अमेरिका में जन्मी हेलन केलर एक महान और विलक्षण महिलाओं में से एक थी, जिन्होंने अपने जीवन के कुछ सिद्धांतों और नेक इरादों के दम पर मानवता की एक अनूठी मिसाल कायम की है।
उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायक है, हेलन केलर ने अपने कामों से यह साबित कर दिखाया था कि शरीर की अपंगता किसी व्यक्ति की पढ़ाई-लिखाई, बोलने और खेलने में बाधा पैदा नहीं कर सकती है, बल्कि अपने जीवन के लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत, सच्ची लगन, ईमानदारी, साहस और अटूट दृढ़संकल्प की जरुरत होती है।
शारीरिक अक्षमताओं के बाबजूद भी हेलन केलर हमेशा अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्बा लिए आगे बढ़ती रहीं और न सिर्फ सफलता के मुकाम को हासिल किया, बल्कि खुद को पूरी तरह समाज सेवा में भी समर्पित कर दिया, जिसके बारे में शायद कोई नॉर्मल व्यक्ति सोच भी नहीं सकता है।
हेलन केलर एक मशहूर लेखिका भी थीं, जिन्होंने अपनी रचनाओं और महान विचारों के माध्यम से लोगों के अंदर सकारात्मक सोच विकसित करने में मद्द की एवं उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
अपने संकल्पों के प्रति अडिग रहने वाली हेलन केलर का मानना था कि ”लक्ष्यहीन होना दृष्टिहीन होने से बुरा होता है”, अर्थात जिस व्यक्ति का उसके जीवन में कुछ लक्ष्य नहीं होता है, ऐसे व्यक्ति किसी अंधे व्यक्ति से भी गरे-गुजरे होते हैं।
लेखक होने के साथ-साथ हेलन केलर एक कुशल और सक्रीय राजनीतिक एवं शिक्षिका भी थीं, जो कि जितनी आर्कषक और सुंदर बाहर से दिखती थीं, उतने ही दरियादिल और नेक इंसान अंदर से थी।
समाजवादी नाम के दल में एक सदस्य के रूप में उन्होंने महिलाओं और मजदूरों के हक के लिए अपनी आवाज बुलंद की। इसके साथ ही समाजवाद एवं कट्टरपंथी शक्तियों के खिलाफ अभियान चलाया था। इसके अलावा उन्होंने समाज के लिए कई परोपकार के काम किए और लोगों के अंदर जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित किया। हेलन केलर का कहना था कि-
“जीवन या तो एक साहसिक जोखिम है या फिर कुछ भी नहीं।”
हेलन केलर की महान सोच एवं उनका जीवन आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं, आइए जानते हैं, हेलन केलर की जिंदगी से जुड़े कुछ अहम एवं रोचक तथ्यों के बारे में –
हेलन केलर जीवन परिचय – Helen Keller Biography in Hindi
पूरा नाम (Name) | हेलन केलर |
जन्म (Birthday) | 27 जून 1880, अलबामा, अमेरिका |
पिता का नाम (Father Name) | अर्थर हेनले केलर (Arthur Henley Keller) |
माता का नाम (Mother Name) | केट एडम्स केलर |
शिक्षा (Education) | बीए (हॉवर्ड यूनिवर्सिटी) |
मृत्यु (Death) | 1 जून, 1968 |
जन्म एवं परिवार –
अपनी दरियादिली के लिए पहचानी जानी वाली हेलन केलर 27 जून साल 1880 में अमेरिका के एक अलबामा परिवार में जन्मी थी। इनके पिता जी आर्थर हेनले केलर (Arthur Henley Keller) ने कई साल तक समाचार पत्र के एडिटर के तौर पर काम किया था।
इसके साथ ही उन्होंने आर्मी के कप्तान के रुप में भी अपनी सेवाएं दी थी। उनकी माता कैथरीन एवरेट (एडम्स) केलर, जो कि “केट” के नाम से मशहूर थी, वो एक घरेलू काम-काजी गृहिणी थी जो हेलन से बेहद प्यार करती थी।
हेलन की बोलने, देखने और सुनने की शक्ति छिन जाना –
हेलेन केलर जब महज 19 महीने के थी। तभी वे किसी भयंकर बीमारी की चपेट में आ गईं, जिसके चलते हेलन की बोलने, देखने,और सुनने की शक्ति नष्ट हो गईं। जिसके बाद उनके परिवार में दुखों का पहाड़ टूट पड़े, हंसती-खेलती हेलन को इस अवस्था में देख उनके माता-पिता टूट गए, हालांकि उन्हें कहीं न कहीं इस बात का अंदाजा था कि, उनकी बेटी शारीरिक अक्षमताओं से लड़ने की ताकत रखती है।
