जयप्रकाश नारायण का जीवन परिचय

जयप्रकाश नारायण देश के महान राजनेता, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और प्रभावशील वक्ता थे। उन्हें लोकनायक के रुप में भी जाना जाता है। उन्होंने इंदिरा गांधी सरकार के अनैतिक और अलोकतांत्रिक तरीकों का जमकर विरोध किया और इंदिरा गांधी जी के इस्तीफे तक की मांग कर डाली।

हालांकि, इमरजेंसी के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा। वे एक क्रांतिकारी राजनेता के रुप में जाने जाते हैं, जिन्होंने देश के युवाओं को एकजुट कर ”शांतिपूर्ण संपूर्ण क्रांति” का भी आह्वान किया था और उन्हें राजनीति की तरफ जागृत किया, तो आइए जानते हैं लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें-

आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जयप्रकाश नारायण का जीवन परिचय – Jai Prakash Narayan in Hindi

Jayprakash Narayan

एक नजर में –

वास्तविक नाम (Name) जयप्रकाश नारायण
जन्मतिथि (Birthday) 11 अक्टूबर 1902, सितावदियारा, बिहार
पिता (Father Name) हरसू दयाल श्री वास्तव
माता (Mother Name) फूल रानी देवी
पत्नी (Wife Name) प्रभावती
शिक्षा (Education) एम.ए (समाज शास्त्र)
पुरस्कार/सम्मान (Awards) रेमन मैग्सेस पुरस्कार
मृत्यु (Death) 8 अक्टूबर 1979, पटना, बिहार, भारत

जन्म, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन –

भारत के स्वाधीनता आंदोलन में अपने प्रमुख सहभागिता निभाने वाले जयप्रकाश नारायण जी 11 अक्टूबर, 1903 में बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा में एक कायस्थ परिवार में जन्में थे।

इनकी मां का नाम फूल रानी देवी था और पिता का नाम हरसु दयाल श्री वास्तव था, जो कि स्टेट गवर्नमेंट के कैनल विभाग में नौकरी करते थे।

जयप्रकाश नारायण ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटना से की। उन्हे्ं शुरु से ही मैग्जीन और किताबें पढ़ने का बेहद शौक था। वहीं अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने कई बड़े लेखकों की पुस्तकें पढ़ी और हिन्दू धर्म के सबसे बड़े महाकाव्य श्री मदभगवदगीता का अध्ययन कर लिया था। वहीं किताबें पढ़ने से इनकी बौद्धिक क्षमता का भी काफी विकास हुआ था।

शिक्षा –

जब जयप्रकाश नारायण जी स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे तभी से उनके अंदर राष्ट्रभक्ति और देशप्रेम की भावना भरी हुई थी, जिसके चलते उन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में ब्रिटिश शैली के स्कूलों का बहिष्कार कर बिहार विद्यापीठ से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की।

इसके बाद उन्होंने अमेरिका की बरकली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और समाजशास्त्र विषय से अपनी एम.ए की डिग्री हासिल की। इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए कई कंपनियों और होटलों में भी काम किया था।

अमेरिका में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने महान दार्शनिक कार्ल मार्क्स की प्रसिद्ध रचना ”दास कैपिटिल” पढ़ी, और वे मार्क्सवादी विचारधारा से काफी प्रभावित भी हुए।

शादी, बच्चे एवं व्यक्तिगत जीवन –

जयप्रकाश नारायण जी जब पटना में कार्यकार के तौर पर नौकरी कर रहे थे, उस दौरान साल 1920 में ब्रज किशोर प्रसाद की बेटी प्रभावती देवी से उनकी शादी हो गई।

वहीं नौकरी की वजह से दोनों का एक साथ रहना मुमकिन नहीं था। प्रभावती जी और उनके परिवार के महात्मा गांधी जी से काफी अच्छे संबंध थे। इसलिए वे महात्मा गांधी जी के आश्रम में सेविका के रुप में काम करने लगी।

स्वाधीनता आंदोलन –

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब जयप्रकाश नारायरण स्वदेश लौटे, उस दौरान भारत की आजादी की लड़ाई अपने चरम सीमा पर थी, जिसके बाद जेपी ने स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने का फैसला लिया और साल 1932 में गांधी जी द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ चलाए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई।

जिसके चलते मद्रास में सितंबर, 1932 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारियों ने इन्हें क्रातिकारी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार भी कर लिया और फिर नासिक जेल में डाल दिया, जहां इनकी मुलाकात राम मनोहर लोहिया, अशोक मेहता, मीनू मस्तानी, सी के नारायणस्वामी, बसवोन सिंहा जैसे कई बड़े राजनेताओं से हुई।

वहीं इन नेताओं के विचारों से ही प्रभावित होकर उन्होंने कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी (सी.एस.पी.) का गठन किया गया, जिसके महासचिव जय प्रकाश नारायण को नियुक्त किया गया।

वहीं साल 1942 में जब महात्मा गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन चलाया था। इस दौरान जयप्रकाश नारायण जी ने भारतवासियों को आजादी की लड़ाई में भागीदारी निभाने के लिए प्रेरित किया।

इस दौरान भी ब्रिटिश पुलिस अधिकारियों ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया और हजारीबाग जेल में रखा। इस दौरान जेल के अंदर उन्होंने सूरज नारायण सिंह, शालिग्राम सिंह, गुलाब छंद गुफ्ता, योगेन्द्र शुक्ला समेत अन्य क्रांतिकारियों के साथ आजादी के आंदोलनों की योजना बनाई और ब्रिटिश पुलिस को चकमा देकर जेल से फरार होने में कामयाब हुए।

