हिंदी दिवस पर स्पीच / भाषण | Hindi Diwas Speech

Hindi Diwas Speech

हिंदी हमारा अभिमान, हिंदी हर भारतवासी का स्वाभिमान।

हिन्दी भाषा भारतीय संस्कृति की विरासत है और राष्ट्रीय एकता की प्रतीक है इसलिए अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने और इस सुंदर, सरल और सहज भाषा पर जोर देने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस – Hindi Diwas मनाया जाता है।

भारत विविधताओं का देश है यहां लोगों की बोलचाल, खान-पान,पहनावा में काफी अंतर है लेकिन सभी भारतीय एक है और हिन्दी के प्रति उनका एक अलग लगाव है यही नहीं हिन्दी भाषा देश भक्ति की भावना को भी लोगों में जगाती है।

Hindi Diwas Speech
Hindi Diwas Speech

हिंदी दिवस पर स्पीच / भाषण – Hindi Diwas Speech

आदरणीय मुख्य अतिथि, प्रिय स्टाफ सदस्यों, सभी आगंतुकों और इस सभा में बैठे भाई-बहनों !

Hindi Diwas – हिन्दी दिवस के इस खास मौके पर इस समारोह का हिस्सा बनने के लिए आप सभी का धन्यवाद। हिन्दी दिवस को और भी ज्यादा खास मनाने और अपनी मातृभाषा के महत्व को समझने के लिए हिन्दी दिवस मनाया जाता है।

हिन्दुस्तान के हिन्दी भाषी क्षेत्रो में हिन्दी दिवस हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन हिन्दी दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों है और भारतीय के जीवन में क्या है इसका महत्व मै आपको अपने भाषण के जरिए बताऊंगा/ बतांऊंगी।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिन्दी भाषा हमारे देश की राष्ट्रभाषा है और भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली सरल, सुगम और सुंदर भाषा है जिससे हर व्यक्ति को इस भाषा में संवाद करने में तो आसानी होती ही है साथ ही आपस में जुड़ाव होता है और उनके आपसी संबंध अच्छे बनते हैं क्योंकि भाषा से ही किसी शख्स के व्यक्तित्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।

हिन्दी भाषा न सिर्फ भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देती है बल्कि हम भारतीय के शीतल ह्दय में प्रवाहित होती है और हिन्दी भाषा देश की धड़कनों से जुड़ी भाषा है इसलिए ये हिन्दी भाषा देश का मान ही नहीं बल्कि अभिमान है।

हम सब का अभिमान हैं हिंदी, भारत देश की शान हैं हिंदी

पूरे भारत में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को भारत की संवैधानिक सभा में राष्ट्रीय भाषा हिन्दी को देवनागिरी लिपि में लिखा गया था और हिन्दी को भारत गणराज्य की अधिकारिक भाषा भी घोषित किया गया था तब से लेकर इस दिन को हिन्दी दिवस – Hindi Diwas के रूप में मनाया जाने लगा।

आपको बता दें कि हिन्दी भाषा को भारत की अधिकारिक भाषा के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला भारत के संविधान में  26 जनवरी, 1950 से प्रभाव में आया है। भारतीय संविधान के मुताबिक, देवनागिरी लिपि में लिखित हिन्दी भाषा को पहले भारत की अधिकारिक भाषा के रुप में अनुच्छेद 343 के तहत अपनाया गया था।

जिसके बाद हिन्दी भाषा जनसंवाद का माध्यम बनती चली गई और इसकी उपयोगिता लगातार बढ़ती चली गई। क्योंकि किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा बनने के लिए उसमें सहजता और सुगमता का होना बेहद जरूरी है जब तक भाषा आसान नहीं होगी और सुनने- बोलने में अच्छी नहीं लगेगी तब लोग इसका इस्तेमाल करने से कतराएंगे हालांकि हिन्दी भाषा बेहद आसान है और हर किसी को अपनी तरफ आर्कषिक करती है। यही वजह है कि इसे भारत में राष्ट्र भाषा का दर्जा दिया गया।

हिन्दी राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता की भी प्रतीक है। हिन्दी साहित्य के बड़े-बड़े कवि हुए जिन्होंने कई ऐसी रचनाएं की जो मानव जीवन के लिए अंत्यंत महत्वपूर्ण और उपयोगी है इसके अलावा वे युवाओं में नए विचारों को जन्म देती हैं उन्होनें हिन्दी भाषा को मुख्य धारा से जोड़ने की भी कोशिश की।

