Father of Modern Biology
जिव सृष्टी की निर्मिती और इसमे मौजूद जैव विविधता हर वक़्त विज्ञान के दृष्टी से आकर्षण और खोज का विषय रहा है, विश्व मे मौजूद सभी प्रकार के जिवो का अध्ययन जिव विज्ञान और इसके उप शाखाओ द्वारा किया जाता है। पर क्या कभी आपके मन मे ये सवाल उठता है के वह कौन है जिन्होने इस विषय मे अपना अमुल्य योगदान दिया तथा उनकी पहचान जिव विज्ञान के जनक के तौर पर है?
अगर आप भी इस प्रश्न का उत्तर जानने के इच्छुक है तो, इस लेख द्वारा ‘जिव विज्ञान’ (बायोलॉजी) के जनक की दी जानेवाली जानकारी आपके लिए काफी महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।
यहाँ हम आपको ना केवल जिव विज्ञान (बायोलॉजी) के जनक का संक्षेप मे परिचय देंगे, बल्की उनके द्वारा विज्ञान के इस महत्वपूर्ण विषय मे किए गए कार्य और अहम योगदान से भी परिचित कराएंगे।
जिव विज्ञान (बायोलॉजी) के जनक कौन है? – Father of Biology in Hindi
जिव विज्ञान (बायोलॉजी) के जनक का संक्षेप मे परिचय – Introduction About Aristotle (Father of Biology/Zoology)
संपूर्ण नाम (Full Name) | एरिस्टोटल (Aristotle) । |
जन्म (Date of Birth) | इसवी सदी पूर्व ३८४। |
जन्मस्थान (Birth Place) | स्टैगिरा शहर (ग्रीस) |
मुख्य पहचान(Well known For) | दार्शनिक, जिव विज्ञानी और जिव विज्ञान के जनक, तर्क शास्त्र के जनक, प्राकृतिक सिद्धांत के जनक, विश्व विजेता सिकंदर के गुरु इत्यादि। |
प्रमुख किताबे(Biology Books By Aristotle) | हिस्ट्री ऑफ एनिमल्स, जनरेशन ऑफ़ एनिमल्स, मूवमेंट्स ऑफ़ एनिमल्स, प्रोग्रेशन ऑफ़ एनिमल्स, पर्वा नैचरलिया, ऑन प्लांट्स, ओपरे बायोलॉजी इत्यादि। |
मृत्यू (Death) | इसवी सदी पूर्व ३२२। |
मृत्यू स्थान(Death Place) | इओबिआ/एविया(ग्रीस) |
एरिस्टोटल का शुरुवाती जीवन – Information About Aristotle (Father of Biology/Zoology)
एरिस्टोटल का जन्म एक समृध्द परिवार मे हुआ था, उनके पिता तत्कालीन समय मे चिकित्सक का कार्य करते थे वही उनकी माता शुरू से एक धनी परिवार से थी। इतिहास के दस्तावेजो अनुसार एरिस्टोटल का जन्म इसवी सदी पूर्व ३८४ को ग्रीस के स्टैगिरा शहर मे हुआ था।
शुरू से इनको प्राकृतिक तौर पर मौजूद जैव विविधता से काफी लगाव था तथा इस विषय के तरफ इनका काफी ज्यादा झुकाव भी था। आयु के १७ वे साल मे इन्हे प्लेटो के शिक्षा संस्थान मे दाखिल किया गया जो के अथेन्स शहर मे मौजूद था, यहाँ पर इन्होने प्लेटो के मृत्यू तक ज्ञान और शिक्षा को ग्रहण किया।
इसका मिला जुला नतीजा ये हुआ के आयु के २० साल तक इनका विभिन्न विषयो मे अध्ययन पुरा हुआ, जिसके अंतर्गत तर्क शास्त्र, दर्शन शास्त्र तथा जिव विज्ञान से संबंधित ढेर सारे बातो को इन्होने सिखा।
एरिस्टोटल के ज्ञान और गहरे अध्ययन का सबसे बडा उदाहरण ये है के विश्व विजेता सिकंदर के गुरु के रूप मे उन्हे नियुक्त किया गया था। सिकंदर ने एरिस्टोटल से वो अमुल्य ज्ञान उपदेश हासिल किया, जिसके बलबुते वो दुनिया पर विजय हासील कर पाया था।
जिव विज्ञान से संबंधित लगभग १५ से ज्यादा किताबो मे एरिस्टोटल द्वारा अध्ययन मे प्राप्त हुए तथ्य रखे गए है। जिसने जिव विज्ञान और उसमे आगे हुए अध्ययन कर्ताओ को अद्भुत बातो से परिचित कराया था।
आगे हम चर्चा करेंगे एरिस्टोटल द्वारा जिव विज्ञान मे दिए गए अनमोल योगदान के बारे मे, जिसमे हमारा प्रयास रहेगा के आपको उन सभी बातो से अवगत कराए जिसको पढते हुए ना केवल आपको मजा आएगा बल्की बहुमुल्य जानकारी को जानने का मौका भी मिलेगा।
