Jhulelal – झूलेलाल सिंधी लोगो के इष्ट देव है। उन्हें वरुण का देवता कह जाता हैं। इस सिन्धी के भगवान का अवतरण 10 वी शताब्दी के आस-पास धर्म के लिए हुआ था।
सिंधी लोगो के इष्ट देव झूलेलाल – History of Jhulelal
हिन्दू परंपरा के अनुसार, मिर्ख्शाह नमक अत्याचारी मुस्लिम शासक ने स्थानिक हिन्दुओ को 24 घंटे के भीतर मुस्लिम धर्म ग्रहण करने की धमकी दे रखी थी झूलेलाल सिंधी लोगो के इष्ट देवता है।
इससे घबराकर स्थानिक हिन्दू सिन्धु नदी के तट पर जाकर प्रार्थना करने लगे और जब उन्हें हिन्दू देवता वरुण दिखाई दिए और उन्होंने अपनी समस्याओ को उनके सामना रखा और वरुण देव स्वयं नसीरपुर में अवतरित हुए।
नवजात झूलेलाल का जन्म हिन्दू माह चैत्र के पहले दिन हु हुआ। शिशु के जन्म की खबर सुनते ही मिर्ख्शाह ने अपने मंत्री अहिरियो को उस बालक को जहर देकर मारने का आदेश दे दिया। जब अहिरियो ने उस नवजात शिशु को देखा तो झूलेलाल मुस्कुराये और जहर की बोतल भी अहिरियो के अधिकार से छुट गयी।
दूसरी बात जब अहिरियो ने झूलेलाल को देखा तो वह नवजात शिशु युवावस्था में परिवर्तित हो रहा था। अहिरियो को यह सब देखकर अपनी आँखों पर भरोसा ही नही हो रहा था।
इसके बाद अहिरियो ने वापिस जाकर यही कथा मिर्ख्शाह स्सको सुनाई, जिसने अहिरियो की काफी आलोचना की और उसे दरबार से चले जाने के लिए कहा और झूलेलाल को नदी के तट से बुलाने के लिए कहा।
अहिरियो ने जैसे ही झूलेलाल को बुलाया वैसे ही नदी के बीच से घोड़े की पीठ पर बैठा योद्धा अवतरित हुआ। यह सब देखते ही भीगी बिल्ली बनकर अहिरियो ने झूलेलाल से उसकी सेना को नियंत्रित करने की प्रार्थना की।
इसके बाद झूलेलाल पुनः नदी में चले गये और अहिरियो वापिस जाकर मिर्ख्शाह को कथा सुनाने लगा। इसके बाद मिर्ख्शाह उलझन में पड़ गया, लेकिन उसने झूलेलाल को अपने दरबार में आमंत्रित किया, ताकि वह बलपूर्वक झूलेलाल को इस्लाम धर्म कबूल करने को कहे।
कहा जाता है की इसके बाद झूलेलाल गायब हो गये और इससे मिर्ख्शाह उत्साहित हो गया। फिर मिर्ख्शाह ने सभी हिन्दुओ को तुरंत इस्लाम धर्म कबूल करने का आदेश दिया। इसके बाद सारे हिन्दू झूलेलाल के जन्मस्थान नसीरपुर में जाने लगे और वहां नवजात शिशु के रूप में उन्होंने झूलेलाल को पाया।
उस नवजात शिशु ने परेशान हिन्दुओ को सांत्वना दी और उन्हें नदी के तट पर बने मंदिर के पास इकठ्ठा होने के लिए कहा। इकठ्ठा होने के बाद सभी ने मिर्ख्शाह के महल को चारो तरफ से घेर लिया।
इससे घबराकर राजा नदी के तट पर चला गया, जहाँ उसे झूलेलाल दिखे। झूलेलाल का विस्तृत और विशाल रूप देखते ही मिर्ख्शाह उनके चरणों में जा गिरा और झूलेलाल फिर गायब हो गये।
1356 में उन्ही के मकबरे के पास झूलेलाल का एक मंदिर भी बनाया गया। हर गुरुवार हजारो श्रद्धालु मकबरे के दर्शन के लिए आते है और इस्लामिक लूणार कैलेंडर के आंठवे माह में 18 वे दिन उर्स उत्सव का आयोजन किया जाता है।
सिंधी लोगो के उत्सव – jhulelal festival
चेटी चंड – Cheti Chand
हिन्दू चैत्र माह में वसंत ऋतू में चेटी चंड उत्सव मनाया जाता है, विशेषतः सिंधी समुदाय के लिए इस उत्सव को उडेरोलाल के जन्मदिन के रूप में मनाते है। कहा जाता है की हिन्दू वरुण देवता को प्रार्थना करने के बाद जब अत्याचारी मिर्ख्शाह से बचाने के लिए स्वयं भगवान अवतरित हुए थे। भगवान द्वारा लिया गया यह अवतार झूलेलाल के नाम से जाना जाने लगा और फिर वे सिंधी हिन्दू के रक्षक बन गये। इसी किंवदंती के आधार पर उडेरोलाल का जन्मदिन महोत्सव मनाया जाता है।
चालिया साहीब – chaliya sahib
चलिओ उर्फ़ चालिहो को चालिहो साहिब के नाम से भी जाना जाता है, यह चालीस दिनों तक मनाया जाने वाला उत्सव है। हर साल जुलाई और अगस्त माह के बीच यह उत्सव आता है, हिन्दू कैलेंडर के अनुरूप तारीख बदल सकती है। यह उत्सव वरुण देव का आभार व्यक्त करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
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