बिहार आंदोलन की शुरुआत –

15 अगस्त, 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद जयप्रकाश नारायण जी के भारत के सबसे बड़े श्रमिक दल का ‘ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन’ का अध्यक्ष बनाया गया। जहां उन्होंने करीब 5 साल तक सेवाएं थीं।

वहीं इस दौरान उन्होंने नोटिस किया कि भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो गया है, लेकिन देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक, स्थिति अभी भी बेहद खराब थी।

देश में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, जातिवाद जैसी तमाम समस्याएं फैली हुईं थी, जिसे देखते हुए जयप्रकाश नारायण ने युवाओं को इकट्ठा कर जनआंदोलन शुरु किया और साल 1974 में पटना में मौन जुलूस निकाला। इस जुलूस के दौरान सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों पर लाठियां भी बरसाई गई थीं।

वहीं धीरे-धीरे इस बिहार आंदोलन ने बड़ा रुप ले लिया और यह पूरे भारत में फैल गया। वहीं यह आंदोलन ”शांति संपूर्ण क्रांति ” आंदोलन के नाम से जाना जाता है।

इमरजेंसी के दौरान –

भारत के स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण पहले कांग्रेस के समर्थक थे, लेकिन आजादी के बाद इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान जब देश में बेरोजगारी, घूसखोरी, भ्रष्टाचार जैसी तमाम समस्याएं व्याप्त थीं।

इस दौरान जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी सरकार के भ्रष्ट और अलोकतांत्रिक तरीकों का काफी विरोध किया।

यहां तक कि उन्होंने विपक्ष नेताओं को एकजुट कर इंदिरा गांधी समेत कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की इस्तीफे तक की मांग कर डाली और पुलिस और आर्मी को इंदिरा सरकार के अनैतिक फैसलों को नहीं मानने की भी अपील की।

जिसके बाद देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 के दिन देश में आपातकाल लागू कर दिया और इस दौरान जयप्रकाश नारायण समेत तमाम विपक्षी नेताओं को गिरफ़्तार कर लिया। वहीं इसके 2 साल बाद 18 जनवरी, साल 1977 को इंदिरा गांधी सरकार ने देश से आपातकाल हटा दिया और फिर मार्च 1977 में चुनाव की घोषणा की।

वहीं इस चुनाव के दौरान लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जनता पार्टी का गठन किया गया और इनकी पार्टी ने इस चुनाव में जीत भी हासिल की। इस तरह जेपी के“संपूर्ण क्रांति आदोलन” के चलते भारत में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी। वहीं इस दौरान देश के युवा वर्ग  भी राजनीति के तरफ जागृत हुए।

निधन –

जयप्रकाश नारायण जी अपने पूरे जीवन भर देश के हित में कार्य करते रहे और समाज सेवा में लगे लगे। वहीं देश के आपातकाल के समय जेल में बंद रहने के दौरान उनका स्वास्थ्य काफी खराब हो गया और जिसके चलते उन्हें जेल से रिहा भी कर दिया गया।

हालांकि मेडिकल जांच के दौरान जेपी की किडनी खराब होने की बात सामने आई, जिसके बाद वे कई दिनों तक डायलिसिस पर ही रहे और फिर 8 अक्टूबर, 1979 को पटना में हार्ट अटैक के कारण उनकी मौत हो गई।

सम्मान/उपलब्धियां –

आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले जयप्रकाश नारायण द्वारा जन हित के लिए काम करने के लिए साल 1965 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

साल 1999 में जयप्रकाश नारायण को उनके द्वारा किए गए महान कामों के लिए भारत का सर्वोच्च समान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है।

जयप्रकाश नारायण जी के एफआईई फाउंडेशन की तरफ से राष्ट्रभूषण अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था।

धरोहर –

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले जयप्रकाश नारायण के सम्मान में उनके नाम पर कई संस्थाए, हॉस्पिटल और कॉलेज के नाम हैं।

देश के सबसे बड़ा ट्रॉमा सेंटर का नाम भी जय प्रकाश नारायण के नाम पर जयप्रकाश नारायण एपेक्स ट्रामा सेंटर रखा गया है।

बिहार के छपरा जिले में जेपी यूनिवर्सिटी का नाम जयप्रकाश नारायण के  नाम पर रखा गया है।

इसके अलावा दिल्ली में उनके नाम पर एलएन जेपी हॉस्पिटल और पटना में उनके नाम पर जय प्रभा हॉस्पिटल बनाया गया है।

जयप्रकाश नारायण जी धरती मां के सच्चे वीर सपूत थे, जो कि अपने पूरे जीवन भर देश के हित में काम करते रहे और उन्होंने गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी दिलवाने की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने हमेशा से निर्भीकता से अपने क्रांतिकारी विचारों को लोगों के सामने रखा और अपने प्रभावशील भाषणों से देश के युवाओं को प्रेरित किया।

हालांकि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई बार जेल की यातनाएं भी सहनी पड़ी, लेकिन वे कभी भी अपने कर्तव्यपथ से पीछे नहीं हटे और एक वीर की तरह लड़ते रहे। जयप्रकाश नायारण जैसे महान व्यक्तित्व से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है।

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