Gajanan Maharaj
गजानन महाराज शेगाव जिला बुलढाना महाराष्ट्र, के एक संत हैं। और संत गजानन महाराज संस्थान विदर्भ की सबसे बड़ी संस्था हैं। शेगाव ने एक तीर्थस्थल केंद्र के रूप में प्रतिष्टा प्राप्त की है महाराज का आशिर्वाद प्राप्त करने के लिए हजारो श्रद्धालु भक्त झुण्ड में शेगाव आते है।
गजानन महाराज, शेगाव – Gajanan Maharaj, Shegaon
संत गजानन महाराज भगवान शिव के अवतार माने जाते है। उनका जनम कब हुआ किसी को ज्ञात नहीं लेकिन ऐसा माना जाता है की फरवरी १८७८ में शेगांव में प्रकट हुए थे।
दासगनु महाराज ने गजानन महाराज पर २१ अध्याय वाली “श्री गजानन महाराज विजय ग्रंथ“ नामक मराठी किताब भी लिखी है। जिसे हिन्दू पवित्र ग्रंथ के रूप में जानते हैं और रोजाना कई लोग इस ग्रन्थ का पाठ मंदिर में या अपने घरों में करते हैं।
शेगाव के संत गजानन महाराज का इतिहास किसी को ज्ञात नहीं है। लेकिन एक किंवदंती के अनुसार,बंकट लाल अगरवाल जो एक पैसा उधारकर्ता उसने सर्वप्रथम २३,फरवरी १८७८ के दिन गजानन महाराज को बेहोश अवस्था में सड़क पर देखा था। बंकट को जब यह महसूस हुआ की यह एक संत है तो वो उन्हें अपने घर ले गए और महाराज से विनती करते हुए कहा की वो बंकट के साथ ही रहे।
किंवदंती के अनुसार उन्होंने अपने जीवनकाल में कई चमत्कार किए जैसे की जानराव देशमुख को एक नया जीवन दिलाना,आग के बिना मिट्टी के पाइप को रौशनी देना,सूखे कुए को पानी से भर देना,गन्ने को अपने हातो से छिद्रण कर गन्ने से रस निकालना और एक कुष्टरोगी का इलाज करना।
उनके सम्पूर्ण जीवन में किसीने भी उन्हें हाथ में कोई जपमाला धारण करते हुए किसी खास मंत्र का जप करते हुए नहीं देखा। लेकिन वो ऐसे सर्वोच्च संत है जिनका आशीर्वाद पाना ऐसी हर कोई चाह रखता है।
शिवशंकरभाऊ पाटिल गजानन महाराज संस्थान के प्रमुख है। मंदिर के प्रशासन और प्रबंधन, भोजन कक्ष, इंजीनियरिंग और प्रबंधन कॉलेज, आनंद सागर परियोजना और कई सारी संस्थाए जो की इस संस्थान द्वारा चलायी जाती है इन सब कार्यो के लिए शिवशंकरभाऊ पाटिल पुरे भारत में जाने जाते है। संस्थान की कई सारी संस्थाए अमरावती विश्वविद्यालय से संबद्ध है।
यहाँ का कॉलेज इंजीनियरिंग के लिए सर्वश्रेष्ट संस्थानोमे से एक है। इस संस्था द्वारा विकसित की गयी आनंद सागर परियोजना जो कि 750 एकड़ जमीनपर फैली हुई है सारी सुविधाए उपलब्ध करवाती है वो भी बहुत कम दरो में।
यहाँ का मंदिर स्वच्छता और शुद्ध वातावरण के लिए सम्पूर्ण महाराष्ट्र में प्रसिद्ध है। यहाँ के सेवक जो केवल सेवा हेतु कार्य करते है उनका व्यवहार काफ़ी विनम्र और सम्मानजनक है।
महाराज के सम्मान हेतु सम्पूर्ण महाराष्ट्र में उनके मंदिर बनवाये गए। उन्होंने अपनी जादातर जिंदगी शेगाव में ही बिताई जो की अकोला जिले (महाराष्ट्र) के काफ़ी नजदीक है जहा पर उन्होंने 8 सितम्बर 1920 मे समाधी ली।
महाराज के भक्तो के लिए शेगाव के मंदिर का विशेष महत्व है, फिर भी महाराष्ट्र के हर जिले में हमें गजानन महाराज के मंदिर देखने को मिलते है।
८ सितम्बर १९१० में महाराज ने समाधी ली। जिस स्थान पर महाराज ने समाधी ली उस जगह पर उनका मंदिर बनवाया गया। संत गजानन महाराज संस्थान सम्पूर्ण विदर्भ सबसे बड़ा संस्थान है और यह संस्थान को “विदर्भ का पंढरपुर” भी माना जाता है। सारे महाराष्ट्र से श्रद्धालु भक्त यहाँ पर आते है।
संरचना
मंदिर के आसपास का क्षेत्र अच्छी तरीक़े से बनाए रखा है । श्री गजानन महाराज मंदिर श्री राम मंदिर के निचे स्थित है। उसी क्षेत्र में एक स्थान है जहा पर धूनी जलाई जाती है। धूनी के नजदीक ही महाराज की पादुकाये रखी है जिनका भक्त दर्शन ले सकते है।
वहा पर भगवान विट्ठल और रुक्मिणी और भगवान हनुमानजी का मंदिर है। हनुमान जी के मंदिर के पास में एक पीपल का पेड़ है और ऐसा कहा जाता है की ये पेड़ गजानन महाराज के समय का है जब गजानन महाराज यहाँ पर निवास करते थे।
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