Indian National Army
Azad Hind Fauj – आजाद हिंद फौज सरकार को हाल ही में 75 साल पूरे हो चुके है। आजाद हिंद फौज सरकार आजाद हिंद फौज का हिस्सा है जिसे भारत की पहली फौज माना जाता है। आजाद हिंद फौज को ब्रिटिश से भारत को आजाद कराने के लिए बनाया गया था। लेकिन समय के साथ लोग आजाद हिंद फौज के बारे में भुलते जा रहे है जिस वजह से आजाद हिंद फौज से जुड़ी बहुत सी अहम बातों के बारे में लोगों को नहीं पता है। जबकि आजाद हिंद फौज और सुभाष चंद्र बोस का भारत की आजादी में बहुत अहम योगदान रहा है। और उनके बलिदान को किसी भी हाल में भुलाया नहीं जा सकता है। चलिए आपको बताते है आजाद हिंद फौज भारत के इतिहास – Indian National Army History में इतनी खास और अहम क्यों है।
आजाद हिंद फौज का इतिहास – Indian National Army History
आजाद हिंद फौज की स्थापना साल 1942 में जापान की राजधानी टोक्यो में रासबिहारी बोस (Rash Behari Bose) द्वारा की गई थी। रासबिहारी बोस ने आजाद हिंद फौज को जापान द्वारा इकठ्ठा किए 40 हजार भारतीयों की मदद से बनाया था जिसमें से अधिकतर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान द्वारा बंदी बनाए गए भारतीय थे और कुछ बर्मा (आज का म्यांमार) और मालवा में स्वंयसेवक भारतीय थे। जो आजादी के लिए सेना में भर्ती हुए थे।
आजाद हिंद फौज की स्थापना के एक साल बाद साल 1943 में जापान के रेडियो पर रासबिहारी बोस ने सुभाष चंद्र बोस का भाषण सुना। जिसमें सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि हम इस बात कि उम्मीद बिल्कुल न रखें कि वो स्वंय भारत छोड़ देंगे। हमें देश के बाहर और भीतर से स्वंतत्रता की लड़ाई लड़नी होगी।
सुभाष चंद्र बोस के भाषण से प्रभावित होकर रासबिहारी बोस ने 4 जुलाई साल 1943 को सुभाष चंद्र बोस को आजाद हिंद फौज की कमान सौंप दी। सिंगापुर के टाउन हॉल में सुभाष चंद्र बोस को आजाद हिंद फौज का कंमाडर घोषित किया गया। सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज ने सबसे पहले अंडमान और निकोबार पर कब्जा किया औ वहां पर अपना ध्वज फहराया। इसके बाद भारत क पूर्वी क्षेत्र कोहिमा और पलेल में भी जीत हासिल की।
लेकिन इसके बाद पासा पलट गया। दरअसल आजाद हिंद फौज की मदद कर रहा जापान और जर्मनी दोनों ही दूसरे विश्व युद्ध में हार गए। जिस वजह से आजाद हिंद फौज को भी दोबारा जापान लौटना पड़ा इसी दौरान प्लेन हादसे में सुभाष चंद्र बोस की मौत हो गई। आजाद हिंद फौज भले ही उस वक्त पूरी तरह सफल नहीं हो पाई हो। लेकिन उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।
आजाद हिंद फौज से जुड़ी अहम बातें – Indian National Army Facts
- आजाद हिंद फौज की स्थापना रासबिहारी बोस ने की थी।
- 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के सेनापति होने के नाते स्वतंत्र भारत की पहली अस्थायी सरकार बनाई थी। जिसे जर्मनी, जापान, कोरिया, चीन, इटली, फिलीपीन्स और आयलैंड ने मान्यता दी थी।
- स्वंतंत्र भारत की अस्थायी सरकार आजाद हिंद फौज को जापान ने अंडमान निकोबार द्वीप दिया था। जिनके नाम बदलकर सुभाष चंद्र बोस ने शहीद द्वीप और स्वराज्य द्वीप रखा था।
- 21 मार्च 1944 को चलो दिल्ली के नारे के साथ आजाद हिंद फौज ने भारत की धरती पर कदम रखा था।
- सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रीय आजाद बैंक और स्वाधीन भारत के लिए अपनी अलग मुद्रा के निर्माण के आदेश दिए थे।
- सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज में महिला रेजिमेंट की स्थापना भी की थी। जिसे रानी झांसी रेजिंमेंट कहा जाता था। इसकी कमान कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन को सौंपी गई थी। 22 अक्टूबर 1943 को रानी झांसी रेजिमेंट को भी 75 साल पूरे हो गए हैं।
- सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद नाम से एक पत्रिका और आजाद रेडियो की भी स्थापना की थी।
- अमरीका दारा हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिरने से जापान में दो लाख लोग मारे गए थे जिस वजह से जापान को आत्मसमर्पण करना पड़ा। और इसका असर आजाद हिंद फौज पर भी पड़ा। आजाद हिंद फौज को भी भारत में आत्मसमर्पण करना पड़ा। जिस कारण लाल किले पर आजाद हिंद फौज पर मुकदमा चला।
- आजाद हिंद फौज में शहीद हुए सैनिकों के लिए 22 सितम्बर 1944 को शहीदी दिवस मनाते हुए सुभाष चंद्र बोस ने तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया था।
- आजाद हिंद फौज के गुमनाम शहीदों के नाम सिंगापुर के एस्प्लेनेड पार्ट में आईएनए वार मेमोरियल बनाया गया था। लेकिन इसे ब्रिटिश के सिंगापुर पर कब्जे के बाद ध्वस्त कर दिया गया था। जिसके बाद साल 1995 में सिंगापुर में रह रहे भारतीयों की मदद से सिंगापुर की राष्ट्रीय धरोहर परिषद नेशनल हैरिटेज बोर्ड ने आईएनए वार मेमोरियल दोबारा बनाया। जिसकी सुरक्षा अब सिंगापुर सरकार करती है।
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