कल्पना चावला पहली भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अन्तरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। 1997 में वह अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी और 2003 में कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गये सात यात्रियों के दल में से एक थी।
कल्पना चावला का जीवन परिचय – Kalpana Chawla Biography in Hindi
नाम (Name) | कल्पना चावला |
जन्म (Born) | 1 जुलाई, 1961 |
मृत्यु (Death) | 1 फरवरी, 2003 |
जन्म स्थान (Birthplace) | करनाल |
पेशा (Occupation) | इंजीनियर, टेक्नोलॉजिस्ट |
पिता का नाम (Father) | बनारसी लाल चावला |
माता का नाम (Mother) | संज्योथी चावला |
पति का नाम (Husband) | जीन पिएरे हैरिसन |
अवार्ड्स (Award) | कांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनर, नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक और नासा, विशिष्ट सेवा पदक |
कल्पना चावला अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली भारत की पहली महिला एरोनॉटिकल इंजीनियर (वैमानिक अभियांत्रिकी) थीं। एयरोनॉटिक्स के क्षेत्र में उपलब्धि और योगदान के मामले में वे कई महिलाओं के लिए एक आदर्श मॉडल भी रहीं हैं।
प्रारंभिक जीवन –
अंतिरक्ष यात्री कल्पना चावला का जन्म हरियाणा राज्य में स्थित एक छोटे से शहर करनाल में 1 जुलाई, 1961 को हुआ था। उनके माता-पिता, बनारसी लाल चावला और संज्योति थे जिनकी कल्पना के अलावा दो अन्य बेटियां औऱ एक बेटे थे।
कल्पना चावला की बहनों का नाम सुनीता और दीपा है जबिक उनके भाई का नाम संजय है। आपको बता दें कि कल्पना अपने भाई-बहनों में सबसे छोटी थी इसलिए उन्हें परिवार से ज्यादा लाड़-प्यार मिलता था और वे अपने चंचल स्वभाव से सभी को मोहित कर लेती थी इसलिए वे सबकी लाड़ली भी थी।
शिक्षा –
कल्पना चावला की प्रारंभिक शिक्षा करनाल के टैगोर पब्लिक स्कूल में हुई। कल्पना ने अपना लक्ष्य बचपन में ही निर्धारित कर लिया था। वे शुरु से ही एरोनॉटिक इंजीनियर बनना चाहती थी और अंतरिक्ष में यात्रा करने के सपने संजोया करती थी लेकिन उनके पिता चाहते थे कि कल्पना टीचर बने।
अपने सपने को सच में साबित करने के लिए कल्पना चावला ने चंड़ीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया और 1982 में उन्होनें एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी कर ली। उसी साल कल्पना चावला अमेरिका चलीं गईं।
उन्होनें 1982 में आर्लिंगटन में टेक्सास विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स करने के लिए एडमिशन लिया इसके बाद कल्पना चावला ने इसे 1984 में सफलतापूर्वक पूरा किया। इस बीच 1983 में उन्होनें जीन-पियरे हैरिसन से शादी भी की। वे एक उड़ान प्रशिक्षक (flying instructor ) और विमानन लेखक (aviation author) थे।
कल्पना चावला में शुरु से ही अंतरिक्ष में यात्रा करने की इच्छा इतनी प्रबल थी कि उन्होंने 1986 में ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ में दूसरा मास्टर्स भी किया और उसके बाद कोलराडो यूनिवर्सिटी ने उन्होनें ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ विषय में PHD की पढ़ाई पूरी की।
करियर –
कल्पना चावला एक प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक (flight instructor) थी। कल्पना चावला को हवाई जहाजों, ग्लाइडरो और व्यावसायिक विमानचालन के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़न प्रशिक्षक का दर्जा हासिल था। उन्हें एकल, बहु इंजन वयुयानो के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे।
कल्पना एक लाइसेंस प्राप्त तकनीशियन वर्ग की एमेच्योर रेडियो पर्सन थी जो कि संघीय संचार आयोग द्धारा प्रमाणित किया गया था।
एयरोस्पेस में अपनी कई डिग्री होने के वजह से, कल्पना चावला को नासा में 1993 में ‘अमेस रिसर्च सेण्टर’ में ‘ओवरसेट मेथड्स इंक’ के उपाध्यक्ष के रूप में नौकरी मिली। वहां उन्होंने वी/एसटीओएल में सीएफ़डी पर रिसर्च की।