हर भारतीय अपनी भावनाओं को हिंदी के माध्यम से अच्छी तरह से उजागर कर सकते हैं साथ ही जब भारतीय हिंदी में संवाद करते है या अपनी बात दूसरे तक आसानी से पहुंचा देते है इसके साथ ही लोगों में आपस में जुड़ाव भी पैदा होता है।

भारतीय संस्कृति की विरासत को संजोने में आज भी कई लोग दिलचस्पी रखते हैं यही वजह है कि हिन्दी दिवस – Hindi Diwas पर ऐसे कार्यक्रमों का मंचन करवाया जा रहा है और हिन्दी के प्रति लोगों जागरूक किया जा रहा है। जिससे हिन्दी भाषा के महत्व को बढ़ावा मिल सके।

हर हिन्दुस्तानियों के अभिमान की भाषा हिन्दी का महत्व धीरे-धीरे कम होता जा रहा है जबकि हिन्दी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है।

दुर्भाग्य से आज की युवा पीढ़ी हिन्दी भाषा में बातचीत करना अपना अपमान समझती है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना बेहद जरूरी है यहां तक की नौकरी पाने के लिए इंटरव्यू हों या फिर, स्कूल, कॉलेज, कॉरेपोरेट सेक्टर हों, ऑफिस मीटिंग्स हों, सभी में ज्यादातर इंग्लिश का ही इस्तेमाल होने लगा है फिलहाल इंग्लिश आज की जरूरत बन गई है।

इसलिए युवा पीढ़ी इंग्लिश की तरफ प्रभावित हो रही है लेकिन सिर्फ जरूरत की वजह से तो हम अपनी मातृभाषा को तो नहीं भूल सकते या फिर आप जरा खुद सोचिए कि अगर आप अंग्रेजी बोलने में उतने सक्षम नहीं है और आपको हिन्दी की जानकारी है तो आप प्रवाह में बोलते-बोलते हिन्दी का इस्तेमाल कर सकते हैं वहीं अगर आपको हिन्दी भाषा की भी जानकारी नहीं होगी तो आप ऐसे में अपनी बात भी नहीं कह पाएंगे क्योंकि संवाद करने में भाषा अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यही वजह है कि स्कूली पाठ्यक्रम में हिन्दी विषय को जोड़ा गया है जिससे आज के युवाओं में हिन्दी की समझ हो सके।

हर राष्ट्र की अपनी भाषा होती है जो उस देश का मान बढ़ाती है वैसे ही हिन्दुस्तान की हिन्दी भाषा देश भी देश की शान बढ़ाती है और लोगों में अपनत्व भी भावना जाग्रत करती है।

हिन्दी भाषा से न सिर्फ देशवासियों को एकजुट करने में मद्द की है बल्कि देश को एक अनूठी पहचान भी दिलवाई है इसलिए केन्द्र सरकार भी अपनी भाषा के मूल्य को समझते हुए हिन्दी भाषा पर ज्यादा जोर दे रही है।

हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्र भाषा  ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता की प्रतीक और भारतीयों की पहचान भी है, इसलिए हिन्दी दिवस पर क्यों न हिंदी भाषा के प्रति और ज्यादा सजग होने की प्रतिज्ञा ली जाए और इसके महत्व को ज्यादा से ज्याादा लोगों तक पहुंया जाए।

इसके साथ ही हिन्दी  की सहजता और सुगमता के प्रति अनूठा भाव पैदा किया जाए। जिससे हिन्दी भाषा का महत्व बना रहे और ज्यादा से ज्यादा लोग हिन्दी के प्रति जागरूक हो सकें।

हिंदी दिवस पर हमने ठाना है, लोगो में हिंदी का स्वाभिमान जगाना है

धन्यवाद ।

हिन्दी दिवस पर भाषण 2 – Hindi Diwas Speech 2

हिन्दी, हमारे देश की राष्ट्र भाषा है, इसके प्रति सम्मान प्रकट करने एवं इसकी अहमियत को समझने के लिए हर साल 14 सितंबर को पूरे भारतवर्ष में हिन्दी दिवस के रुप में मनाया जाता है। आजादी के दो साल बाद साल 1949 में इसी दिन हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा को दर्जा प्राप्त हुआ था, तब से लेकर आज तक इस दिन को हिन्दी दिवस के रुप में मनाया जाता है। हिन्दी भाषा न सिर्फ हम सभी हिन्दुस्तानियों की पहचान है बल्कि राष्ट्रीय एकता की प्रतीक भी मानी जाती है।

