Facts about Republic day of India
26 जनवरी गणतंत्र दिवस यानी की वो दिन जिस दिन हमारे देश में संविधान लागू हुआ था। साल 1950 में आज के दिन भारत का संविधान लागू हुआ था तब से लेकर आज तक हम इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं।
संविधान यानी की हमारे लिए नियम बनाये गए थे। हम कैसे रहेगे, क्या गलत है, क्या सही है आदि बातें शामिल की गई थी। बस हम इतना ही जानते हैं इस दिन के बारे में लेकिन इस दिन की बहुत कुछ ख़ास बातें है जो आपको जान लेनी चहिये-
गणतंत्र दिवस की वो बातें जो आप नहीं जानते होंगे – Facts about Republic day of India
- संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी क्यों चुना गया इसके पीछे भी कुछ ख़ास कारण है। दरअसल 26 जनवरी 1930 के दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी। इसके बाद इसी दिन 1950 में हमारा संविधान लागू हुआ।
इस दिन 10 बजकर 18 मिनट में देश का संविधान लागू किया गया था। संविधान लागू होने के ठीक छ मिनट बाद राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। ये शपथग्रहण समारोह गवर्नमेंट हाउस में रखा गया था जिसमे नेहरु समेत सभी नेता मौजूद थे।
- हमारे देश का संविधान पूरी तरह से हाथ से लिखा गया है। इसे लिखने के लिए किसी भी तरह का टाइपराइटर इस्तेमाल नहीं किया गया है। सबसे बड़ी बात की यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लिखा गया है। इसके बाद इसे हीलियम के बक्से में बंद करके रख दिया गया जिससे इसके पन्ने खराब ना हो। संसद भवन की लाइब्रेरी में आज भी संविधान सुरक्षित रखा हुआ है।
इसके अलावा हमारे देश का संविधान मिश्रित है। यानी की अलग-अलग देशो जैसे की जर्मनी, इंगलैंड, रूस आदि जगहों से इसमें नियम लिए गए है।
- गणतंत्र दिवस यानी की 26 जनवरी के दिन देश में कोई ना कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष मेहमान बनकर आता है। पहला गणतंत्र दिवस जब मनाया गया था इसमें मुख्य अथिति के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो शामिल हुए थे।
- वर्तमान समय में इस दिन होने वाली परेड राजपथ में होती है। लेकिन ये बात नहीं जानते होंगे की शुरुआत में यह अलग अलग जगहों में हुई थी। 1955 से यह राजपथ में होनी शुरू हुई थी तब से लेकर अब तक वही हो रही है। उससे पहले 1950 से लेकर 1954 तक यह परेड क्रमशः इरविन स्टेडियम जिसे अब नेशनल स्टेडियम कहा जाता है, किंग्सवे, लालकिला, रामलीला मैदान में आयोजित हुई।
किंग्सवे का नाम बाद में बदलकर राजपथ कर दिया गया। जब 1955 में यहाँ परेड हुई तब पाकिस्तान के गवर्नर जरनल मलिक गुलाम मोहम्मद मुख्य अथिति के रूप में शामिल हुए थे।
- इस दौरान जब राष्ट्रगान होता है तो राष्ट्रपति को इक्कीस तोपों की सलामी दी जाती है। इसके बारे में आपने अक्सर सुना होगा। यह सलामी राष्ट्रगान शुरू होने से लेकर इसके खत्म होने तक की होती है यानि की कुल 52 सेकंड्स की।दरअसल यह सात अलग अलग तोपें होती है जो की भारतीय सेना की होती हैं। इन्हें पौंडर्स कहा जाता है।
हर एक तोप से तीन राउंड फायरिंग की जाती है और कुल 21 सलामियाँ होती है। इन तोपों को साल 1941 में बनाया गया था।
- गणतंत्र दिवस पूरी पाबन्दी के साथ मनाया जाता है। इसमें समय का सबसे अधिक ध्यान रखा जाता है। सेकंड्स तक गिने जाते हैं। यह तय किये गए समय में शुरू होकर किये गए तय समय में ही खत्म होता है। अगर यह कार्यक्रम एक सेकंड की देरी से शुरू हुआ है तो यह एक सेकंड की देरी से खत्म भी होगा।
- गणतंत्र दिवस खत्म होने के बाद हर साल अंत में “abide with me” गाना बजाया जाता है। कहा जाता है की यह राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का फेवरेट गाना था।
- राजपथ में चलने वाली हर एक झांकी की रफ़्तार पांच किलोमीटर प्रति घंटे की होती है। ना इससे कम और ना ही इससे अधिक।
- वैसे हम सबके लिए यह त्यौहार एक ही दिन मनाया जाता है जबकि आधिकारिक रूप से यह तीन दिन चलता है। 29 जनवरी को रिट्रीट सेरेमनी के साथ इसका समापन होता है।
ये दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का सबसे बड़ा पर्व है। इसे आप मनाएं और साथ में ये संकल्प लें की देश के संविधान में लिखी हर एक बात का हम पालन करेंगे।
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