Gateway Of India in Hindi
गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway Of India), अंग्रेजों के समय में बनाया गया भारत के सबसे लोकप्रिय और ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। इसके साथ ही यह पर्यटकों के मुख्य आर्कषण का केन्द्र भी है।
गेटवे ऑफ इंडिया, भारत के मुंबई शहर में होटल ताज के ठीक सामने स्थित है। यह ऐतिहासिक धरोहर मुंबई के समृद्ध औपनिवेशिक इतिहास की याद दिलवाती है। यह पहली ऐसी धरोहर है, समुद्र के रास्ते से आने वाले पर्यटकों का स्वागत करती है। इसके साथ ही यह अरब सागर के समुद्री मार्ग से आने वाले जहाजों के लिए भारत का द्वार कहलाता है।
भारत का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्मारक – गेटवे ऑफ इंडिया – Gateway Of India
निर्माण की शुरुआत | 31 मार्च, 1913 |
निर्माणकार्य पूरा | 192 |
उदघाटन | 4 दिसंबर, 1924 |
स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |
क्यों हुई स्थापना | साल 1911 में किंग जार्ज और क्वीन मैरी की मुंबई की शाही यात्रा को यादगार बनाने उपलक्ष्य में इसका निर्माण हुआ। |
वास्तुकार | जॉर्ज विटेट |
प्रवेश शुल्क | कोई प्रवेश शुल्क नहीं लगता। |
घूमने का समय | सप्ताह के सभी दिन 24 घंटे यात्रियों के लिए खुला रहता है। |
गेटवे ऑफ इंडिया की जानकारी – Gateway of India Information
गेटवे ऑफ इंडिया को ”मुंबई के ताजमहल” के नाम से भी जाना जाता है। यह लोकप्रिय स्मारक साउथ मुंबई के अपोलो बन्दर क्षेत्र में अरब सागर के बंदरगाह पर स्थित है। यह समुद्र के पानी के किनारे मुंबई में छत्रपति शिवाजी मार्ग के आखिरी में स्थित है।
गेटवे ऑफ इंडिया में समुद्र के पास का पूरा दृश्य अति सुंदर और मोहक लगता है। इसके साथ यह महाराष्ट्र में मशहूर एलीफैंटा की गुफाएं देखने जाने वाले पर्यटकों के लिए कनेक्टिंग प्वॉइंट भी माना जाता है। क्योंकि एलीफैंटा गुफाओं का रास्ता यहीं से होकर जाता है।
आपको बता दें कि हर साल मार्च में गेटवे ऑफ इंडिया में ऐलीफेंटा महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। संगीत और नृत्य का यह ऐलीफेंटा महोत्सव इससे पहले ऐलीफेंटा की गुफाओं में आयोजित किया जाता था।
गेटवे ऑफ इंडिया और इंडिया गेट को लेकर हमेशा लोग कंफ्यूज हो जाते हैं। जबकि दोनों की बनावट, संरचना और वास्तुकला में बहुत अंतर है।
गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण – Gateway of India History
भारत के सबसे लोकप्रिय धरोहरों में से एक गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण दिसंबर 1911 में ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पचंम और क्वीन मैरी की मुंबई की यात्रा को यादगार बनाने के उपलक्ष्य में किया गया था।
गेटवे ऑफ इंडिया किसने बनाया – Who Built Gateway of India
आपको बता दें कि गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण दिल्ली दरबार से पहले हुआ था, हालांकि किंग जॉर्ज और क्वीन मैरी इस ऐतिहासिक धरोहर का सिर्फ का एक मॉडल ही देख पाए थे।
क्योंकि गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण तब तक शुरू नहीं किया गया था, दरअसल इसका निर्माण कार्य की शुरुआत सही मायने में साल 1915 में हुई थी।
गेटवे ऑफ इंडिया की नींव 31 मार्च, 1911 को बंबई के राज्यपाल सर जॉर्ज सिडेनहैम क्लार्क द्धारा रखी गई थी। 3 साल बाद जॉर्ज विट्टेट ने 31 मार्च, 1914 को आखिरी डिजाइन पर मंजूरी दे दी थी।
भारत की मशहूर ऐतिहासिक और अति लोकप्रिय धरोहर गेटवे ऑफ इंडिया के निर्माण में पीले बेसाल्ट और कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है। आपको बता दें कि साल 1915 और 1919 के बीच अपोलो बुंदर (पोर्ट) पर एक नई समुद्री दीवार बनाने के साथ गेटवे ऑफ इंडिया के निर्माण काम की शुरुआत हुई।
वहीं दूसरी तरफ गेटवे ऑफ इंडिया की नींव का काम 1920 में पूरा किया गया था, जबकि साल 1924 तक इस ऐतिहासिक धरोहर का निर्माण काम पूरा कर लिया गया था।
मुंबई में स्थित मशहूर पर्यटक स्थल गेटवे ऑफ इंडिया का औपचारिक उद्घाटन भारत के वायसराय रूफस इसाफ, अर्ल ऑफ रीडिंग, द्वारा 4 दिसंबर, 1924 को किया गया था। वहीं धन की कमी की वजह से गेटवे तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं बनाई गई थी।
गेटवे ऑफ इंडिया की संरचना, बनावट और डिजाइन – Gateway of India Architecture
