Jan Lokpal bill
कहते है कोई भी व्यवस्था पूर्ण रुप से सही नहीं होती है हर व्यवस्था में कोई ना कोई कमी होती है। और समय – समय पर इन कमियों के अत्यधिक उजागर होने पर जन आंदोलन होते है। यानी कि जब जनता अपने देश की कानून या राजनीतिक व्यवस्था से खुश नही होती है तो उन कमियों के खिलाफ जन आंदोलन करती है जिसे उन्हें परेशानी है।
ऐसा ही एक जन आदोंलन (Jan Lokpal bill Movement) कहे या फिर कभी ना भुलने वाला अनशन हुआ था। जिसमें समाजसेवक अन्ना हजारे ने अनशन पर बैठकर देश के लिए जनलोकपाल बिल (Jan Lokpal bill) की मांग की थी। इसमें अन्ना हजारे का साथ देने पूरे देश से लोग आए थे। इसके बाद संसद में यूपीए सरकार को सश्क्त लोकपाल बिल (Jan Lokpal bill)के गठन के लिए सहमत होना पड़ा।
लेकिन इसके बारे में आज भी बहुत कम लोग पूर्ण जानकारी रखते है। यानी कि हमसे ज्यादातर लोग ये तो जानते है कि देश में जनलोकपाल बिल की मांग उठ रही है लेकिन इस बिल के क्या – क्या फायदे है और क्या विशेषताएं है इसके बारे में बहुत कम लोग जानते है।
जनलोकपाल बिल क्या है? – What is the Jan Lokpal bill
जनलोकपाल बिल देश में नागरिकों द्वारा प्रस्तावित भ्रष्ट्राचारनिरोधी बिल है। ये जनलोकपाल की स्थापना का प्रवाधान करता है जो चुनाव आयोग की ही तरह एक स्वंतत्र संस्था है। जो बिना किसी की अनुमति के राजनेताओँ, नौकरशाहों के खिलाफ अभियोग चलाने का समर्थ रखता है।
आपको बता दें जनलोकपाल बिल को संतोष हेगड़े, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल ने मिलकर बनाया था। जिसके लिए साल 2011 में सामाजिक कार्यकर्ता ने अनशन किया था। जिसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने इस बिल को लेकर एक सशक्त लोकपाल बिल के गठन के लिए सहमत हुए।
जन लोकपाल से जुड़ी अहम बातें – Jan Lokpal Bill Facts
- जन लोकपाल बिल के अनुसार केंद्र में लोकपाल और राज्यों लोकायुक्त का गठन होगा। जो भ्रष्ट्राचारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगा।
- जनलोकपाल बिल के अनुसार मुकदमे की जांच 3 महीने के अंदर पूरी होनी चाहिए वही मामले की सुनवाई 7 महीने कमें पूरी हो जाएगी।
- दोषी पाए जाने पर आरोपी को 1 साल के अंदर जेल भेजा जाएगा।
- इस बिल के अंतर्गत नेता, अधिकारी और न्यायधीश सभी पर कार्यवाही की जा सकती है।
- दोषी के कारण सरकार को जो भी नुकसान होगा उसकी भरपाई भी दोषी को ही करनी होगी।
- यदि लोकपाल या लोकयुक्त के किसी अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज होती है तो अधिकारी के खिलाफ 2 महीने के अंतर्गत जांच पूरी कर उसे बर्खास्त किया जाएगा।
- लोकपाल या लोकयुक्त के अधिकारियों की नियुक्ति न्यायधीश, नागरिकों और संवैधानिक संस्थाओँ दारा मिलकर होती है इसमें नेता कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते है।
- इसके अलावा अगर किसी नागरिक का काम अधिकारी तय सीमा के अंदर नहीं करते है तो अधिकारी के खिलाफ जुर्माना लगाया जाएगा और नागरिक को उसका मुआवजा दिया जाएगा।
- लोकपाल लोकायुक्त संस्था चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट की ही तरह एक स्वंतत्र संस्था होगी।
- लोकपाल लोकायुक्त का गठन होने के बाद सीवीसी, विजिलेंस और सीबीआई के एँटी करप्शन विभाग का विलय भी इसमें हो जाएगा।
- लोकपाल विधेयक में उन लोगों को सुरक्षा देने का भी प्रस्ताव है जो भ्रष्ट्राचार के खिलाफ आवाज उठाएंगे।
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यह बहुत ज्ञानवर्द्धक आलेख है