हेलन बचपन से ही अन्य बच्चों की तुलना में कहीं ज्यादा होश्यार और बुद्धिमान थी, लेकिन शारीरिक अपंगता के कारण हेलन अन्य बच्चों के साथ बाहर खेल नहीं सकतीं थी। हेलन अपनें सूंघने और छू कर पहचान लेने की शक्ति का इस्तेमाल करनें लगी, तो कई लोगों को वह उनकी गंध से पहचान जाती थी। वहीं हेलन अपने परिवार में सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल कर इशारों में अपनी बात समझा देती हैं।
हालांकि इस दौरान कभी-कभी हेलन अपने अपंगता पर झुंझला उठती थी, और इसी के कारण वे जिद्दी स्वभाव की भी बन गईं थी। कभी- कभी तो वे अपने छोटे भाई-बहने को पीटकर या फिर खुद को नुकसान पहुंचाकर अपनी खींज और झुंझलाहट को कम करती थीं।
वहीं हेलन को इस तरह परेशान देखकर उनके माता-पिता व्याकुल हो उठते थे, और अपनी लाडली बिटिया के इलाज के लिए कई डॉक्टर के पास भी गए, लेकिन कोई भी डॉ़क्टर, हेलन केलर की न तो आंखों की रोश्नी लौटा पाए और न ही कोई सुनने और बोलने की शक्ति वापस दे पाए।
इसके बाद हेलन केलर के माता-पिता अपने बच्ची हेलन के शारीरिक रुप से अक्षम होने के बाबजूद भी उन्होंने हेलन की पढ़ाई के बारे में सोचा। इस दौरान हैलन की मां को एक ऐसी चैरिटी संस्था के बारे में पता चला जो शारीरिक रुप से अक्षम व्यक्तियों के जिंदगी में सुधार लाने के लिए काम करती थी, जिसके बाद उनकी मां ने उस संस्था के पास मद्द के लिए गई।
फिर इस संस्था ने उनके घर में हेलन केलर को पढ़ाने के लिए एनि सेलविन नाम की एक टीचर भेजी, जो मूक-बधिर बच्चों को पढ़ाती थीं। और फिर बाद में इसी टीचर ने हेलन केलर को उच्च शिक्षा हासिल करवा कर उसकी जिंदगी को सही दिशा देने की कोशिश की।
पढ़ाई –
जब टीचर एनी सेलविन हेलन के घर पहुंची तब हेलन की मां को उसे देखकर हैरानी हुई और वे इस बात को लेकर चिंता करने लगीं कि यह नई टीचर उनकी जिद्दी और चिड़चिड़े स्वभाव की बेटी हेलन केलर को कैसे पढ़ा पाएंगी। लेकिन एनी सेलविन न सिर्फ एक शिक्षिका के तौर पर हेलन केलर की पढ़ाई में मद्द की, बल्कि उन्होंने हेलन के अंदर सीखने और काम करने की ललक पैदा की और उन्हें शिक्षित कर हेनरी केलर के स्वाभिमान और आत्मविश्वास को जगाने में उसका साथ दिया।
इसके साथ ही हेलन की टीचर ने उनके माता-पिता से हेलन को लाचार, असहाय न समझने के लिए कहा ताकि वे एक सामान्य व्यक्ति की तरह हेलन को आगे बढ़ने में उनकी मद्द कर सकें, हालांकि इसके लिए उन्होंने हेलन को उनके माता-पिता से उन्हें दूर ले जाने की भी इजाजत मांगी ताकि वे एकांत में हेलन कें अंदर सीखने-समझने की अद्भुत शक्ति विकसित कर सकें। जिसके बाद हेलन के परिवार वालों ने उनकी टीचर की इस बात को मांगते हुए अपनी बेटी को उनके साथ रहने की इजाजत दे दी।
वहीं अपनी टीचर के साथ रहते-रहते हेलन केलर के जिद्दी, चिड़िचिड़े और झुंझलाहट वाले स्वभाव में परिवर्तन आया और वे एक सरल, विनम्र और हंसमुख और सभी से प्रेम करने वाली हेलन केलर बन गईं। आपको बता दें कि, हेलन केलर की टीचर भी हेलन की तरह ही दृष्टिहीन थी, जिससे वह हेलर की पीड़ा को बेहद अच्छे से समझती थी, इसलिए उन्होंने हेलन की पढ़ाई की जिम्मेदारी एक आदर्श गुरु के रुप में ली और वे जब तक मेहनत करती रहती थीं, जब तक कि हेलन को पूरी तरह से समझ में नहीं आ जाता था।
हेलन की टीचर एनी ने सबसे पहले उन्हें मॅन्युअल अल्फाबेट’ एवं नई तकनीक की मद्द से उन्हें अक्षर का ज्ञान दिया। वहीं हेलन भी शुरु से ही विलक्षण प्रतिभा की काफी बुद्धिमान छात्रा थी, इसलिए उन्होंने बेहद कम समय में ही अपनी टीचर से कई जर्मन, फ्रेंच, ग्रीक, अंग्रेजी, लैटिन समेत कई भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर लिया।
