Jaisalmer Fort History In Hindi
वैसे तो भारत में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर हैं, जिन्हें उनकी अद्भुत बनावट और अनोखी वास्तुशिल्प के चलते विश्व धरोहरों की लिस्ट में शुमार किया गया है। वहीं ऐसा ही एक किला राजस्थान में स्थित है – जैसलमेर का किला जो अलग-अलग विशेषताओं की वजह से जाना जाता है। यह किला दुनिया के सबसे बड़े किलों में से एक है और यह अपनी बनावट और कुछ खासियतों की वजह से बाकी किलों से एकदम अलग है।
इस किले के अंदर बेहद आर्कषक और खूबसूरत हवेलियां, बड़े-बड़े भवन, व्यापारियों और सैनिकों के सुंदर आवासीय परिसर एवं भव्य मंदिर बने हुए हैं। जो कि इस किले को अन्य किलों से अलग पहचान दिलवाती हैं।
जैसलमेर का यह भव्य किला इतिहास की कई बड़ी लड़ाईयों का भी ग्वाह बन चुका है। इस विशाल किला ने आजादी के बाद साल 1965 से 1971 के बीच हुए भारत-पाक के युद्ध में भी लाखों लोगों को संरक्षण देकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यही नहीं जैसलमेर का यह कला अपनी अद्बुत वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है।
जैसलमेर का किला भारतीय, इस्लामी और फारसी वास्तुशैली का बेजोड़ मिश्रण है। इस किले को पीले रंग के पत्थर और पीली रेत से निर्मित किया गया है, जो कि इस किले को पीला और सुनहरा रंग की सोने की तरह चमक देते हैं।
जो कि देखने में बेहद आर्कषक और मनोरम लगता है। इस किले को गोल्डन फोर्ट और सोनार दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है। अपनी भव्यता और खूबसूरती की वजह से यह राजस्थान के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक हैं, वहीं इतिहास में इस किले का अपना एक अलग महत्व है, चलिए जानते हैं विश्व विरासत की सूची में शामिल जैसलमेर के किले के बारे में –
शानदार जैसलमेर किले का इतिहास – Jaisalmer Fort History In Hindi
भारत यह विशाल जैसलमेर का किला राजस्थान के जैसलमेर में थार मरुस्थल के त्रिकुटा पर्वत पर बना हुआ है। इस किले को 1156 ईसवी में एक राजपूत योद्धा ”रावल जैसल” द्धारा बनवाया गया था। यह किला कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक लड़ाईयों की भी ग्वाही देता है। हालांकि, इस किले के निर्माण को लेकर कई ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं।
इतिहासकारों के मुताबिक गौर के सुल्तान उद-दीन मुहम्मद ने अपने प्रदेश को बचाने के लिए राजपूत शासक रावल जैसल को अपने एक षड्यंत्र में फंसा लिया और उन पर आक्रमण कर दिया और फिर उनके किले पर अपने डोरे डालकर इसे लूट लिया।
इसके साथ ही उन्होंने उस किले में रह रहे लोगों को जबरन बाहर निकाल दिया, एवं उस किले को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। जिसके बाद सम्राट जैसल ने त्रिकुटा के पहाड़ पर एक नया किला बनाने का फैसला लिया, इसके लिए उन्होंने पहले जैसलमेर शहर की नींव रखीं और फिर उसे अपनी राजधानी घोषित किया।
हालांकि, इसके बाद भी राजा रावल जैसल का इस किले पर अधिकार नहीं रहा। दरअसल, 1293-1294 ईसवी में राजा जैसल का उस समय दिल्ली की सल्तनत संभाल रहे सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के साथ संघर्ष हुआ, जिसमें राजापूत शासक रावल को पराजय का सामना करना पड़ा, वहीं उनकी इस हार के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने जैसलमेर के किला पर अपना कब्जा कर लिया और करीब 9 साल तक अलाउद्दीन खिलजी का इस किले में अपना शासन करता रहा।
इसके बाद जैसलमेर किला पर दूसरा हमला मुगल सम्राट हुमायूं के द्धारा 1541 ईसवी में किया गया। वहीं राजा रावल ने मुगल शासकों की शक्ति और ताकत को देखते हुए मुगलों से दोस्ती करने का फैसला लिया, और मुगलों के साथ अपने रिश्ते अच्छे करने के लिए राजा रावल ने अपनी बेटी का विवाह मुगल सम्राट अकबर के साथ करवा दिया।
वहीं इस किले पर 1762 ईसवी तक मुगलों का शासन रहा। फिर इसके बाद जैसलमेर के किले पर महाराज मूलराज ने अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया, वहीं 1820 ईसवी में मूलराज की मौत के बाद उनके पोत गज सिंह ने जैसलमेर की इस भव्य किला पर अपना कब्जा किया।
जैसलमेर किले ने भारत-पाक युद्ध ने कई लोगों को दी शरण
जैसे ही भारत में ब्रिटिश शासकों ने अपना शासन चलाया वैसे ही बॉम्बे बंदरगाह पर समुद्री व्यापार शुरु किया गया, ऐसे में बॉम्बे ने तो खूब तरक्की की लेकिन जैसलमेर की हालत और भी ज्यादा खराब होती चली गई।