कल्पना चावला वर्टिकल / शॉर्ट टेकऑफ और लैंडिंग पर कम्प्यूटेशनल तरल गतिशीलता अनुसंधान में व्यापक रूप से शामिल थीं। 1995 तक वह नासा ‘अंतरिक्ष यात्री कोर’ (एस्ट्रोनोट कॉर्प) का हिस्सा बन गई थी।
3 साल बाद, उसे अंतरिक्ष के शटल में पृथ्वी के चारों ओर यात्रा करने के लिए अपने पहले मिशन के लिए चुना गया था। इस ऑपरेशन में 6 अन्य सदस्य भी शामिल थे। इसमें कल्पना चावला स्पार्टन सैटेलाइट (Spartan Sarellite) के आयोजन करने के लिए ज़िम्मेदार सौंपी गई थी लेकिन खराब स्थिति के कारण वह अपनी भूमिका में असफल रही थी।
तकनीकी त्रुटियों के कारण, सैलेलाइट ने ग्राउंड स्टाफ और फ्लाइट क्रू सदस्यों के नियंत्रण को रोक दिया। लेकिन कल्पना चावला ने इसे सही साबित कर दिखाया।
दूसरी तरफ, कल्पना चावला अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली पहली भारतीय महिला और दूसरे भारतीय बन गईं। इससे पहले भारत के राकेश शर्मा ने साल 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा की थी।
आपको बता दें कि कल्पना चावला ने 10.4 मिलियन किमी (1 करोड़ मील) की अंतरिक्ष यात्रा की। यह लगभग पृथ्वी के चारों ओर 252 चक्कर लगाने के बराबर था। उन्होनें कुल 372 घंटे अंतरिक्ष में व्यतीत किए।
कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा (एसटीएस-87) के बाद इससे जुड़ी गतिविधियां पूरी करने के बाद कल्पना चावला को एस्ट्रोनॉट कार्यालय में ‘स्पेस स्टेशन’ पर कार्य करने की तकनीकी जिम्मेदारी सौंप दी गईं थी।
इसके बाद कल्पना चावला के उत्कृष्ट काम के लिए उन्हें सम्मानित किया गया था। साल 2000 में, कल्पना को उनके दूसरे अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुना गया। उन्हें कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-107 उड़ान के दल में शामिल किया गया।
इस मिशन में कल्पना को दी गई ज़िम्मेदारी में माइक्रोग्राइटी प्रयोग शामिल थे। अपने टीम के सदस्यों के साथ, उन्होंने उन्नत प्रौद्योगिकी विकास, अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य और सुरक्षा, पृथ्वी और अंतरिक्ष विज्ञान के अध्ययन पर विस्तृत शोध किया।
इस मिशन के दौरान, शटल इंजन प्रवाह लाइनर में कई तकनीकी खराबी और अन्य कारण पा गए थे। जिसकी वजह से ये अभियान में लगातार देरी की गई लेकिन इसके बाद इस मिशन को फिर से शुरु किया गया।
6 जनवरी 2003 को कल्पना ने कोलंबिया पर चढ़ कर एसटीएस-107 मिशन की शुरुआत की। उन्हें इस मिशन में उन्हें लघुगुरुत्व (माइक्रोग्राइटी) प्रयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी जिसके लिए उन्होनें अपनी टीम के साथ 80 प्रयोग किए।
इन प्रयोगों के जरिए पृथ्वी व अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत तकनीक विकास व अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य व सुरक्षा का भी अध्ययन किया गया। आपको बता दें कि कोलंबिया अन्तरिक्ष यान के इस अभियान में कल्पना चावला के साथ अन्य यात्री भी शामिल थे।
कोलंबिया STS107 में अंतरिक्ष यात्रा करने वाले 7 सदस्य – Columbia Space Shuttle Disaster Dead Bodies
कमांडर रिक डी. हस्बैंड, पायलट विलियम सी मैकूल, कमांडर माइकल पी एंडरसन, इलान रामों, डेविड एम ब्राउन, लौरेल क्लार्क, कल्पना चावला।
मृत्यु –
भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई। 16 दिन की अंतरिक्ष यात्रा पूरा कर लौट रहा अमरीकी अंतरिक्ष यान कोलंबिया में 1 फरवरी 2003 को धरती से 63 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी के वायुमंडल मे प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया।
और देखते ही देखते अंतरिक्ष यान और उसमें सवार सातों यात्रियों की मौत हो गई। नासा ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए यह एक दर्दनाक घटना थी।
