क्या हैं भारत में हॉकी का इतिहास?

What is the History of Hockey in India

हॉकी दुनिया के सबसे पुराने खेलों में से एक है, हॉकी ओलंपिक गेम्स से भी पुराना खेल है। अरबी, यूनानी, रोमियों और फारसी से इथियोपियाई तक हॉकी को खेला गया है लेकिन बहुत कम देश में ही हॉकी को उचित स्थान मिल सका है। वहीं कई लोग इसे अपने मनोरंजन के लिए भी हॉकी खेलना पसंद करते थे।

हालांकि कई प्राचीन सभ्यताओं में हॉकी में कई बदलाव के साथ खेला गया। जबकि हॉकी का खेल प्रमुख रूप से 19वीं शताब्दी में बिट्रिश द्धीपों में विकसित हुआ। भारत में इस खेल के विस्तार का श्रेय मुख्य रुप से ब्रिटिश सेना को जाता है।

History of Hockey in India
History of Hockey in India

क्या हैं भारत में हॉकी का इतिहास? – What is the History of Hockey in India

दरअसल हॉकी को भारत में ब्रिटिश सेना के रेजिमेंट्स द्वारा पेश किया गया था। इसके बाद इस गेम की लोकप्रियता लगातार बढ़ती चली गई और इस गेम ने भारत में अपनी एक अलग जगह बना ली।

आपको बता दें कि 29 अक्टूबर 1908 में लंदन में ओलंपिक में पहली बार हॉकी गेम खेला गया उस समय इसमें 6 टीमें थीं। वहीं 1924 में अंतर्राष्ट्रीय कारणों की वजह से यह खेल ओलंपिक में शामिल नहीं हो सका। वहीं 1924 में, अंतर्राष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन (एफआईएच) का गठन हुआ और तीन साल बाद, अंतराष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ वुमन का गठन किया गया।

हॉकी का खेल एशिया में भारत में सबसे पहले खेला गया। पहले दो एशियाई खेलों में भारत को खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन तीसरे एशियाई खेलों में भारत को पहली बार ये मौका हाथ लगा। इस दौरान भारतीय खिलाड़ियों ने हॉकी में इंटरनेशनल मैच में भी बढ़िया प्रर्दशन कर खूब नाम कमाया और जीत हासिल की।

भारत ने हाकी में अब तक ओलंपिक में 8 स्वर्ण, 1 और दो कांस्य पदक जीते हैं। साल 1928 से 1956 के दौर को हमारे देश का हॉकी का स्वर्णिम काल भी कहा गया है। इस तरह हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल बन गया।

हॉकी खेल के बारे में एक नजर – Hockey Information

भारत की धाक कहे जाने वाला हॉकी एक ऐसा खेल है, जिसमें दो टीमें लकड़ी या कठोर धातु या फाइबर से बनी विशेष लाठी(स्टीक) की सहायता से रबर या कठोर प्लास्टिक की गेंद को अपनी विरोधी टीम के नेट या गोल में डालने की कोशिश करती हैं।

हॉकी का खेल दो टीमों के बीच खेले जाने वाला गेम है। हर टीम में 11-11 खिलाड़ी होते हैं। और हर टीम अपना गोल करने की कोशिश करती है। वहीं अगर हॉकी के मैदान के आकार की बात करें तो हॉकी के लिए मैदान 92 मीटर लम्बा और 52 से 56 मीटर चौड़ा होता है।

वहीं हॉकी के खेल में गेंद, हॉकी, चुस्त ड्रेस, हल्के मजबूत और सही नाप के केनवास के जूते, झंडियां, गोल के खंभे और तख्ते और गोल की जालियां आदि चीजें काम आती हैं।

वहीं एक अच्छा हॉकी का खिलाड़ी वही बन सकता है जो कि स्वस्थ और पूरी तरह से मजबूत हो। इसके साथ ही हॉकी का खेल खेलने के लिए एकाग्रता की जरूरत होती है। वहीं एक हॉकी के खिलाड़ी में फुर्तीलापन, तुरंत फैसला लेने की शक्ति और सहिष्णुता भी होनी चाहिए।

भारत में हॉकी – Hockey India

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है, और यह काफी महत्वपूर्ण खेल भी है। भारत ने हॉकी के खेल में पूरी दुनिया में अपना कीर्तिमान स्थापित किया है। लगातार कई सालों तक भारतीय टीम ने हॉकी में बेहतर प्रदर्शन कर जीत हासिल की है।

वहीं अगर इसके इतिहास पर नजर डालें तो इसका इतिहास स्वर्णिम रहा है। यह खेल भारत की जड़ों में गहराई तक समाया हुआ है, हालांकि, इसकी जड़े अब योग्य हॉकी खिलाड़ियों और आवश्यक सुविधाओं की कमी की वजह से कमजोर हो गईं हैं।

समय के साथ हॉकी के खेल में काफी बदलाव किए गए। पहले के समय में इसके नियम और तरीके काफी अलग थे और अब इसे अलग तरीके के साथ मैदानी हॉकी के रुप में खेला जाता है।

जैसे कि हमने आपको अपने इस लेख में ऊपर बताया कि प्राचीन समय में हॉकी अंग्रेजी स्कूलों में खेला जाने वाला खेल था, और भारत में इसे ब्रिटिश सेना आस्तित्व में लाए थे और इसके बाद इसका अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार हुआ था। और धीरे-धीरे इस खेल की लोकप्रियता बढ़ती चली गई।

