दुसरोंको दोष देने से पहले सोचें | Hindi Stories With Moral Values

Hindi Stories With Moral Values

दोस्तों, आज मैं आपको 2 कहानियाँ बताने जा रहा हु। यह कहानियाँ पढ़कर आप किसी और के बारे में बिना उसकी बात सुने, बिना सोंचे समझे धारणा बनाते हैं या किसी बात के लिये दोष देते हैं तो उससे पहले एक बार जरुर सोचगे!

Hindi Stories With Moral Values

 दुसरोंको दोष देने से पहले सोचें – Hindi Stories With Moral Values

Story 1

एक महिला अपनी रेलवे का कई घंटो पहले से ही स्टेशन पर इंतज़ार कर रही थी। उसने खाने के लिए कुछ वेफर्स भी खरीद रखे थे और अपने बैठने के लिए जगह भी ढूंड रखी थी।

जगह मिलने के बाद उसने अपने बैग में से एक किताब निकाली और उस किताब पढ़ने में पूरी तरह से तल्लीन हो गयी। तभी उसे ये देखकर हैरानी हुई की एक आदमी उसी के बगल में आकार बैठा था। और उनकी बैग में रखे वेफर्स में से एक-एक कर के ले रहा था। लेकिन वो महिला इस दृश्य को बार-बार अनदेखा कर रही थी। इसके लिए वो अपना ध्यान वेफर्स चबाने में लगा रही थी।लेकिन वो चोर धीरे से एक-एक वेफर्स लेकर पैकेट में से वेफर्स को कम किये जा रहा था।

ये सब उसे बहोत गुस्सा दिला रहा था। उस समय उसके लिए एक-एक मिनट बिताना मुश्किल सा हो गया था। वो ये सोच रही थी के “अगर मै अच्छी महिला नहीं होती, तो निच्छित ही उसकी आखे काली कर देती” जैसे ही वो महिला पैकेट में से एक वेफर्स निकलती वैसे ही वो आदमी भी एक वेफर्स निकालता था। और अंत में जब पैकेट में एक ही वेफर्स बचा, तब उस महिला को हैरानी हुई की अब वो क्या करे।

एक मुस्कान और नाराजगी वाली ख़ुशी दिखाते हुए उसने वो वेफर्स लिया और बिच में से उसके दो टुकड़े कर दिए। उसने आधा टुकड़ा उस आदमी को दिया। जो इस से पहले उसके वेफर्स को लेकर खा रहा था। और जैसे ही वो आदमी उसे खाने लगा उस महिला ने उस से वो छीन लिया। वो महिला सोच रही थी की उसके वेफर्स देने पर वो आदमी उसे (महिला को) धन्यवाद भी क्यू नहीं कहता। वह महिला उस आदमी के बारे में बहोत बुरा सोच रही थी।

तभी वह महिला जिस रेलवे से जा रही थी। उस रेलवे की घोषणा होने लगी। इसीलिए उसने उस आदमी को गुस्से से देखते हुए अपना सामान लेकर अपनी रेलवे की और चली गयी।

रेलवे में जाने के बाद उसने अपना सामान अपनी सीट पर रखा और वही वो भी बैठ गयी। उसने अपनी बुक उठाई और उसे अपनी बैग में रखने गयी। जैसे ही उसने अपना बैग खोला उसे अपनी बैग में वही वेफर्स दिखाई दिए थे जो उसने स्टेशन पर ख़रीदे थे।

उस समय उस महिला को अपनी गलती का अहसास हुआ की वो आदमी उसके वेफर्स को नहीं खा रहा था बल्कि वो महिला उस आदमी के वेफर्स को खा रही थी। उस समय उस महिला को महसूस हुआ की वह चोर है। वह बुरी है वह उद्दिष्ट है। उसे ये अहसास हुआ की उसने उस आदमी से अच्छे से बात भी नहीं की और उसे धन्यवाद भी नही दिया। लेकिन उस समय बहोत देर हो चुकी थी।

Learning From This Hindi Stories With Moral Values :-

ये कहाँनी उन लोगो के लिए है जो उपर देखे बिना ही छलांग लगाना चाहते है। जब हम रास्ते पर बिना देखे चलते है तो निश्चित ही एक्सीडेंट होने के अवसर ज्यादा होते है। इसलिए हमें हमारे जीवन में सदैव आगे-पीछे देखकर ही चलना चाहिये। कभी भी आधा-अधुरा सच जानकार किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिये। हमें सच की जड़ में जाकर उसे पूरी तरह से जानने की कोशिश करनी चाहिये। क्यू की जीवन में गड़बड़ में लिया हुआ हर एक निर्णय हमें लम्बे समय के लिए दुविधा में डाल सकता है।