आपको बता दें कि उस समय उस अंतरिक्ष यान की गति 20 हजार किलोमीटर प्रति घंटा थी। जबकि यान का मलबा अमरीका के टेक्सास शहर में गिरा।
कल्पना चावला की उपलब्धियां –
कल्पना चावला को भारत का गौरव कहा जाता है इसके साथ ही वे अन्य लड़कियों के लिए आदर्श थी। वे 372 घंटे में अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली पहली भारतीय महिला थीं और उन्होनें पृथ्वी के चारों ओर 252 चक्कर पूरे किए थे। उनकी उपलब्धियां भारत और विदेशों में कई अन्य लोगों के लिए एक प्रेरणा रही हैं। उसके नाम पर कई विज्ञान संस्थान हैं।
पुरुस्कार और सम्मान –
अपने जीवनकाल के दौरान, कल्पना चावला को तीन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, मरणोपरांत
- कांग्रेशनल अंतरिक्ष पदक के सम्मान।
- नासा अन्तरिक्ष उड़ान पदक।
- नासा विशिष्ट सेवा पदक।
एक नजर में –
- 1961: 1 जुलाई को हरियाणा के करनाल में पैदा हुईं।
- 1982: पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ से एरोनौटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की।
- 1982: आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका गयीं।
- 1983: उड़ान प्रशिक्षक जीन पिएर्र हैरिसन से विवाह किया।
- 1984: टेक्सास विश्वविद्यलय से ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ में मास्टर ऑफ़ साइंस किया।
- 1988: ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ विषय में शोध किया और पी.एच.डी. प्राप्त किया और नासा के लिए कार्य करने लगीं।
- 1993: ओवरसेट मेथड्स इंक में बतौर उपाध्यक्ष तथा अनुसन्धान वैज्ञानिक शामिल हुई।
- 1995: नासा के एस्ट्रोनॉट कोर्प में शामिल हुई।
- 1996: कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-87 पर वे मिस्सिओना स्पेशलिस्ट के तौर पर गयीं थी।
- 1997: कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-87 के द्वारा उन्होंने अंतरिक्ष में अपनी पहली उड़ान भरी।
- 2000: कल्पना को उनकी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा यानि कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-107 यात्रा के लिए चुना गया।
- 2003: 1 फरवरी को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी के परिमंडल में प्रवेश करते समय टेक्सास के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसके फलस्वरूप यान पर सवार सभी 6 अंतरिक्ष यात्री मारे गए।
कल्पना चावला ने भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं और उन्होनें यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किया है उनकी ईमानदारी, कठोर दृढ़संकल्प, और मजबूत इरादों के दम पर वे इस मुकाम तक पहुंची और बाकी लड़कियों के लिए आदर्श बनी।
मध्यम वर्गीय परिवार से होने के बावजूद कल्पना ने अपने सपने को पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी यहां तक कि जब वे अंतरिक्ष यात्रा पर गईं थी तब भारत का तंत्रज्ञान ज्यादा मजबूत नहीं था, साथ ही लोगों को अन्तरिक्ष की समझ भी नहीं थी। उस समय कल्पना चावला ने अन्तरिक्ष में जाकर पूरी दुनिया में अपनी सफलता का परचम लहराया। कल्पना चावला की प्रतिभा, लगन और उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।
FAQs
जवाब: दो बार, पहली बार साल १९९७ मे तथा दुसरी बार साल २००३ मे।
जवाब :- ३६ साल की आयु मे पहली बार कल्पना चावला अंतरीक्ष मे गई थी।
जवाब: कल्पना चावला।
जवाब: एरोनॉटिकल इंजिनीरिंग (वैमानिक अभियांत्रिकी)।
जवाब: भारत के हरयाणा राज्य के करनाल नामके जगह पर कल्पना चावला जी का जन्म हुआ था।
जवाब: स्पेस शटल कोलंबिया।
जवाब: हा, उडान प्रशिक्षक जीन पिएरे हैरिसन के साथ कल्पना चावला की शादी हुई थी।
जवाब: हा।
जवाब: राकेश शर्मा।
जवाब: कांग्रेशनल अंतरिक्ष पदक सम्मान, नासा अन्तरिक्ष उड़ान पदक, नासा विशिष्ट सेवा पदक।
Chawla was a good engineer.nd this story motivated for others
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