वहीं भारत की आजादी के बाद भारत- पाक के बीच बंटवारा हुआ, लेकिन पाकिस्तान ने फिर से अपने नापाक इरादों के साथ हिंदुस्तान पर पहले साल 1965 में और फिर साल 1971 में हमला कर दिया, हालांकि इस युद्ध में भारत के वीर जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया।
आपको बता दें कि भारत-पाक के बीच यह युद्द जैसलमेर में लड़ा गया, ऐसे में इस युद्ध के दौरान वहां के लोगों की सुरक्षा को लेकर जैसलमेर की पूरी आबादी को इस भव्य किले के अंदर भेजने का फैसला लिया गया। दरअसल, जैसलमेर का किला इतना भव्य और विशाल है कि इस किले में उस समय करीब 4 हजार से भी ज्यादा लोग आ सकते थे। तो इस तरह जैसलमेर के किले ने भारत-पाक के बीच हुए युद्ध में जैसलमेर के लोगों को शरण देकर उनकी जान की रक्षा कर अपनी महानता प्रकट की है।
जैसलमेर किला की अनूठी वास्तुकला – Jaisalmer Fort Architecture
राजस्थान के जैसलमेर में स्थित इस किला का न सिर्फ ऐतिहासिक महत्व है, बल्कि यह अपनी अनूठी और बेजोड़ वास्तुकला के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है। इस किले का निर्माण भारतीय, इस्लामी और फारसी वास्तुशैली के मिश्रण से किया गया है।
इस किले के निर्माण में पीले रंग की रेत और पीले पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, वहीं जब इसमें दिन में सूर्य की रोश्नी पड़ती है तो यह सोने की तरह चमकता है, इसलिए यह गोल्डन फोर्ट और सोनार दुर्ग के नाम से भी मशहूर है। वहीं इस किले की खूबसूरती को देखने के लिए देश से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं।
76 मीटर ऊंचे इस विशाल जैसलमेर दुर्ग की लंबाई 460 मीटर और चौड़ाई 230 मीटर है। इस किले में 4 भव्य और विशाल प्रवेश द्धार है, जिसमें से एक द्धार पर तोपे भी लगी हुईं हैं।
वहीं इस किले में बना भव्य राजमहल और सुंदर- सुंदर हवेलियां और विशाल मंदिर इस किले की सुंदरता पर चार चांद लगाती हैं। इस विशाल किले में बनी हवेलियों की इमारत बहुमंजिला हैं, जिसे शाही अंदाज में बनाया गया है, इस किले की खिड़की और दरवाजों को भी बेहद खास तरीके से डिजाइन किया गया है, जिसमें आर्कषक कलाकृतियां भी हैं। इसके साथ ही कई हवेलयां इसके आर्कषण की वजह से म्यूजियम भी बन चुकी हैं।
इसके साथ ही इस किले के अंदर एक विशाल लक्ष्मीनाथ जी का मंदिर भी बना हुआ हैं, इस मंदिर में बने चित्रों में प्राचीन परंपरा और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। यही नहीं इस शाही महल के अंदर एक विशाल लाइब्रेरी भी बनाई गई है, जहां कई प्रचीन और पुरातत्व से संबंधित किताबें रखी गईं हैं। इसके अलावा जैसलमेर के इस किले में बेहद शानदार जलनिकासी सिस्टम भी है, जिसें घूंटनाली नाम दिया गया है, जो कि बारिश के पानी को चारों दिशाओं में किले से दूर ले जाता है।
जैसलमेर के इस शाही किले तक कैसे पहुंचे – How To Reach Jaisalmer Fort
इस भव्य जैसलमेर के किला तक सड़क, रेल और वायु तीनों मार्गों के माध्यमों से पहुंचा जा सकता है। यह तीनों मार्गों से बेहद अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां तक पहुंचने के लिए कई निजी और सरकारी बस सेवाएं भी हैं। यहां दो मुख्य बस स्टैंड बने हुए हैं। इसके अलावा कई ट्रेन जैसलमेर के रास्ते से जाती है। जिससे पर्यटक आसानी से यहां सार्वजनिक या फिर अपने निजी वाहनों से पहुंच सकते हैं।
जैसलमेर का भव्य किला न सिर्फ इसके ऐतिहासिक महत्व की वजह से प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी अनूठी और बेजोड़ वास्तुकला भी पर्यटकों को अपनी तरफ आर्कषित करती है। इसी वजह से जैसलमेर का यह किला मुख्य पर्यटन स्थलों में शुमार हैं।
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Durg ka es prakar sae itni achhi halt main dekh kar mujhe bharat per bahut garv hota hai.itni achhi halt main purae bharat main killon ki halt honi chahia.
Jaislmer ka kila very nice fort
ये कहानी अच्छी है ! लेकिन 1617 ई. में राजमालदेव के समय शहजादा पठान अमीरअली ने जैसल गढ़ को चारो ओर से घेरा था तब छत्रपति आलजी ने जैसलमेर दुर्ग को बचाया था उस कहानी का भी जिक्र कीजियेगा
I like this supar
Aapki jaisalmer fort ke bareme batayi hui jankari hame achchi lagi, bharat ka itihas har kisi ko pata hona chahiye, aap bharat ke itihas ki jankari ham tak pahuchane ka achcha kam kar rahe hain, dhanyavad……………..
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