हरिवंशराय बच्चन की जीवनी

हरिवंश राय श्रीवास्तव उर्फ़ बच्चन जी हिन्दी साहित्य जगत का ऐसा नाम हैं, जिनका नाम आज भी शान और गर्व के साथ लिया जाता है।

हरिवंशराय बच्चन जी हिन्दी के एक विख्यात भारतीय कवि और हिंदी के लेखक थे, जिन्होंने अपनी महान रचनाओं और कृतियों के माध्यम से हिन्दी साहित्य में एक नए युग का सूत्रपात किया था उन्हें नई सदी का रचयिता भी कहा जाता था। ऊनकी सबसे प्रसिद्ध कृति “मधुशाला” है।

उन्होंने अपनी कृतियों में बेहद शानदार ढंग से जीवन की सच्चाई का वर्णन किया है, उनकी रचनाएं दिल को छू जाने वाली हैं, जो भी उनकी रचनाओं को पढ़ता है, मंत्रमुग्ध हो जाता है।

1976 में, उन्हें उनके हिंदी लेखन ने प्रेरणादायक कार्य के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। तो आइए जानते हैं हरिवंशराय बच्चन जी के जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें-

हिन्दी साहित्य के महान कवि हरिवंशराय बच्चन की जीवनी – Harivansh Rai Bachchan Biography in Hindi

Harivansh Rai Bachchan

एक नजर में –

नाम (Name) हरिवंश राय श्रीवास्तव (बच्चन)
जन्म (Birthday) 27 नवंबर, 1907, बापूपट्टी गाँव, प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश
पिता (Father Name) प्रताप नारायण श्रीवास्तव
माता (Mother Name) सरस्वती देवी
पत्नी (Wife Name)
  • श्यामा बच्चन (1926-1936),
  • तेजी बच्चन (1941-2003)
बच्चे (Childrens Name)
  • अमिताभ बच्चन( बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता)
  • अजिताभ बच्चन (बिजनेसमैन)
शैक्षणिक योग्यता (Education)  पीएचडी
मृत्यु (Death) 18 जनवरी, 2003, मुंबई, महाराष्ट्र
उपलब्धि (Awards) बीसवीं सदी के नवीनतम और सुप्रसिद्ध कवि, ”मधुशाला” के रचयिता, पद्म श्री से सम्मानित

जन्म, प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा –

हिन्दी साहित्य के प्रमुख एवं नए सदी के रचयिता हरिवंश राय जी 27 नवंबर, 1907 में उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ के एक छोटे से गांव बापूपट्टी के कायस्थ परिवार में जन्में थे। यह अपने माता सरस्वती देवी और पिता प्रताप नारायण श्री वास्तव के बड़े बेटे के रुप में जन्में थे।

बचपन में सभी इन्हें प्यार से ”बच्चन” कहकर बुलाते थे और बाद में यही नाम उनके नाम के आगे जुड़ गया और पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ।

हरिवंशराय जी शुरुआती शिक्षा कायस्थ स्कूल से हुई। बाद में उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई प्रयाग में रहकर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की। इस यूनवर्सिटी में कुछ समय तक उन्होंने प्रोफेसर के तौर पर भी काम किया।

इसके बाद कुछ समय तक वे गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे और फिर अपनी आगे की पढ़ाई के लिए काशी चले गए और वहां की प्रसिद्ध बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की और 1952 में वे इंग्लिश लिटरेचर में PHD करने के लिए इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में चले गए। वहीं क्रैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले वे दूसरे भारतीय बने।

भारत वापस लौटने के बाद हरिवंशराय बच्चन जी ने कुछ दिनों तक भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दू विशेषज्ञ के रुप में काम किया और आकाशावाणी से भी जुड़े रहे।

वैवाहिक जीवन एवं बच्चे –

हिन्दी साहित्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले महान कवि हरिवंश राय बच्चन जी ने साल 1926 में श्यामा बच्चन के साथ विवाह किया था लेकिन शादी के करीब 10 साल बाद ही TB की बीमारी के चलते उनकी मौत हो गई।