एरिस्टोटल का जिव विज्ञान मे कार्य – Contribution of Aristotle
जिव सृष्टी मे मौजूद विभिन्न जिवो का कई सालो तक एरिस्टोटल ने अवलोकन और अध्ययन किया, जिससे संबंधित प्रमुख बातो को निम्नलिखित तौर पर दिया गया है।
- जिव विज्ञान के शुरुवाती अध्ययन मे सबसे पहले एरिस्टोटल ने विभिन्न जिवो के अंडो का अवलोकन किया जिसमे उन्होने जिव के विकास के क्रम को जानने का प्रयास किया। यहाँ गर्भ मे जिव के शुरुवाती अस्तित्व से लेकर एक अंडे का जिव के रूप मे रूपांतरण भी शामिल था।
- एरिस्टोटल का मानना था के किसी भी जीव का सबसे पहले दिल विकसित होता है, जिसका सही आकार जानने का उन्होने प्रयास किया पर बगैर माइक्रोस्कोप के इसका गहराई से अवलोकन कर पाना उस समय असंभव था। इस लिए तर्क का आधार लेते हुए इन्होने इस पर तथ्य रखे, जो कुछ समय बाद सही साबित हुए।
- जिव विज्ञान के इतिहास मे विभिन्न जिवो की जानकारी को सही पद्धती से वर्गीकृत करने का श्रेय एरिस्टोटल को दिया जाता है।
- प्राकृतिक रूप से मौजूद सभी जैविक चिजो के साथ आत्मा का संबंध है ये स्पष्ट रूप से एरिस्टोटल का मानना था, जिसमे उन्होने पेड पौधो को शाकाहारी जिव कहा तो वही मनुष्य को छोड अन्य जिवो को उन्होने संवेदनशील आत्मा कहा था। मनुष्य के बारे मे एरिस्टोटल का मानना था के मानवीय आत्मा बुद्धी संपन्न और विवेकपूर्ण होती है, पर बगैर आत्मा के किसी भी प्रकार की जिव सृष्टी होना असंभव है।
- तत्कालीन समय मे एरिस्टोटल द्वारा रखे गए जिव विज्ञान संबंधी तथ्यो ने हलचल पैदा कर दी थी, उनके द्वारा किए गए जिव के अध्ययन और रखे गए तथ्यो को किताबो के रूप मे सहेज कर रखना प्रारंभ हुआ जिसमे १५ से ज्यादा किताबे तैयार की गई थी।
- दार्शनिक और तर्क शास्त्र मे कुशल होने के कारण एरिस्टोटल द्वारा जिव विज्ञान और अन्य विषय पर रखे गए लगभग सभी तथ्य कुछ समय के पश्चात सही साबित हुए, जिसने जिव विज्ञान को नई उर्जा प्रदान की थी।
- एरिस्टोटल के शिष्य थिओफ्रास्टस ने इनसे प्रेरणा लेकर ही वनस्पति विज्ञान मे खोज की थी, जो के आगे वनस्पति विज्ञान के जनक कहलाए गए।
- समुद्री जिवो का एरिस्टोटल द्वारा किया गया अवलोकन और अध्ययन तथा उनसे प्राप्त हुए तथ्य आगे हुए जिव विज्ञानीयो के लिए महत्वपूर्ण ज्ञान साबित हुआ।
- “वांशिक तौर पर जिवो द्वारा एक से अनेक मे नैसर्गिक तथा शारीरिक विशेषताए हस्तांतरित होती रहती है”, एरिस्टोटल द्वारा रखे गए इस सिद्धांत मे काफी ज्यादा सटीकता साबित हुई, जिसका बादमे मे जिव विज्ञान के अध्ययन हेतू लाभ हुआ।
- आजके समय से एरिस्टोटल के समय की तुलना करे तो तत्कालीन समय मे उनके द्वारा किया गया जिव विज्ञान का अध्ययन तथा रखे गए सिद्धांत काफी दूरदर्शी तथा हैराण करने वाले मालूम पडते है।
इस प्रकार से अबतक आपने जिव विज्ञान के जनक एरिस्टोटल के बारे मे मजेदार तथा अहम बातो को जाना, हमे विश्वास है के आपको ये जानकारी काफी पसंद आई होगी तथा भविष्य मे इसका लाभ भी होगा। अन्य लोगो को इस जानकारी से अवगत कराने हेतू लेख को उनतक अवश्य साझा करे, अबतक हमसे जुडे रहने हेतू बहुत बहुत धन्यवाद।…
जिव के जनक के बारे मे अधिकतर बार पुछे जाने वाले सवाल – Quiz on Father of Biology/Zoology
जवाब: एरिस्टोटल।
जवाब: लगभग १५ से अधिक किताबे।
जवाब: थिओफ्रास्टस।
जवाब: ग्रीस।
जवाब: प्लेटो।
जवाब: लगभग १०० उप शाखाएँ जिव विज्ञान से संबंधित है, जिसमे से २५ शाखाओ को प्रमुख शाखा माना जाता है।