लेकिन, हेलन केलर हमेशा से ही सामान्य बच्चों की तरह शिक्षा ग्रहण करना चाहती थी, इसलिए हेलन को उनकी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उनका एडमिशन हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में करवा दिया दिया, जहां से उन्होंने बीए कर आर्ट्स में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। हालांकि, हेलन ने अपनी बीए की पढ़ाई के दौरान तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।
दरअसल, ब्रेल लिपी में सभी किताबें उपलब्ध नहीं होना, डायाग्राम नहीं दिखने की वजह से हेलन को अपनी पढ़ाई के दौरान काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था, उन्हें टॉपिक समझने में काफी परेशानी होती थी, लेकिन हेलन के अंदर सीखने की चाहत इस कदर थी कि ये सारी मुसीबतों उनके रास्ता नहीं रोक पाईं और उन्होंने सफलता पूर्वक अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।
और वे ऐसा करने वाली दुनिया की पहली मूक-बधिर महिला बन गईं। इसके बाद उन्होंने कई दुनिया भर में कई यात्राएं भी की थीं।
दूसरों की सेवा के लिए पूरी तरह समर्पित थी –
अपने जीवन में जिन मुसीबतों का हेलन ने सामना किया था, वे ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थीं कि कोई अन्य कोई दृष्टिहीन और मूक-बधिर व्यक्ति इस तरह की मुसीबतों का सामना करें। वे हमेशा ही मूक-बधिर बच्चों को शिक्षित करने के लिए कहती थी, उनका मानना था कि किसी भी व्यक्ति का आत्मसात शिक्षा से ही हो सकता है, और शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम से जिसके माध्यम से वो आत्मनिर्भर बन सकता है।
इसलिए उन्होंने अपनी कई प्रेरणात्मक लेखन, रचनाओं, भाषण आदि के माध्यम से नेत्रहीन लोगों के कई सवालों के जवाब दिए एवं उन्हें जागृत किया। साथ ही उनके अंदर अपनी जिंदगी में रोशनी भरने का जज्बा कायम किया। इसके अलावा हेलन केलर ने मूक-बधिर बच्चों की मद्द के लिए मिल्टन अंध सोसाइटी स्थापित कर बेल लिपि में उपयोगी साहित्य प्रकाशित करवाया।
यही नहीं हेलन केलर ने शारीरिक रुप से अपंग बच्चों के लिए करोड़ों रुपए इकट्ठे कर कई अनाथालयों एवं संस्थानों का निर्माण करवाया एवं ऐसे बच्चों की सेवा के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं उन्होंने समाज के हित में काम करने के लिए अ्विवाहित रहकर पूरी जिंदगी गुजारने का फैसला किया।
आपको बता दें कि हेलन केलर एक ऐसी महिला थी, जो दान की राशि का एक रुपया भी खुद पर कभी खर्च नहीं करती थी। इसके अलावा शारीरिक रुप से अपंग बच्चों के जीवन में नई आशा, उम्मीद और चेतना जगाने के लिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप समेत दुनिया के कई अलग-अलग हिस्सों में यात्राएं भी कीं और प्रेरणात्मक भाषण देकर लोगों के अंदर सकारात्मक जीवन जीने एवं आगे बढ़ने की अलख जगाई।
इसके साथ ही उन्होंने समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने एवं उनके अधिकारों के लिए एवं मजदूरों को उनका हक दिलवाने के लिए अपनी आवाज बुलंद की। इसके अलावा हेलन केलर ने लोगों को अपने संघर्षमय जीवन के बारे में भी बताया ताकि लोग उनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन के लक्ष्यों को पाने में सफलता हासिल कर सकें और अपनी शारीरिक अपंगता को अपनी कमजोरी नहीं बल्कि अपनी शक्ति बनाएं।
शारीरिक रुप से अक्षम हेलन केलर ने जिस तरह समाज के हित के लिए काम किए और समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाए ऐसा शायद कोई सामान्य व्यक्ति भी करने का हिम्मत नहीं रखता है। हेलन केलर का साहसी व्यक्तित्व अत्यंत प्रेरणादायी है।
लेखन कार्य –
