Hima Das
Hima Das – हिमा दास का नाम अब पूरे भारत में गूंज रहा है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो हिमा को नहीं जानता होगा। दरअसल भारत के असम राज्य की हिमा ने हाल ही में विश्व जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर पूरे भारत का नाम रोशन किया है।
वो जूनियर एथेलेटिक्स चैंपियनशिप सभी उम्र के वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला बनी हैं। हिमा ने अपनी सफलता से न केवल अपने परिवार एवं अपने देश का नाम रोशन किया है बल्कि नई पीढ़ी की लड़कियों के लिए एक मिसाल पेश की है। साथ ही हमेशा मुश्किलों को हराकर आगे बढ़ने का पैगाम दिया है।
विश्व जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतनेवाली हिमा दास – Hima Das
हिमा दास का प्रारंभिक जीवन – Hima Das Early Life
हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम के नगाँव जिले के ढिंग गाव में हुआ था। हिमा एक किसान परिवार में जन्मी थी। उनके पिताजी का नाम रंजीत दास है। और हिमा की माता जी का नाम जोनाली दास है। हिमा के घर में उनके माता.पिता के अलावा उनके 4 भाई बहन भी हैं। और हिमा ही घर में भाई.बहनों में सबसे छोटी हैं। हिमा के पिताजी एक किसान हैं जो मुख्यतः चावल की खेती किया करते है वही इनकी माताजी एक गृहणी हैं। हिमा को ढिंग एक्सप्रेस, मोन जय एवं गोल्डन गर्ल इत्यादि नामो से भी सम्बोधित किया जाता है।
हिमा की प्रारंभिक शिक्षा – Hima Das Education
हिमा ने ढिंग पब्लिक स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा ग्रहण की थी। वर्तमान में हिमा अपने गांव से एक किलोमीटर दूर स्थित ढींग के एक कॉलेज में बारहवीं की छात्रा हैं।
हिमा दास का रेसर बनने का सफर
हिमा का बचपन से ही स्पोर्ट्स के प्रति बहुत लगाव था। हिमा जब बहुत छोटी थी तभी से उन्होंने फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था। हिमा बचपन मे स्कूल के लड़कों के साथ फुटबाल का मैच खेला करती थी। और बचपन मे फुटबॉल खेलने की वजह से ही हिमा का स्टैमिना काफी बढ़ गया था। और यही कारण है कि ये दौड़ते समय जल्दी नहीं थकती हैं।
हिमा का खेल की तरफ रूझान देखकर सबसे पहले उनके जवाहर नवोदय विद्यालय के फिज़िकल एजुकेशन के अध्यापक ने उन्हें धावक बनने की सलाह दी। और उनकी इस सलाह को हिमा ने अपनाया और अपना पूरा ध्यान अपनी रेसिंग पर लगाया। और उसके बाद हिमा ने दौड़ से जुड़ी कई प्रतिस्पर्धा में हिस्सा भी लिया। शुरुआत में हिमा को काफी दिक्कतें हुईं। और रनिंग ट्रैक की सुविधा भी उन्हें नहीं मिली इसी वजह से इन्होंने फुटबॉल के मिट्टी के ग्राउंड से ही रनिंग का अभ्यास किया।
हिमा के करियर के बारे में – Hima Das Career
उनके कोच का नाम निपुण दास है। उनकी उनके कोच से मुलाकात साल 2017 में खेल और युवा कल्याण निदेशालय की ओर से आयोजित किये गए इंटर डिस्ट्रिक्ट कम्पटीशन के दौरान हुई थी। इस कम्पटीशन में हिमा ने 100 और 200 मीटर की दौड़ में भाग लिया था। और हिमा ने वो दौड़ सस्ते जूते पहनकर पूरी की थी।
इसके बावजूद हिमा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था और उनकी उस तेज़ स्पीड को देखकर सब आश्चर्य चकित रह थे। उनकी इसी दौड़ से प्रभावित होकर उनके कोच निपुण ने उन्हें ट्रेनिंग देने का मन बना लिया और हिमा को वो अपने साथ गुवाहाटी ले आए।
जैसा कि हमने बताया था कि हिमा एक किसान के घर जन्मी थी इसीलिए उनका परिवार उनके गुवाहाटी में रहने के खर्चे को नहीं देख सकता है तो हिमा के कोच ने ही गुवाहाटी में रह रही हिमा के खर्चे को उठाया था।
शुरुआत में हिमा के कोच ने उन्हें 200 मीटर के लिए तैयार किया था पर धीरे.धीरे हिमा का स्टैमिना बढ़ता गया है और इसी कारण उनके कोच ने उन्हें 200 की जगह 400 मीटर के लिए तैयार कर दिया।
जानते हैं हिमा के इंटरनेशनल करियर के बारे में
बैंकाक में हुई एशियाई यूथ चैंपियनशिप में हिमा ने हिस्सा लिया था उन्होंने 200 मीटर की दौड़ में हिस्से लिया था और उस दौड़ में उन्होंने 7वां स्थान प्राप्त किया था। हिमा ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की ओर से हिस्सा लिया था। इसमें हिमा कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाएं थीं पर 400 मीटर के फाइनल में हिमा ने छठवां स्थान प्राप्त किया था। और 18 साल की हिमा ने कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और उसमें हिमा स्वर्ण पदक की विजेता भी बनीं।
हिमा के रिकार्ड्स – Hima’s Records
अभी कुछ समय पहले हिमा ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में प्रथम स्थान प्राप्त किया है जिसकी वजह से हिमा पहली ऐसी भारतीय महिला बन गयी है जिन्होंने इस चैंपियनशिप में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया है। हिमा से पहले ऐसी कोई भी भारतीय महिला नहीं है जिन्होंने आईएएफ वर्ल्ड अंडर.20 में 400 मीटर रेस में कामयाबी प्राप्त की हो। हिमा ने ये अद्भुत कारनामा केवल 51.46 सेकंड में कर दिखाया था। जिसकी वजह से विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
हिमा की इंग्लिश थोड़ी कमजोर है और इसकी वजह से भारतीय एथलेटिक्स संघ द्वारा एक ट्वीट करके हिमा का खूब मज़ाक उड़ाया गया था। असल में उन्होंने जब आईएएफ विश्व अंडर 20 में में सेमीफाइनल में पदक जीता तो उसके बाद भारतीय एथलिट संघ द्वारा उनकी भाषा को लेकर उनका खूब मज़ाक उड़ाया गया था। पर हिमा के फाइनल जीतने के बाद माफी भी मांग ली गई थी।
हिमा दास के स्वर्ण पदक जीतने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें बधाई दी थी। और हर किसी बड़ी हस्ती ने हिमा की ट्वीट करके तारीफ भी की थी।
हिमा दास द्वारा अर्जित की गई यह सफलता वाकई काबिले तारीफ है। नई पीढ़ी के लिए हिमा एक प्रेरणा का स्त्रोत बनकर उभरी है, जिन्होंने देश की लड़कियों को यह संदेश दिया है कि यदि मन मे कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी इंसान को आगे बढ़ने से नही रोक सकती।
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