इसलिए जीवन में हमेशा सभी से प्रेमभाव से रहे, नम्रता से पेश आये और पूरा सच जाने बिना कभी किसी को दोषी न ठहराये।


Story 2

राम के बड़े भाई ने एक बार उसे एक महंगी गाडी गिफ्ट में दी। एक दिन बाहर निकलने पर राम ने देखा कि चौदह पंद्रह साल का एक गरीब लड़का गाडी के अन्दर झाँक रहा था। राम को आते देख कर वह पीछे हट गया।

फिर धीरे से उसने राम से पूछा।

अंकल, क्या यह गाडी आपकी है ? राम बहुत अच्छे मूड में था। वह बोला, हाँ,
मेरे भाई ने यह कार मुझे गिफ्ट में दी है।

लड़का हैरान होकर बोला, अच्छा !

यानी, आपको इस गाडी का कोई पैसा नही देना पडा। राम सोचने लगा कि अब यह बोलेगा, काश, मेरे पास भी ऐसा कोई भाई होता। लेकिन इसके वजाय वह लड़का बोला,

काश मैं भी एक दिन ऐसा भाई बन पाऊ। राम उसकी बातों से काफी खुश था। राम ने उस लड़के से पूछा, चलो, तुम्हे तुम्हारे घर तक छोड़ दूँ। लड़का ख़ुशी से खिलखिला उठा। दोनों गाडी में बैठ गए। जब गाडी आगे बड़ी, तो लड़के ने कहा ,

क्या आप मेरे घर के सामने थोड़ी देर रूक सकते है ?

राम ने मुहं बनाते हुए सोचा,

गरीब लोगो की बस यही बात मुझे पसंद नही है। मैंने ज़रा से उससे पूछ क्या लिया, अब यह मुझ पर ही सवारी करेगा। मुझे पता है अब ये जाकर पुरे मुह्ह्ले वालों को अपना रौब दिखाएगा। और बोलेगा, देख, कितना बड़ा साहब मुझे घर तक छोड़ने आया है।

राम कुछ जवाब देता, उससे पहले ही वह लड़का बोल पडा, बस वो जो सीढ़ी दिख रही है न, वही गाडी रोक देना। आप यही रुकना। मैं बस दो मिनट में आया। वह लड़का दौड़ता हुआ सीढ़ियों के ऊपर चला गया। कुछ ही पल बाद राम ने देखा कि वह लड़का सीढ़ियों से नीचे चला आ रहा है ,

लेकिन बहुत धीरे-धीरे संभलकर उतरते हुए। राम ने देखा कि उसने एक और लड़के को अपनी गोद में उठा रखा है, जिसके दोनों पैर नही है। सीढ़ियों से उतर कर अंतिम सीढ़ी पर अपने भाई को बिठाकर वह अपने भाई से बोला, देखा जैसा मैंने तुमको ऊपर बताई थी, ठीक वैसी ही है ना। अंकल के बड़े भाई ने उन्हें गिफ्ट में दी है। एक दिन मैं भी तुम्हे ऐसी ही गाडी गिफ्ट में दूंगा। फिर तुम्हे पुरे शहर की सैर कराने लेकर जाउंगा। और वह जो बाज़ार है ना, जहां से मैं तुम्हारे लिए कपडे लेकर आता हूँ, वह भी तुम्हे दिखाउंगा।

राम को अहसास हुआ जैसा मैं सोच रहा था। वह फिर एक बार गलत निकला।गाडी से उतर कर वह दोनों लड़कों से बोला, क्यों न हम आज ही सैर पर चले ? दोनों लड़के के चेहरे ख़ुशी से चमक रहे थे। वह उनके लिए एक यादगार दिन था। राम को भी उनका साथ अच्छा लगा।

Moral : दोस्तों कई बार हम बिना सोंचे समझे किसी अन्य के बारे में गलत
धरना बना लेते है जो की बिलकुल भी गलत है। बिना सोंचे समझे किसी अन्य के बारे में धारणा बनाना अहंकार का सूचक है।

 

यह दूसरी कहानी हमें Shiv Bachan Singh द्वारा उपलब्ध करायी गयी है।

Name : Shiv Bachan Singh
Blog:- A Blogging on – http://www.jeetapki.com

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