वहीं इस भाषा को बढ़ावा देने के लिए हिन्दी दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रमों में भाषण आदि देने की आवश्यता पड़ती है, ताकि भाषण आदि के माध्यम से हिन्दी भाषा के मूल्यों को लोगों को बताया जा सके और हिन्दी भाषा के प्रति उनके मन में सम्मान प्रकट किया जा सके, इसलिए हम आपको अपने इस आर्टिकल में हिन्दी दिवस पर भाषण उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप इस तरह के कार्यक्रमों में कर सकते हैं –

हिन्दी दिवस पर भाषण

सर्वप्रथम सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !

आदरणीय मान्यवर, सम्मानीय मुख्य अतिथि, प्रधानचार्या जी, सभी शिक्षक गण और यहां पर बैठे मेरे छोटे-बड़े भाई-बहनों और मेरे प्रिय दोस्तों आप सभी का मैं… तहे दिल से आभार प्रकट करती हूं / करता हूं। बेहद खुशी हो रही है कि, आज मुझे हिन्दी दिवस के इस खास मौके पर आप लोगों के समक्ष भाषण देने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है।

मैं हिन्दी दिवस पर अपने भाषण की शुरुआत, हिन्दी भाषा के महत्व को लेकर लिखे गए एक स्लोगन के माध्यम से करना चाहती हूं / चाहता हूं –

हर कण में है हिन्दी बसी
मेरी मां की है इसमें बोली बसी
मेरा मान है हिन्दी
मेरी शान है हिन्दी ।।

अपनी मातृभाषा हिन्दी की रक्षा करने एवं इसके प्रति लोगों को जागरूक करने साथ ही हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के मकसद से हर साल हिन्दी दिवस को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिशा में आज हमारी संस्था में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। वहीं इस मौके पर अपनी मातृभाषा पर अपने विचार रखते हुए मै भी खुद को बेहद गौरान्वित महसूस कर रहा हूं /कर रही हूं।

हिन्दी भाषा न सिर्फ हमारी पहचान है, बल्कि हम सभी भारतीयों की शान भी है, आज 14 सितंबर का दिन हम सभी भारतवासियों के लिए बेहद गौरवमयी दिन है, क्योंकि इसी दिन हमारी हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिला था। भारत की संविधान सभा में 14 सितंबर, 1949 को ही हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोाषित करने का फैसला लिया गया था।

वहीं साल1953 में पहली बार हिन्दी दिवस के रुप में मनाया गया था। तब से लेकर आज तक हर वर्ष 14 सितंबर को हमारे देश में हिन्दी दिवस के रुप में मनाया जाने लगा है।

हिन्दी हम सभी भारतीयों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। यह सभी भाषाओं का समावेश है ,जो सभी भाषाओं को एक साथ लेकर चलती है, यह जनमानस की भाषा है, जो हम सभी हिन्दुस्तानियों को एक-दूसरे से बांधे रखती है और हमें अपनेपन का एहसास दिलवाती।

इस भाषा की सरलता और सुगमता की वजह से ही इसे देश की राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया है।हिन्दी सार्वधिक बोली जाने वाली विश्व की तीसरी भाषा है जिसे आसनी से समझा और बोला जा सकता है। वहीं हिन्दी भाषा ने हम सभी भारतवासियों को विश्व में एक अलग पहचान दिलवाई है। यह हमारी भारतीय संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबंब भी है। वहीं हिन्दी साहित्य विश्व का सबसे समृद्ध और प्राचीन साहित्य है, हिन्दी भाषा के महत्व को बड़े-बड़े साहित्यकारों ने भी बताया है।

हिन्दी भाषा हम सभी हिन्दुस्तानियों का अभिमान है, हालांकि वर्तमान परिदृश्य में हमारी राष्ट्रभाषा का महत्व कम होता जा रहा है। तेजी से बढ़ रही अंग्रेजी की जरूरत की वजह से हिन्दी भाषा धीमे-धीमे गुम होती जा रही है।

