जय विलास पैलेस, ग्वालियर | Jai Vilas Palace Gwalior

Jai Vilas Palace – जय विलास महल को जय विलास पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। यह 19 वी शताब्दी में भारत के ग्वालियर में बना एक पैलेस है। इसकी स्थापना 1874 में ग्वालियर के महाराजा जयाजिराव सिंदिया ने की थी। आज भी शाही मराठा सिंदिया साम्राज्य के लोग यहाँ रहते है।

Jai Vilas Palace

जय विलास पैलेस, ग्वालियर – Jai Vilas Palace Gwalior

यूरोपियन आर्किटेक्चर के यह एक उत्तम उदाहरण है, जिसे निर्माण सर माइकल फिलोसे ने किया था। पैलेस बहुत सी आर्किटेक्चरल शैलियों का मिश्रण है, जिसकी पहली मंजिल टस्कन, दूसरी इटालियन-डोरिक और तीसरी कोरिंथियन शैली में बनी हुई है।

इतिहास:

इसका निर्माण सदियों पहले 1874 में महाराजा जयाजिराव सिंदिया ने करवाया था। जय विलास पैलेस शाही सिंदिया परिवार के लोगो का घर हुआ करता था। जय विलास पैलेस के कुछ भाग को बाद में राजमाता श्रीमंत विजयराजे सिन्दियाँ ने म्यूजियम में परिवर्तित कर दिया था।

यह सब कुछ श्रीमंत जीवाजीराव सिंदिया की याद में किया गया था। इसके बाद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारत के राष्ट्रपति ने भी एच.एच. महाराजा जीवाजीराव सिंदिया म्यूजियम की स्थापना 12 दिसम्बर 1964 को की थी।

जय विलास पैलेस का क्षेत्रफल 1,240,771 वर्ग फीट में फैला हुआ है और साथ ही यह दरबार हॉल के लिए प्रसिद्ध है।

दरबार हॉल को स्वर्ण आभुषण और सोने के पानी से सजाया गया है। साथ ही हॉल में एक विशालकाय झूमर और विशाल कारपेट भी बिछा हुआ है। यह महल 100 फीट लंबा, 50 फीट चौड़ा और 41 फीट ऊँचा भी है।

माना जाता है की दरबार से 8 हाथियों को बर्खास्त कर दिया गया। लेकिन इससे जुड़े कोई पुख्ता सबूत इतिहास में मौजूद नही है।

साथ ही विचित्र वस्तुओ से ही पूरा कमरा भरा हुआ है: जिसमे कट-गिलास फर्नीचर, भरवां बाघ और महिला द्वारा स्विमिंग पूल में चलायी जा रही बोट शामिल है।

गुफाओं वाले भोजन कक्ष में भी एक मॉडल रेल्वे को प्रदर्शित किया गया है। जो एक जगह से दूसरी जगह पर भोजन पहुचाने का काम करती है।

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