फिर इसके करीब 5 साल बाद 1941 में उन्होंने पंजाब की तेजी सूरी के साथ दूसरी शादी कर ली। तेजी सूरी रंगमंच और गायन से जुड़ी हुई थीं। इसके साथ वे भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी भी बेहद करीबी दोस्त मानी जाती थी।

शादी के बाद दोनों को अमिताभ और अजिताभ नाम के दो बेटे हुए। अमिताभ बच्चन जो कि आज मशहूर सुपरस्टार के रुप में बॉलीवुड में राज कर रहे हैं, तो वहीं अजिताभ एक सफल बिजनेस मैन हैं।

हरिवंशराय जी और अमिताभ बच्चन के बीच संबंध:

हरिवंशराय बच्चन जी अपने बेटे अमिताभ बच्चन के फिल्मी दुनिया में करियर बनाने से ज्यादा खुश नहीं थे क्योंकि वे चाहते थे कि वे नौकरी करें, लेकिन अमिताभ की रुचि फिल्मों में होने की वजह से उन्होंने अपना करियर फिल्म जगत में बनाया।

हालांकि उनके इस फैसले में उनकी मां तेजी बच्चन ने उनका सहयोग दिया था। दरअसल अमिताभ बच्चन जी की मां को भी थिएटर में दिलचस्पी थी। इसलिए वे चाहती थीं कि अमिताभ फिल्मों में ही अपना करियर बनाएं।

हालांकि, बाद में उनके पिता भी उनकी सफलता से खुश थे। वहीं अमिताभ के शुरुआती फिल्मी करियर में उनका नाम उस दौर की मशहूर एक्ट्रेस जया भादुड़ी के साथ जुड़ने लगा था। जिसकी भनक लगते ही हरिवंशराय बच्चन ने उनकी शादी जया से करवा दी।

वहीं हरिवंशराय बच्चन जी की कई कविताओं को अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज दी है। वे अपने पिता को अपना आदर्श मानते हैं।

एक महान कवि के रुप में –

हरिवंशराय बच्चन जी छायावाद एवं व्यक्तिवादी काव्य के प्रसिद्ध कवि थे, जिनकी रचनाएं एवं कविताओं मनुष्य के जीवन की वास्तविकता का बोध करवाती हैं।

हरिवंशराय बच्चन जी द्धारा लिखी गईं बहुत सी रचनाएं प्रसिद्ध हुईं, लेकिन वे विशेषकर अपनी रचना ”मधुशाला” के लिए जाने जाते हैं, हरिवंशराय बच्चन जी ने अपनी यह रचना उमर खैय्याम की रुबाईयों से प्रेरित होकर लिखी थी। इस रचना के बाद यह लोगों के चहेते कवि बन गए थे।

लिखने की शैली –

हरिवंश राय जी की लिखने की शैली एकदम सरल, सुगम और पाठकों को दिल को छू जाने वाली थी, जो कि उन्हें अन्य कवियों से अलग बनाती थी।उन्होंने अपनी लेखन शैली से हिन्दी साहित्य में एक नई धारा का संचार किया था।

उनकी अद्भुत लेखन शैली की वजह से ही उन्हें नई सदी का रचयिता भी कहा जाता था। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से भारतीय साहित्य में अभूतपूर्व परिवर्तन ला दिया था।

मशहूर कविताएं और रचनाएं –

  • मधुशाला
  • मधुकलश
  • मिलय यामिनी,
  • लो दिन बीता, लो रात गई
  • किस कर में यह वीणा धर दूँ?
  • कवि की वासना
  • जीवन की आपाधापी में
  • आरती और अंगारे
  • है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
  • नाचघर
  • अँधेरे का दीपक
  • नीड़ का निर्माण फिर
  • क्या भूंलूं क्या याद करूं
  • जाल समेटा
  • निशा निमंत्रण
  • सतरंगिनी
  • एकांत संगीत
  • खादी के फूल
  • दो चट्टान, मिलन
  • सूत की माला।

इसके अलावा हरिवंशराय बच्चन जी ने शेक्सपियर के प्रसिद्ध नाटक मैकबैथ और ओथैलो का हिन्दी में अनुवाद किया था। इसके लिए भी उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।

