INS Vikramaditya
जब भारत देश की सीमाओं पर निगरानी मुमकिन होती है तो सिपाहियों का मनोबल खुद ब खुद बढ़ जाता है। हमारी वायुसेना के जहाज आईएनएस विक्रमादित्य – INS Vikramaditya की क्षमता हमारी नौसेना का मनोबल बढाती है। इस जहाज की खास बात ये है की 500 किलोमीटर की दूरी तक कोई भी गतिविधि इस युद्धपोत की नजर से नहीं बच सकती है।
आईएनएस विक्रमादित्य के बारे में रोचक बातें जो आपको जाननी चाहियें! – INS Vikramaditya
हमारा देश तीनो और से समुन्दर की लहरों से घिरा हुआ है व सबसे ज्यादा व्यापार समुद्री सीमाओं से किया जाता है। INS Vikramaditya – विक्रमादित्य एक नौसेनिक जहाज है जोकि समुद्री खतरों से हमारी रक्षा करता है। इसे रूस से 2008 में ख़रीदा गया था।
इसे 16 नवंबर 2013 को भारतीय बेड़े में शामिल किया गया था। विक्रमादित्य एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब होता है “सूर्य की तरह प्रतापी”।
आइये जानते है आईएनएस विक्रमादित्य से जुडी कुछ खास बाते – Interesting Fact about INS Vikramaditya
- इसका निर्माण 1978 से 1982 के बीच हुआ था।
- इसका वजन 44570 टन है जोकि जहाज में ज्यादा यन्त्र उपस्थित होने के कारण है।
- आईएनएस विक्रमादित्य को रूस में तैयार किया गया था। इसको खरीदने के लिए भारतीय सरकार ने 15000 करोड़ में सौदा किया था।
- इस जहाज में लहभग 1600 से लेकर 1800 सैनिको की तैनाती रहती है।
- भारतीय नौसेना में शामिल करने से पहले इस जहाज को बाकू व एडमिरल गोर्शकोव के नाम से जाना जाता था।
- आईएनएस विक्रमादित्य की ऊँचाई 60 मीटर (20 मंजिला) है।
- यह समुन्दर की लेहरो पर 54 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से चलने में सक्षम है।
- आईएनएस विक्रमादित्य मॉडर्न कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस है जिसकी वजह से यह मिग 29 के साथ बेहद मजबूत किलेबंदी करता है।
- इसे रूस द्वारा तैयार किया गया था व यह सिर्फ 6 महीने रूसी बेड़े में रहा है और भारतीय नौसेना में यह अपनी नयी भूमिका निभा रहा है।
- इस जहाज की खास बात ये है की यह 500 किमी में आने वाली गतिविधियों व दुश्मनो का पता लगा लेता है।
- यह एक लड़ाकू जहाज है व माइक्रोवेव लैंडिंग सिस्टम की वजह से इनकी लैंडिंग कई हालातो में मुमकिन होती है।
बाकू से विक्रमादित्य बनाने के लिए इस जहाज में कई सारे बदलाव किये गए है। किसी भी देश की सुरक्षा में नौसेनिक बेड़े की भूमिका सबसे अहम होती है।
इस समय अमेरिका के पास 11 ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट मौजूद है। इस जहाज के साथ ही भारत अब इटली के बराबर है जिनके पास अब 2 ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट है।
भारतीय समुद्री तटों की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए व आतंकी खतरों को देखते हुए भारत के पास सिर्फ एक ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट आईएनएस विराट था जोकि अब तक समुद्री खतरों से हमारी रक्षा करता हुआ आया है आईएनएस विक्रमादित्य की मौजूदगी के बाद नौसेना के मनोबल को बहुत बढ़ावा मिला है।
वर्ष 1996 में गोर्शकोव जोकि इसका पहला नाम है, निष्क्रिय हो गया था क्योकि उस समय इस जहाज से काम लेना बजट से महंगा पड़ रहा था।
भारत अपनी वाहक विमानन क्षमता में इजाफा करने के लिए कोई विमान तलाश रहा था तभी भारत की नजर इसपर पड़ी।
वर्षो बाद लम्बी बातचीत चलने के बाद 20 जनवरी 2004 को भारत व रूस ने इसके सौदे पर हस्ताक्षर किये।
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ins vikrant ke bare me apne kaafi kuch samjhaya hai thanks.