Guru Ravidass Ji
गुरु रविदासजी का इतिहास – Guru Ravidass Ji History in Hindi
पूरा नाम – श्री गुरु रविदासजी
जन्मस्थान – कांशी (बनारस)
पिता – बाबा संतोख दास जी
माता – कालसी जी
गुरु रविदास जी 15 और 16 वी शताब्दी में भक्ति अभियान के उत्तर भारतीय आध्यात्मिक सक्रीय कवी-संत थे। पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में उन्हें गुरु कहा जाता है। और रविदास जी के भक्ति गीतों ने भक्ति अभियान पर एक आकर्षक छाप भी छोड़ी थी। संत रविदास एक कवी-संत, सामाजिक सुधारक और आध्यात्मिक व्यक्ति थे। रविदास 21 वि शताब्दी में गुरु रविदास जी धर्म के संस्थापक थे।
गुरु रविदास जी के भक्ति गीतों में सिक्ख साहित्य, गुरु ग्रन्थ साहिब शामिल है। पञ्च वाणी की दादूपंथी परंपरा में भी गुरु रविदास जी की बहुत सी कविताये शामिल है। गुरु रविदास ने समाज से सामाजिक भेदभाव और जाती प्रथा और लिंग भेद को हटाने का बहोत प्रभाव पड़ा। उनके अनुसार हर एक समाज में सामाजिक स्वतंत्रता का होना बहुत जरुरी है।
संत रविदास को कभी संत, गुरु और कभी-कभी रविदास, रायदास और रुहिदास भी कहा जाता था।
रविदास के जीवन चरीत्र की पर्याप्त जानकारी भी उपलब्ध नही है। लेकिन बहुत से विद्वानों का ऐसा मानना है की श्री गुरु रविदासजी का जन्म 15 वि शताब्दी में भारत के उत्तर प्रदेश के कांशी (बनारस) में हुआ था। हर साल उनका जन्मदिन पूरण मासी के दिन माघ के महीने में आता है। उनकी माता का नाम माता कालसी जी और पिता का नाम बाबा संतोख दास जी था।
गुरु रविदासजी – Guru Ravidass सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध थे, वे हमेशा से ही जातिभेद, रंगभेद के खिलाफ लड़ रहे थे। बचपन से ही उन्हें भक्तिभाव काफी पसंद था, बचपन से ही भगवान पूजा में उन्हें काफी रूचि थी। परम्पराओ के अनुसार रविदास पर संत-कवी रामानंद का बहोत प्रभाव पड़ा। उनकी भक्ति से प्रेरित होकर वहा के राजा भी उनके अनुयायी बन चुके थे।
गुरु रविदास वैश्विक बंधुता, सहिष्णुता, पड़ोसियों के लिये प्यार और देशप्रेम का पाठ पढ़ाते थे।
गुरु रविदास ने गुरु नानक देव की प्रार्थना पर पुरानी मनुलिपि को दान करने का निर्णय लिया। उनकी कविताओ का संग्रह श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में देखा जा सकता है। बाद में गुरु अर्जुन देव जी ने इसका संकलन किया था, जो सिक्खो के पाँचवे गुरु थे। सिक्खो की धार्मिक किताब गुरु ग्रन्थ साहिब में गुरु रविदास के 41 छन्दों का समावेश है।
ऐसा कहा जाता है की गुरु रविदास जी इस दुनिया से काफी नाराज़ थे और अपने पीछे केवल अपने पदचिन्ह ही छोड़ गए थे। कुछ लोगो का मानना था की अपने अंतिम दिनों में वे बनारस में रहते थे।
आज भी सन्त रविदास के उपदेश समाज के कल्याण तथा उत्थान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने अपने आचरण तथा व्यवहार से यह प्रमाणित कर दिया है कि मनुष्य अपने जन्म तथा व्यवसाय के आधार पर महान नहीं होता है।
विचारों की श्रेष्ठता, समाज के हित की भावना से प्रेरित कार्य तथा सद्व्यवहार जैसे गुण ही मनुष्य को महान बनाने में सहायक होते हैं। इन्हीं गुणों के कारण संत रविदास को अपने समय के समाज में अत्यधिक सम्मान मिला और इसी कारण आज भी लोग इन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं।
मीरा बाई –
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में मीरा के मंदिर के आमने एक छोटी छत्री है जिसमे हमें रविदास के पदचिन्ह दिखाई देते है। विद्वान रविदास जी को मीरा बाई का गुरु भी मानते है। संत मीराबाई और संत रविदास दोनों ही भक्तिभाव से जुड़े हुए संत-कवी थे। लेकिन उनके मिलने का इतिहास में कोई सबुत नही है।
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SANTO K SANT MHAN SANT SHIROMANI SATGURU RAVIDASS JI MHARRAJ KE SHRI CHARNO ME KOTI KOTI NAMAN
Mera Aap se Nivedan hai ki Guru Ravidass ji ko “gyani pandit” kh kr unhe gali na de kyoki guru ravidass ji to chamar ko hi srvsrest mante the unki vanI se bhee is bhat ka pta lagta hai unki Aneko vaniye Chamar Sabd ka pryog
Vikasdas ravi ji,
Website ka naam “Gyani Pandit” hain, hamane SATGURU RAVIDASS JI MHARRAJ ko “Gyani Pandit” nahi kaha hain. kripaya vivek se kaam le. or kuchh galat lag raha hain to bataye..
Apaka dhanyawad
रमता सा बोल हरे राम ,जुगनिया चाम की || टेक ||
चाम की तो धरण बनाई ,चाम का अकाशा |
चाम के ये नौलख तारे,चाम का है परकारा || 1 ||
चाम की तो गऊ बनाई ,चाम का ही बाछा |
चाम निचे चाम चूंघे ,चाम ही दुहन हारा || 2 ||
चाम ऊपर चाम बैठ्या ,चाम बजावन हारा |
चाम बाजै चाम बजावै ,चाम ही बाजन हारा || 3 ||
कहै रविदास सुनो भाई साधो ,कोण चाम से न्यारा |
जो चाम से न्यारा कहिये ,सो सतगुरु है हमारा || 4 ||
रविदास जी ने सब कुछ चाम का बता दिया ,केवल राम सतगुरु ही चाम से न्यारा है।
रविदास जी ने कहा था कि :
ने कहा था किजब मै था तो तू नहीं ,जब तू है तब मै ना,प्रेम गली अति सकडी जामे दोनों ना समाय।
संत शिरोमणि रविदास जी उच्च कोटि की संत थे। और कबीर साहेब जी के बाद में उनकी रूहानी (मौज) ताकत रविदास जी समाई थी दुनिया वालो को ये पता नहीं है। कलियुग में रविदास जी कबीर जी के बाद दुसरे अवतार थे।
दास गुनहगार कुलदीप सिंह (सिहाग)
Bolo SANT SERO MANI RAVI DAS JI Ki Kai
Shree Guru Ravi Dad ji ke Bare ma pad kar but acha laga jai guru ji
Jai GURU RAVIDASS….
Guru Ravidass Ji Ke Bareme Achchi Jankari Di, Dhanyvad