1955 में, हरिवंशराय बच्चन दिल्ली में एक्सटर्नल विभाग में शामिल हुए जहा उन्होंने बहोत सालो तक सेवा की और हिंदी भाषा के विकास में भी जुड़े। उन्होंने अपने कई लेखो द्वारा हिंदी भाषा को प्रध्यान्य भी दिया। एक कवी की तरह वो अपनी कविता मधुशाला के लिए प्रसिद्ध है। ओमर खय्याम की ही तरह उन्होंने भी शेकस्पिअर मैकबेथ और ऑथेलो और भगवत गीता के हिंदी अनुवाद के लिए हमेशा याद किये जायेंगे। इसी तरह नवम्बर 1984 में उन्होंने अपनी आखिरी कविता लिखी “एक नवम्बर 1984” जो इंदिरा गांधी हत्या पर आधारित थी।

हरिवंश राय बच्चन की एक बहु-प्रचलित कविता निच्छित ही आपको एक नयी उर्जा प्रदान करेंगी। और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी–

कोशिश करने वालों की

लहरों से डरकर नौका कभी पार नहीं होती,
कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती!!
नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरते जाता है,
चढ़ कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है,
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती!!

कई फिल्मों और गीतों में भी हो चुका हरिवंशराय जी की रचनाओं का इस्तेमाल:

हिन्दी साहित्य में अपना विशेष स्थान रखने वाले हरिवंशराय बच्चन जी की कई कविताओं का इस्तेमाल फिल्मों में भी किया जा चुका है। आपको बता दें कि ”अलाप” फिल्म का प्रसिद्ध गाना ”कोई गाता मै सो जाता” हरिवंश राय जी द्धारा लिखी गई कृति से लिया गया है।

इसके अलावा ”सिलसिला” फिल्म का अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गाया मशहूर गाना ”रंग बरसे” भी हरिवंशराय जी द्धारा लिखी एक प्रसिद्ध कविता है।

यही नहीं फिल्म ”अग्निपथ” में मशहूर बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन द्धारा दोहराई गई पंक्ति अग्निपथ। अग्निपथ, अग्निपथ भी हरिवंश राय जी द्धारा लिखित एक प्रसिद्ध कृति है।

पुरस्कार एवं सम्मान –

  • हरिवंशराय बच्चन जी की अलौकिक साहित्यिक प्रतिभा को देखते हुए साल 1968 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • महान कवि हरिवंशराय बच्चन को हिन्दी साहित्य में में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए साल 1976 में उन्हें भारत सरकार द्धारा भारत के प्रतिष्ठित पुरस्कार पद्म भूषण पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
  • साल 1991 में हरिवंशराय बच्चन जी को उनकी महान रचनाएं “क्या भूलूं क्या याद करूं”, ”बसेरे से दूर”, “दशद्वार से सोपान तक” और “नीड़ का निर्माण फिर” के लिए सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • इसके अलावा हरिवंशराय बच्चन जी को नेहरू अवॉर्ड और लोटस पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

निधन –

18 जनवरी, साल 2003 में हिन्दी साहित्य के इस महान कवि हरिवंशराय बच्चन जी ने मुंबई में अपनी आखिरी सांस ली और वे पूरी दुनिया को अलविदा कहकर चले गए।

आज भले ही वे हमारे बीच मौजूद नहीं हैं, लेकिन अपनी महान कृतियों और रचनाओं के माध्यम से वे हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे। वहीं हिन्दी साहित्य में दिए गए उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उनके प्रति आज भी हर भारतीय के दिल में सम्मान है।

20 COMMENTS

  1. सबसे पहले मैं धन्वाद देना चाहूंगी हरिवंशराय बच्चन के बारे में लेख के लिए। रेल विद्युतीकरण /चेन्नै कार्यालय में 27.11.2017 को हरिवंशराय बच्चन जयंती मनाने वाले हैं। इस लेख से मुझे काफी जानकारी मिली। आशा करती हूँ कि हम जयंती मनाने में खूब कामयाब होंगे। धन्यवाद।

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