First Newspaper in India
मीडिया को जनता और सरकार के बीच का वो पारदर्शी आईना माना जाता है। जिसके आर पार ये दोनों देख सकते है। यानी की सरकार के कामों की जानकारी जनता तक और जनता के दुखों की कहानी सरकार तक पहुंचाना मीडिया का काम है। आज के समय में भारतीय मीडिया ने बहुत विस्तार कई है। आज देश में कई बड़े छोटे टीवी न्यूज चैनल, न्यूज पेपर है इसके अलावा इस डिजिटल युग में डिजिटल मीडिया ने भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। लेकिन क्या आप जानते है First Newspaper in India – भारत का पहला अखबार कौन था?
क्या आप जानते है भारत का पहला अखबार कौनसा था? – First Newspaper in India
ब्रिटिश के आगमन के बाद साल 1780 में भारत के पहले समाचार पत्र बंगाल गजट की स्थापना हुई थी। बंगाल गजट से पहले भारत में मीडिया का शायद ही कोई अस्तित्व रहा होगा। हालांकि बंगाल गजट ने भारत को गुलामी से बाहर आने की एक नई सोच दी।
बंगाल गजट का प्रकाशन जेम्स आगस्टस हिक्की ने किया था जो खुद ईस्ट इंडिया कंपनी में एक कर्मचारी हुआ करते थे। ये अखबार अंग्रेजी भाषा में साप्ताहिक तौर पर निकाला गया। लेकिन इस अखबार के आने से भारत ब्रिटिश प्रशासन में हो रही गड़बड़ी बड़ी तेजी से बाहर आने लगी।
हिक्की ने अपने एक पत्र में कहा था कि उन्होनें भारत में बंगाल गजट अखबार की शुरुआत सिर्फ इसलिए क्योंकि वो भारत अधिकारियों की लूटपाट और भष्टाचार से काफी दुखी थे लेकिन वो दूसरे कर्मचारियों की तरह मौन रखकर सबकुछ देखते नहीं रहना चाहते थे।
हिक्की का बंगाल गजट नामक का ये अखबार राजनीतिक और वाणिज्यिक पर केंद्रित था। हालांकि राजनीतिक वाणिज्यिक मुद्दों के अलावा इस अखबार मे बाजार भाव, शादी ब्याह और सामाजिक विषयों संबंधित आर्टिकल भी छपा करते थे। आपको जानकर हैरानी होगी आज के समय में अखबारों में संपादक पत्र नाम का कॉलम भी हिक्की के बंगाल गजट से ही शुरु हुआ था। उन दिनों लोग संपादक पत्र के जरिए अपने आस पास की समस्याओं को अखबार के जरिए प्रशासन तक पहुंचाते थे।
लेकिन हिक्की का अखबर ईस्ट इंडिया कंपनी के उन अधिकारियों को बिल्कुल पंसद नहीं आ रहा था। जो भारत में गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार थे। क्योंकि हिक्की के एक के बाद एक ईस्ट इंडिया कंपनी के भ्रष्ट्राचार की पोल ने लोगों के बीच ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ आक्रोश को बढ़ा दिया था। हिक्की के सबसे विवादित दावों में भारत के उस समय के गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स पर ये आरोप लगाया गया कि उन्होनें उस समय के भारत सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को घूस दी थी।
जिसके बाद वॉरेन ने हिक्की के अखबार को बंद करने के लिए हर मुनकिन कोशिश की। लेकिन जब कोई बात नहीं बनी तो हिक्की पर वॉरेन ने परिवारवाद का मुकदमा चलाकर जेल भेज दिया। माना जाता है कि हिक्की ने जेल से भी कुछ वक्त तक अपने अखबार का प्रकाशन कराया लेकिन फिर वॉरेन ने सुप्रीम कोर्ट के साथ मिलकर हिक्की की प्रेस को ही बंद करा दिया।
हालांकि ये विवाद इतना बढ़ चुका था कि इस पर ब्रिटेन को दखल देना ही पड़ा। और जांच में वॉरेन और सुप्रीम कोर्ट के जज दोनों को दोषी पाया गया और उन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ा।
रिपोर्टस के अनुसार हिक्की के बंगाल गजट का प्रकाशन मार्च साल 1782 तक ही हुआ था। हालांकि इस अखबार ने भारत में जो आग फैलाई। उसके परिणाम स्वरुप ही 1857 में स्वतंत्रता संग्राम की बात कही जाती है।
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