Important interesting facts about Swami Vivekananda
स्वामी विवेकानंद एक भारतीय सन्यासी थे। हिंदुत्वता में जागरूकता फैलाने और पाश्चिमात्य देशो को योगा और वेदांत का ज्ञान देने के लिये वे प्रसिद्ध है। आज उनके बारे में इस लेख में कुछ रोचक तथ्य को जानते हैं।
स्वामी विवेकानंद के बारे में रोचक तथ्य | Interesting facts about Swami Vivekananda
- स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्ता था। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के बंगाली परिवार में हुआ था। उस समय भारत पर ब्रिटिशो का राज था और कलकत्ता उस समय भारत की राजधानी थी।
2. उनके पिता विश्वनाथ दत्ता कलकत्ता हाई कोर्ट में काम करते थे और उनकी माता गृहिणी थी।
3. विवेकानंद एक साधारण बालक थे लेकिन उन्हें पढने में काफी रूचि थी। उन्हें वेद, उपनिषद, भगवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराण में काफी रूचि थी।
4. नरेन्द्रनाथ इश्वर चन्द्र विद्यासागर इंस्टिट्यूट में पढ़ते थे। बाद में उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से एंट्रेंस की परीक्षा पास की। उन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज से पश्चिमी इतिहास और पश्चिमी दर्शनशास्त्र का भी अभ्यास कर रखा था। 1884 में उन्होंने अपनी बैचलर की डिग्री पूरी की।
5. बाद में विवेकानंद ब्रह्म समाज के सदस्य बने और भगवान् को पाने के रास्ते ढूंडने लगे।
6. विवेकानंद हमेशा लोगो से उनके भगवान और धर्म पर विचारो को पूछते है, लेकिन किसी भी व्यक्ति का जवाब उन्हें संतुष्ट नही कर पाता। उन्हें अपने प्रश्न का जवाब रामकृष्ण से मिला। नवम्बर 1881 में पहली बार वे स्वामी रामकृष्ण से मिले थे। और यही उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट भी था। तभी से उन्होंने रामकृष्ण को अपना गुरु माना था।
7. 16 अगस्त 1886 को रामकृष्ण की मृत्यु हो गयी। रामकृष्ण ने विवेकानंद को सिखाया था की इंसानों की सेवा करना भगवान् की पूजा करने से भी बढ़कर है।
8. रामकृष्ण की मृत्यु के बाद, विवेकानंद ने रामकृष्ण की जवाबदारिया अपने सिर ले ली। उन्होंने उनके मठ को बारानगर में स्थानांतरित किया। 1899 में बारानगर का मठ बेलूर में स्थानांतर हुआ। और अब वह मठ बेलूर मठ के नाम से भी जाना जाता है।
9. नरेन्द्रनाथ से विवेकानंद का नाम उन्हें खेत्री के महाराजा अजित सिंह ने दिया था।
10. 1888 में विवेकानंद ने भारत भ्रमण शुरू किया। 5 सालो तक वे पुरे भारत में घूमते रहे और भारत में अलग-अलग तरह के लोगो के साथ रहे।
11. जुलाई 1893 में विवेकनन्द शिकागो गये। उस समय वहा विश्व सर्व धर्म सम्मलेन का आयोजन किया गया था। लेकिन किसी वजह से उन्हें पहले बोलने का अवसर नही दिया गया। लेकिन बाद में कुछ समय बाद प्रोफेसर जॉन हेनरी की सहायता से उन्हें बोलने का मौका मिल ही गया।
12. 11 सितम्बर 1893 को विश्व धर्म सम्मलेन में उन्होंने हिंदुत्वता पर अपना पहला भाषण दिया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुवात “सिस्टर एंड ब्रदर्स ऑफ़ अमेरिका” से की। ये सुनते ही वहा उपस्थित सभी लोगो ने उनके लिये खड़े होकर जोरो से तालिया बजायी। उस समय लगभग वह 7 हज़ार लोग एकत्रित हुए थे।
13. शिकागो के भाषण के बाद, उन्होंने विश्व भर में काफी भाषण दिए और बहोत से लोगो से मिले। जैसे की भगिनी निवेदिता, मैक्स मुलर, पॉल ड्यूसेन इत्यादि।
14. 1897 में वे भारत वापिस आये। भारत में भी उन्होंने काफी भाषण दिए। वे सामाजिक मुद्दों पर भी भाषण दिया करते थे। उस समय उनके भाषणों का महात्मा गांधी, सुभास चन्द्र बोस जैसे नेताओ पर काफी प्रभाव पड़ा था।
15. 1 मई 1897 को उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
16. 1899 में ख़राब हालत होते हुए भी उन्होंने दक्षिण की यात्रा की। अपनी इस यात्रा में उन्होंने सेन फ्रांसिस्को और न्यू यॉर्क में वेदांत सोसाइटी की स्थापना की और कैलिफ़ोर्निया में शांति आश्रम की स्थापना की।
17. उन्होंने बहोत सी किताबे लिखी है – कर्म योग (1896), राज योग (1896), वेदांत शास्त्र (1896), कोलम्बो से अल्मोरा तक के भाषण (1897), भक्ति योग इत्यादि।
18. 4 जुलाई 1902 को 39 साल की आयु में बेलूर मठ में ही स्वामी विवेकानंद की मृत्यु हो गयी। उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रिय युवा दिन के रूप में मनाया जाता है।
और अधिक लेख:
- स्वामी विवेकानंद की प्रेरक जीवनी
- स्वामी विवेकानंद के जीवन के 11 प्रेरणादायक संदेश
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कमाल है, इतनी कम उम्र में कितने महान कर्म कर गए स्वामी विवेकानंद
भारत का इतिहास भरा हुआ है ऐसे तेजस्वी पुरुषों से
बढ़िया जानकारी !
apke blog ke madhyam se swami vivekanand ji ke baare ma padkar bahut achha laga
सच में काफी रोचक तथ्य लिखे हैं अपने स्वामी विवेकानंद जी के बारे में सर
मै आपके ब्लॉग पर गेस्ट पोस्ट कर सकता हु क्या ?
Yasir Khan Saqlaini Ji,
Ji ha aap bilkul guest post kar sakate hain, check this page – http://www.gyanipandit.com/guest-postings/
Bahut hi badhiya jankari
स्वामी जी पर अच्छी जानकारी दी गई है। धन्यवाद।