Hidimba Devi Temple
Hidimba Devi Temple – हिडिम्बा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के मनाली नामक स्थान पर स्थित है। इस प्राचीन गुफा मंदिर में हिडिम्बा देवी की पूजा अर्चना की जाती है। हिडिम्बा का वर्णन महाभारत में भीम की पत्नी के रूप में मिलता है।
हिडिम्बा देवी मंदिर – Hidimba Devi Temple
हिन्दू धर्म के इस मंदिर का निर्माण राजा बहादुर सिंह ने 1553 में करवाया था। हिडिम्बा देवी का ये ऐतिहासिक मंदिर हिमाचल प्रदेश के प्रमुख हिल स्टेशन मनाली से मात्र एक किलोमीटर दूर डूंगरी नामक स्थान पर बनाया गया है। हिमाचल का कुल्लु राजवंश इस देवी को कुलदेवी के रूप में पूजता है।
हिडिम्बा देवी मंदिर से जुड़ा है इतिहास – Hidimba Devi Temple History
धार्मिक स्थल कोई भी हो उनसे एक इतिहास जुड़ा ही है जो कलयुग के इंसान को उससे जोड़े रखता है। इसी प्रकार हिडिम्बा देवी मंदिर से भी एक रोचक इतिहास जुड़ा है। हिडिम्बा एक राक्षसी कुल से थी जो की मनाली के इस पर्वत पर अपने भाई हिडिम्ब के साथ रहती थी। पांडवों ने जुए में सब कुछ गंवा दिया था और वह बेघर हो गये थे।
अपने वनवास के दौरान पांडव और माता कुंती अनजाने में इस पहाड़ के निकट आ गये थे जहां हिडिम्बा और उसका भाई रहता था। पांडव आराम करने के लिए रुके और वहीं पर सो गये परन्तु तब भीम नही सोया था वह पानी लेने नदी के निकट गया था। तभी हिडिम्बा ने पांडवों पर हमला करना चाह पर वह नही कर पाई क्योंकि वह भीम को देख कर मोहित हो गयी थी और उससे प्रेम करने लगी थी।
हिडिम्बा के भाई को जब यह पता लगा तो वह भीम के साथ युद्ध करने लगा और मारा गया। तब माता कुंती ने भीम को हिडिम्बा से विवाह करने को कहा और उनका विवाह हुआ जिसके चलते इन्हों ने घटोत्कच नामक बच्चे को जन्म दिया था। भीम ने इसी स्थान पर हिडिम्ब का वध किया था।
कुल्लु राजवंश की कुलदेवी
हिडिम्बा देवी के इस मंदिर से कुल्लु राजवंश की एक मान्यता है जिसके पीछे एक छोटी सी कहानी है। कहा जाता है कि विहंगम दास नाम का शख़्स एक कुमार के यहां नौकरी करता था। हिडिम्बा देवी ने विहंगम दास को एक दिन सपने में दर्शन दिए थे और उसे कुल्लु का राजा बनने का वरदान दिया था।
इस घटना के बाद विहंगम दास ने यहां के एक अत्याचारी राजा को मार गिराया था जिसके कारण वह कुल्लु राजवंश का सबसे पहला राजा बना था और आज भी कुल्लु राजघराने के लोग हिडिम्बा देवी को पूजते हैं।
कैसा है हिडिम्बा देवी का मंदिर ? – Hidimba Devi Temple Architecture
हिडिम्बा देवी का यह मंदिर काफी खूबसूरत और शांति पूर्ण है। इस मंदिर की ख़ासियत यह है कि इसकी चार छतें हैं और छतों को लकड़ी के माध्यम से बनाया गया है। नीचे की तीन छतों को बनाने के लिए देवदार की लकड़ी का प्रयोग किया गया है और ऊपर की मुख्य व चौथी छत को तांबे और पीतल से बनाया गया है। ये चारों छतें एक क्रमबद्ध तरीके से बनाई हैं जिसमें से सबसे निचली छत सबसे बड़ी है और उसके बाद वाली उससे छोटी फिर उससे भी छोटी छत है।
मंदिर की बनावट काफी ही आकर्षित ढंग से बनाई गयी है। जो देखने में बहुत प्रभावित लगती है। सबसे छोटी छत देखने में एक कलश की भांति लगती है। हिडिम्बा देवी के इस मंदिर की दीवारें पत्थरों से बनाई गयी हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार और अन्य दीवारों पर बहुत ही सुंदर नक्काशी की गयी है। मंदिर के भीतर एक प्रतिमा विराज मान है जिसे देवी का विग्रह रूप मान कर पूजा जाता है।
हिडिम्बा मंदिर, एक पर्यटक स्थल – Hidimba Devi Temple Tourist Place
मनाली का यह मंदिर काफी खूबसूरत है। देवदार वृक्षों से घिरे इस मंदिर की ख़ूबसूरती बर्फबारी के बाद देखते ही बनती है। मनाली में आने वाला हर यात्री इस स्थल पर एक बार अवश्य आना चाहेगा। मंदिर को सुबह आठ बजे खोला जाता है और श्याम को छ बजे बंद कर दिया है।
हर साल हजारों की तादाद में यहां दर्शनार्थी आते हैं। हवाई मार्ग से भी यहां आया जा सकता है कुल्लु में भुंतर हवाई अड्डा है इधर से हिडिम्बा देवी मंदिर 40 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग के लिए स्थानीय बस सेवा व टैक्सी का सहारा लेकर भी पहुंचा जा सकता है।
मनाली का यह मंदिर मनोरंजन और धार्मिकता का एक अद्भुत संगम है। हिडिम्बा देवी मंदिर – Hidimba Devi Temple के साथ साथ कुछ ही दूरी पर घटोत्कच का मंदिर भी बनाया गया है। हिडिम्बा मंदिर में हर साल एक मेले का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें स्थानीय लोग भारी संख्या में पहुंचते हैं और आनंद लेते हैं।
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