वहीं अगर भारत में हॉकी की बात करें तो भारत में सबसे पहले हॉकी क्लब का 1885-86 में कलकत्ता में गठन किया गया था और इसके तुरंत बाद बॉम्बे और पंजाब में हॉकी क्लब का गठन किया गया।

वहीं भारतीय खिलाड़ियों ने अपने सफल ओलम्पिक खेल की शुरुआत 1928 के एम्सटर्डम में की थी, जहां उन्होंने हॉकी में स्वर्ण पदक जीता था। यह एक शानदार भारतीय हॉकी खिलाड़ी, जिनका नाम ध्यानचंद की वजह से हुआ। हॉकी का जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद ने एम्सटर्डम की भीड़ के सामने सभी भारतीयों अपने हॉकी खेल के कौशल से मंत्रमुग्ध कर दिया था और पूरी दुनिया के सामने नया कीर्तिमान स्थापित किया था।

हॉकी के दिग्गज खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन कर भारत में लगातार 1928 से 1956 तक यानि कि स्वर्ण युग के दौरान भारत ने 6 ओलम्पिक स्वर्ण पदक और लगातार 24 हॉकी मैच जीते थे।

वहीं हॉकी के स्वर्णिम काल में भारत को जीत दिलवाने का पूरी श्रेय उस युग के प्रतिभाशाली और महान खिलाड़ी ध्यानचंद, बलबीर सिंह, अजीत पाल सिंह, अशोक कुमार, ऊधम सिंह, धनराज पिल्लै, बाबू निमल, मोहम्मद शाहिद, गगन अजीत सिंह, लेस्ली क्लॉडियस समेत भारतीय टीम में शामिल अन्य खिलाड़ियों को जाता है।

आपको बता दें कि भारतीय हॉकी टीम ने अभी तक कुल 8 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा है। वहीं अभी तक हॉकी खेल में लगातार इतने स्वर्ण पदक किसी भी देश की राष्ट्रीय टीम नहीं हासिल कर पाई है।

इसके अलावा भारत ने ओलंपिक में कुल 11 पदक जीते हैं जिनमें से 8 स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक शामिल हैं। इसके साथ ही हम आपको ये भी बता दें कि भारत ने ओलंपिक खेलों में साल 1928 से 1956 तक लगातार 6 स्वर्ण पदक जीते थे इसके बाद भारतीय टीम ने दो स्वर्ण पदक साल 1964 और 1980 के ओलंपिक में जीते थे।

वहीं एशियाई खेलों में भी भारतीय टीम ने अच्छा प्रदर्शन कर अपनी विरोधी टीम को हार की धूल चटाई और तीन स्वर्ण पदक हासिल किए।

ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का सफर – Hockey in Olympics

भारतीय हॉकी संघ के इतिहास की शुरुआत ओलम्पिक में अपनी स्‍वर्ण गाथा के साथ की गई थी,आइए भारतीय हॉकी टीम के ओलंपिक के इतिहास पर डालते हैं एक नजर –

  • एमस्‍टर्डम में 1928 में स्वर्ण पदक
  • लॉस एंजिलिस में 1932 में स्वर्ण
  •  बर्लिन में 1936 के दौरान स्वर्ण
  • 1948 में लंदन में स्वर्ण
  • 1952 हेलसिंकी में स्वर्ण
  • 1956 में मेलबर्न में स्वर्ण
  • 1960 में रोम में ऑस्ट्रेलिया रजत
  • 1964 में टोक्यो में स्वर्ण
  • 1968 में मेक्सिको सिटी में कांस्य
  • 1972 में म्यूनिख में कांस्य
  • 1980 में मॉस्को में स्वर्ण

वहीं इस तरह भारतीय टीम में ओलम्पिक में स्‍वर्ण पदकों की हैटट्रिक प्राप्‍त की और पूरी दुनिया को अपने खेल प्रतिभा का जादू दिखाया, इसके साथ ही भारत का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।

भारत की दिग्गज हॉकी टीम ने एशियाई खेलों में भी तीन बार स्वर्ण पदक जीत कर भारत देश को पूरी दुनिया में गौरान्वित किया।

आपको बता दें कि पहला स्वर्ण पदक 1966 में बैंकाक एशियाड में, भारत ने अपनी विरोधी टीम पाकिस्तान को 1-0 से हराकर जीता था। दूसरा स्वर्ण पदक 1998 में बैंकांक में हुए एशियाई खेलों में धनराज पिल्ले की अगुवाई में जीता था।

जबकि तीसरा स्वर्ण पदक दक्षिण कोरिया के इंचियोन में हुए एशियाई खेल 2014 में पाकिस्तान को पेनल्टी शूटआउट में हराकर जीता था।

हॉकी एक बेहद अच्छा और मनोरंजक खेल होने के साथ-साथ भारत का राष्ट्रीय खेल भी है। लेकिन धीरे-धीरे इसका महत्व कम होता जा रहा है। जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। इस खेल को बढ़ावा देने के लिए आज के युवाओं को प्रेरिक करने की जरूरत है।

ताकि भारतीय हॉकी की गरिमा बरकरार रहे सके। इसके साथ ही हॉकी के खिलाड़ियों की सुविधा के लिए सरकार की तरफ से भी वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। ताकि एक बार फिर से हॉकी का स्वर्णिम युग आ सके।

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