साहसी और निडर स्वभाव की हेलन केलर ने अपने महान विचारों और जिंदगी के अनुभवों से ब्रेल लिपि में करीब 9 किताबें लिखीं। उनके द्धारा लिखी गईं किताबें दुनिया भर में काफी पसंद भी की गईं। महान समाजसेविका हेलन केलन के द्धारा लिखी गई पुस्तक आत्मकथा ‘मेरी जीवन कहानी’ (The Story of My Life) उनकी मशहूर किताबों में से एक थी, उनकी इस किताब को 50 से ज्यादा भाषाओं में प्रकाशित भी किया जा चुका है।
इसके साथ ही उनकी यह किताब दुनिया भर में सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब भी साबित हुई थी, इस पुस्तक से हुई आय से हेलन ने अपने लिए एक घर भी खरीदा था।
इसके साथ ही आपको बता दें कि हेलन केलर प्रकृति के बेहद करीब थीं, वे प्राकृतिक सुंदरतो को अपनी आंखों से भले ही नहीं देख सकती थी, लेकिन उन्होंने लहरों पर थिरकती चांदनी, पहाड़ों से झरती बर्फ, सुंदर वादियों, लहलहराते बाग एवं बसंत के खिले फूलों का अपनी मन की आंखों से बेहद अद्भुत एहसास किया था और बेहद शानदार ढंग से इसका उल्लेख अपनी पुस्तकों में भी किया है।
इसके साथ ही हेलन केलर ने अपने जीवन की मार्गदर्शिका एवं टीचर एनी सेलविन की मद्द से कई महान लेखक जैसे कार्लमार्क्स, टालस्टाय, अरस्तू, रवीन्द्रनाथ टैगोर, नीत्शे, महात्मा गांधी आदि के साहित्य को पढ़ा और उसकी गहराइयों को समझा एवं उनकी कई किताबों का ब्रेल लिपि में अनुवाद भी किया।
इसके अलावा हेलन केलर ने कई मौलिक ग्रंथ भी लिखे। इसके साथ ही हेलन केलर ने अपनी किताबों में यह भी लिखा है कि अपंग बच्चों को दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें अपने गुणों को पहचानकर खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए तभी वे एक सार्थक जिंदगी जी सकते हैं।
मृत्यु –
1 जून साल 1968 को हार्ट अटैक की वजह से वे इस दुनिया से चल बसी। लेकिन उनके महान कामों के लिए उन्हें हमेशा य़ाद किया जाएगा। वहीं आज भी उनका महान व्यक्तित्व लोगों के अंदर नई उमंग एवं चेतना पैदा करता है और आगे बढ़ने का जोश भरता है।
फिल्म –
हेलन केलर एक दूरगामी सोच वाली अद्भुत महिला थी, जिनके प्रेरणादायी जीवन पर हिन्दी फिल्म “ब्लैक” भी बन चुकी हैं। इस फिल्म को हिन्दी सिनेमा के प्रख्यात डायरेक्टर संजय लीला भंसाली ने डायरेक्ट किया था। वहीं अभिनेत्री रानी मुखर्जी ने इस फिल्म में विलेन का किरदार निभाया था, जबकि बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन भी इस फिल्म में मुख्य रोल में थे।
विचार –
- दुनिया की सबसे खूबसूरत एवं सुन्दर चीजें न कभी देखी जा सकती है और न ही छुई जा सकती है। वो तो सिर्फ और सिर्फ दिल से महसूस की जा सकती हैं।
- हेलेन केलर शिक्षा का सबसे बेहतरीन और उत्तम ज्ञान हमें सहिष्णु होना सिखाना ही है।
- हम वह सबकुछ कर सकते हैं, जिसे करने की हम इच्छा रखते हैं, लेकिन इसके लिए शर्त सिर्फ यह है कि जो करें उसमें तन्मयता से लगे रहें।
- “खुद की तुलना ज्यादा भाग्यशाली लोगों से करने की बजाय हमें अपने साथ के ज्यादातर लोगों से अपनी तुलना करनी चाहिए और तभी हमें लगेगा कि हम कितने भाग्यशाली हैं।”
इस तरह कई और महान विचारों के माध्यम से उन्होंने लोगों के अंदर जीवन के प्रति सकारात्मक भाव विकसित किया।
हेलन केलर इस दुनिया की एक ऐसी महान हस्ती थी, जिन्होंने अपने पूरे जीवन भर भलाई के काम किए और वे कई लोगों की प्रेरणा भी बनी।
हेलन केलर नेत्रहीन होने के बाबजूद भी वे अपने मन की आंखों से सब कुछ देख सकती थीं और बाधिर होते हुए भी संगीत के मधुर धुन सुन सकती थी। हेलन केलर का हर सपना रंगीन था और उनकी कल्पना अद्धितीय थी। ऐसी महान हस्ति को पूरी ज्ञानी पंडित की टीम की तरफ से शत-शत नमन!
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