गेटवे ऑफ इंडिया को एक स्कॉटिश आर्किटेक्ट जॉर्ज विट्टेट द्धारा डिजाइन किया गया था और निर्माण कार्य गैमन इंडिया लिमिटेड द्धारा किया गया था, इस ऐतिहासिक स्मारक के निर्माण में पीली बेसाल्ट चट्टानों का इस्तेमाल किया गया है।
आपको बता दें इस पत्थरों को मुंबई से लोकल से ही लाया गया था, जबकि जो छिद्रित स्टोन को ग्वालियर से लाया गया था।
गेटवे ऑफ इंडिया की संरचना मूल रुप से एक विजयी आर्क (Triumphal Arch) है, जो कि मुख्य रुप से इंडो-सारसेनिक वास्तुकला शैली से बनाई गई है, जिसमें कुछ मुस्लिम स्थापत्य और गुजरात के स्थापत्य के स्टाइल का महत्व है।
गेटवे ऑफ इंडिया की खास बात यह है कि वास्तुकला की इस शैली को अंग्रजों द्धारा पेश किया गया था। यह हिन्दू और मुस्लिम वास्तुकला के कई अलग-अलग तत्वों को ट्रेकेरी, स्पियर्स, डोम्स के साथ अनौपचारिक रुप से एक आर्कषक शैली में जोड़ती है।
गेटवे ऑफ इंडिया की संरचना आयत आकार की है, जिसमें तीन खंड हैं। आपको बता दें कि गेटवे ऑफ इंडिया एक बड़ा सा द्वार है जिसकी उंचाई 26 मीटर (85 फीट) है।
और इसके गुंबद का व्यास 15 मीटर है और इसमें 4 मीनारें हैं और इसको जटिल जाली के साथ बनाया गया है। गेटवे ऑफ़ इंडिया को विशाल अरब सागर की तरफ बनाया गया है, जो कि व्यावसायिक शहर मुम्बई के एक अन्य आकर्षित पर्यटक स्थल मरीन ड्राइव से भी जुड़ा है, यह एक सड़क है जो समुद्र के समानांतर चलती है।
रात के समय इस ऐतिहास स्मारक की विशाल भव्यता जब समुद्र में दिखाई देती है तो यह अति सुंदर और मोहनीय लगता है।
कुछ समय बाद स्वामी विवेकानंद और छत्रपति शिवाजी की मूर्तियां भी गेटवे पर लगाई गईं हैं। इसका ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण भारत के अंदर आने और बाहर जाने वाले दरवाजे के तौर पर किया गया था।
वहीं जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा तो उनका आखिरी जहाज यहीं से वापस लौटा था। आपको बता दें कि गेटवे ऑफ इंडिया के निर्माण का खर्च उस वक्त की भारत सरकार ने उठाया था। इसका कुल बजट 21 लाख रुपये रखा गया था। हालांकि इस तक आने वाली सड़क का निर्माण पैसों की कमी की बजह से नहीं किया जा सका था।
गेटवे ऑफ इंडिया भारत के मुख्य पर्यटक स्थलों में से एक है, इसकी भव्यता और सुंदरता को देखने लोग देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आते हैं। यह मुंबई की शान है और मुंबईवासियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थल है, क्योंकि यह स्मारक शहर की संस्कृति को परिभाषित करता है इसके साथ ही यह ऐतिहासिक और आधुनिक सांस्कृतिक परिवेश का एक अनूठा संगम है। इसके अलावा यह स्मारक भारत की शक्ति, ताकत और शांति का चित्रण है।
गेटवे ऑफ इंडिया के बारे में कुछ रोचक तथ्य एक नजर में – Gateway of India Facts
- भारत का मुख्य पर्यटक स्थल गेटवे ऑफ इंडिया का मुंबई में समुद्र तट के पास स्थित है, जिसके द्धार की ऊंचाई 26 मीटर है।
- गेटवे ऑफ इंडिया का 4 दिसंबर, 1924 को औपचारिक रुप से उदघाटन किया गया था और इसी दिन से पब्लिक के लिए खोला गया था।
- गेटवे ऑफ़़ इंडिया को स्कॉटिश आर्किटेक्ट जार्ज विटेट ने डिजाइन किया है।
- साल 1911 में बिट्रेन के किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी की यात्रा को यादगार बनाने के लिए मुंबई में समुद्री मार्ग के प्रवेश द्वार के तौर पर गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण किया गया था।
- इस भव्य ऐतिहासिक स्मारक के प्रवेशद्वार के पास ही पर्यटकों के समुद्र के भ्रमण के लिए बोटिंग भी करवाई जाती है।
- मुंबई में स्थित इस मशहूर पर्यटन स्थल गेटवे ऑफ़ इंडिया वास्तुशिल्प का अनूठा चमत्कार है और इसकी ऊँचाई करीब आठ मंजिल के बराबर है।
- गेटवे ऑफ इंडिया की नींव 31 मार्च 1911 को रखी गई थी, जबकि यह 1924 में करीब 1 दशक के बाद बनकर पूरा तैयार हुआ था।
- आजादी के बाद आखिरी ब्रिटिश जहाज गेटवे ऑफ इंडिया से होकर ही वापस लौटी थी।
- गेटवे ऑफ इंडिया को अरब सागर के समुद्री मार्ग से आने वाले जहाजों आदि के लिए भारत का द्वार भी कहा जाता है।
- गेटवे ऑफ इंडिया, महाराष्ट्र में मशहूर एलीफैंटा की गुफाएं देखने जाने वाले पर्यटकों के लिए कनेक्टिंग प्वॉइंट भी माना जाता है।
- यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण और आर्कषण स्मारकों में से एक है, यह स्मारक ताकत, शक्ति और शांति का चित्रण है।
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