

इसके बाद साधू इन्द्रकिला ने बहुत तपस्या की और तभी देवी उनके सामने अवतरित हुई और साधू ने उनसे प्रार्थना की के वह उनके सिर पर सवार होकर असुर राजा का अंत करे। साधू की इच्छा पूरी कर देवी दुर्गा ने इन्द्रकिला को ही अपना निवासस्थान बना लिया।

इसके बाद विजयवाडा के लोगो को असुरो से बचाने के लिए देवी ने असुर राजा महिषासुर का भी वध किया। कनका दुर्गा मंदिर में मुख्य देवी की 4 फूट ऊँची मूर्ति है, जिसे स्वर्ण आभुषण और फूलो से आभूषित किया गया है।

मूर्ति की कुल आठ भुजाए, जिनकी प्रत्येक भुजाओ में एक शक्तिशाली हथियार है, मंदिर में कनका देवी की मूर्ति असुर राजा महिषासुर पर खड़ी है और उन्हें महिषासुर को त्रिशूल से भेदते हुए दिखाया गया है।

पहाड़ी की सीढियों को चढ़ते समय हमारे मार्ग में विविध देवताओ की प्रतिमाए आती है, जिनमें मुख्यतः कनका देवी मल्लेश्वर और कृष्णा (नदी) की प्रतिमाए शामिल है।

देवस्थानम का दशहरा उत्सव:

श्री कनका दुर्गा देवी, मंदिर की मुख्य देवी है और हर साल चलने वाले इस महोत्सव में लाखो श्रद्धालु आते है। यह 10 दिन प्रतीकात्मक रूप से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाए जाते है। हर दिन का चुनाव उस दिन के ज्योतिषीय सितारे के रूप में किया जाता है।

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