गेलिलियो गैलिली की जीवनी | Galileo Galilei Biography in Hindi

Galileo Galilei Biography

आधुनिक इटली के पीसा नामक शहर में 15 फरवरी 1564 को गेलिलियो गैलिली का जन्म हुआ था। अधिकांश लोग गैलिलियो को एक खगोल विज्ञानी के रूप में याद करते है जिसने दूरबीन में सुधार कर उसे अधिक शक्तिशाली और खगोलीय प्रेक्षणों के लिए उपयुक्त बनाया और साथ की अपने प्रेक्षणों कसे ऐसे चौकानेवाले तथ्य उजागर किये जिससे खगोल विज्ञान को नई दिशा दी और आधुनिक खगोल विज्ञान की नीव रखी।

Galileo Galilei Biography

गेलिलियो गैलिली की जीवनी – Galileo Galilei Biography in Hindi

पूरा नाम  – गेलिलियो गैलिली
जन्म       – 15 फ़रवरी 1564
जन्मस्थान – इटली

गेलिलियो गैलिली के बारे में बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि खगोल विज्ञानी होने के अलावा वो एक कुशल गणितज्ञ, भौतिकविद और दार्शनिक थे जिसने यूरोप की वैज्ञानिक क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसलिए गेलिलियो गैलिली को“ आधुनिक खगोल विज्ञानं का जनक” और “आधुनिक भौतिकी का पिता” के रूप में भी सम्बोधित किया जाता है।

गेलिलियो गैलिली ने दर्शन शाश्त्र का भी गहन अध्ययन किया था, साथ ही वो धार्मिक प्रुवृति के भी थे। पर वो अपने प्रयोगों के परिणामो को कैसे नकार सकते थे, जो पुरानी मान्यताओ के विरुद्ध जाते थे और वो इनकी पुरी इमानदारी से व्याख्या करते थे। उनकी चर्च के प्रति निष्ठा के बावजूद उनका ज्ञान और विवेक उन्हें किसी भी पुरानी अवधारणा को बिना प्रयोग और गणित के तराजू में तोले जाने से रोकता था। चर्च ने इसे अपनी अवज्ञा समझा।

पर गेलिलियो गैलिली की अपनी सोच ने मनुष्य की चिन्तन प्रक्रिया में नया मोड ला दिया।

गेलिलियो गैलिली ने आज से बहुत पहले गणित, सैधांतिक भौतिकी और प्रायोगिक भौतिकी में परस्पर संबध को समझ लिया था। परावलय या पैराबोला का अध्ययन करते हुए वो इस निष्कर्ष पर पहुचे थे कि एक समान त्वरण की अवस्था में पृथ्वी पर फेंका कोई पिंड एक परवलयाकार मार्ग में चलकर वापस पृथ्वी पर गिरेगा, बशर्ते हवा में घर्षण का बल अपेक्ष्नीय हो।

यही नही, उन्होंने ये भी कहा कि उनका सिध्दांत जरुरी नही कि किसी ग्रह जैसे पिंड पर लागू हो। उन्हें इस बात का भी ध्यान था कि उनके मापन में घर्षण और अन्य बलों के कारण अवश्य त्रुटिया आई होगी, जो उनके सिद्धांत की सही गणितीय व्याख्या में बाधा उत्पन्न कर रही थी। उनकी इस अंतर्दृष्टि के लिए प्रसिद्ध भौतिकविद आइन्स्टाइन ने उन्हें “आधुनिक विज्ञान का पिता” की पदवी दे डाली।

जिसे हम आपेक्षिकता का सिद्धांत कहते है, उसकी नीव भी गेलिलियो गैलिली ने ही डाली थी। उन्होंने कहा था “भौतिकी के नियम वही रहते है, चाहे कोई पिंड स्थिर हो या समान वेग में एक सरल रेखा में गतिमान। कोई भी अवस्था ना परम स्थिर या परम चल अवस्था हो सकती है”। इसी ने बाद में न्यूटन के नियमो को आधारभूत ढांचा दिया था।

सन 1609 में गेलिलियो गैलिली को दूरबीन के बारे में पता चला जिसका हॉलैंड में अविष्कार हो चुका था। केवल उसका विवरण सुनकर उन्होंने उससे भी कही अधिक परिष्कृत और शक्तिशाली दूरबीन स्वयं बना ली। फिर शुरू हुआ खगोलीय खोजो का एक अदभुद अध्याय।

गेलिलियो गैलिली ने चाँद देखा, उसके उबड खाबड़ खड्डे देखे। उन्होंने बृहस्पति ग्रह को अपनी दूरबीन से निहारा, फिर जो उन्होंने देखा और उससे जो निष्कर्ष निकाला, उसने सौरमंडल को ठीक ठीक समझने में बड़ी मदद की।

गेलिलियो गैलिली समझ गये थे कि बृहस्पति ग्रह का अपना अलग संसार है। उसके इर्द गिर्द घूम रहे पिंड अन्य ग्रहों की तरह पृथ्वी की परिक्रमा के लिए बाध्य नही है। तब तक यही माना जता था कि ग्रह और सूर्य सभी पिंड पृथ्वी के परिक्रमा करते है। हालांकि निकोलस कोपरनिकस गेलिलियो से पहले ही ये कह चुके थे किग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है ना कि पृथ्वी की, लेकिन इसे मानने वाले बहुत कम थे। गेलिलियो की इस खोज से सौरमंडल के सूर्य केन्द्रित सिधांत को बल मिला था।

इसके साथ ही गेलिलियो ने कोपरनिकस के सिधांत को खुला समर्थन देना शुरू कर दिया था। यह बात तत्कालीन वैज्ञानिक और धार्मिक मान्यताओ के विरूद्ध जाती थी गेलिलियो के जीवनकाल में इसे उनकी भूल ही समझा गया। सन 1633 में चर्च ने गेलिलियो को आदेश दिया कि वो सार्वजनिक रूप से कहे कि ये उनकी सबसे बड़ी भूल है। उन्होंने ऐसा ही किया लेकिन फिर भी उनको कारावास दे दिया गया।

बाद में कारागार में रहते हुए उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया तो उन्हें गृह कैद दे दिया गया जिसमे उनको घर पर ही कैद में रखा गया।

8 जनवरी 1642 को गृह कैद झेल रहे गेलिलियो की मृत्यु हो गयी।उनकी मुर्त्यु के कुछ महीनों बाद ही न्यूटन का जन्म हुआ था। इस तरह हम कह सकते है कि उस समय एक युग का अंत और दुसरे नये क्रांतिकारी युग का आरम्भ हुआ था। आज भी हम गेलिलियो के सिद्धांतो को अपनी पाठ्यपुस्तको में देख सकते है।

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ये बेहतरीन जीवनी हमें राजकुमार माली की और से प्राप्त हुईं हैं:

About Rajkumar Mali

Rajkumar Mali is the Founder of listotop He has done MCA from MAISM, Jaipur, India. He is a Professional Blogger from Last 4 years. He spends his time working on the sites, doing research for new lists, Blogging and Designing, Sleeping and Freelancing.

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11 COMMENTS

  1. mene to ak book ne read keya thb ke waha ke raja ne galeleyo ke dono eye fod de the, book he 10th ke english ke very old book.

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