दरअसल, आजकल, करियर बनाने में सबसे पहले अंग्रेजी भाषा की मांग की जा रही है, किसी भी बड़ी संस्था, कंपनी के इंटरव्यू आदि में अंग्रेजी भाषा को महत्वता दी जा रही है, यही नहीं कॉरेपोरेट सेक्टर एवं स्कूल-कॉलेजों में भी ज्यादातर अंग्रेजी भाषा का ही इस्तेमाल हो रहा है, जिसके चलते आज की युवा पीढ़ी का हिन्दी की तरफ से ध्यान हटता जा रहा है और तो और वर्तमान में देश के युवा अंग्रेजी बोलना अपना स्टेटस सिंबल मानते हैं एवं हिन्दी बोलने वालों को उतनी तवज्जों नहीं देते हैं एवं हिन्दी बोलना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं।

आज हिन्दी भाषा बोलने वालों को गंवार और अनपढ़ समझा जाने लगा है एवं उनके ज्ञान पर ही संदेह किया जाता है। वहीं आजकल ज्यादातर अभिभावक भी बढ़ रही अंग्रेजी की जरूरत को देखते हुए अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में ही एडमिशन करवाना पसंद कर रहे हैं, जिसके चलते हिन्दी की उपयोगिता धीमे-धीमे कम होती जा रही है।

इसके साथ ही हिन्दी भाषा को उतनी तवज्जों नहीं दी जा रही है, जितनी की किसी देश की राष्ट्रभाषा को मिलनी चाहिए , जो कि बिल्कुल गलत है।

माना कि, आधुनिक युग से जुड़ने के लिए एवं सफल करियर के लिए अंग्रेजी भाषा सीखना बेहद जरूरी है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम सभी अपनी राष्ट्रभाषा को भूल जाएं और इसकी अहमियत को न समझें।

हिन्दी भाषा हमारी राष्ट्रीय एकता की प्रतीक है, इसलिए हम सभी को अपनी राष्ट्रभाषा का सम्मान करना चाहिए एवं इसकी रक्षा करने का संकल्प लेना चाहिए। इसके साथ ही ज्यादा से ज्यादा इस भाषा का इस्तेमाल करने के लिए बढा़वा देना चाहिए एवं सभी भाषाओं से ज्यादा अपनी मातृभाषा को तवज्जो देने का प्रण लेना चाहिए।

हम सभी को देश के सच्चे नागरिक के रुप में हिन्दी भाषा का उपयोग करना अपना गौरव समझना चाहिए साथ ही इसकी अहमियत को अन्य लोगों तक पहुंचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए, तभी हमारा देश सही मायने में विकास कर पाएगा, क्योंकि किसी भी देश की राष्ट्रभाषा, उस देश की उन्नति एवं विकास का महत्वपूर्ण आधार होती है।

वहीं मैं अपने इस भाषण का अंत हिन्दी भाषा की महत्वता पर लिखी गई एक कविता के माध्यम से करना चाहती हूं / करना चाहता हूं –

सबकी सखी है मेरी हिन्दी
जैसे माथे पर है सजी है सुंदर बिंदी

देवनागिरी है इसकी लिपि
संस्कृत है इसकी जननी

हर साहित्य की है ये ज्ञाता
सुंदर सरल है इसकी भाषा

प्रेम अपनापन सौन्दर्य हैं इसका
दिलाना सम्मान कर्तव्य है हम सबका

धन्यवाद

Read More:

Hope you find this post about ”Hindi Diwas Speech” useful. if you like this Article please share on Facebook & Whatsapp.

5 COMMENTS

  1. हिंदी दिवस पर लिखे गए इस पोस्ट को पढ़ने के लिए शुक्रिया आपका, हिंदी हमारी मातृभाषा है और हमें इसकी अहमियत को जरूर समझना चाहिए।

  2. हिंदी दिवस पर एक कविता के माध्यम से अपनी बात कहने का प्रयास है मेरा| कृपया पढ़ने का श्रम करें और अपनी टिप्पणी देवें | सिर्फ तारीफ़ की बात नहीं है , आलोचना का भी स्वागत है |
    https://rkkblog1951.wordpress.com/2018/09/14/हिन्दी-दिवस-hindi-diwas/

    • धन्यवाद जी, हिन्दी का महत्व आपने अपनी कविता के माध्यम से अच्छे तरीके से बताया है।

    • हिंदी दिवस पर लिखे गए इस पोस्ट को पढ़ने के लिए शुक्रिया आपका, हिंदी हमारी मातृभाषा है और हमें इसकी अहमियत को जरूर समझना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here