Essay on Qutub Minar
भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार देश की न सिर्फ एक ऐतिहासिक विरासत है, बल्कि मशहूर पर्यटन स्थल भी है, जिसकी गिनती भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीनारों में होती है।
विद्यार्थियों को देश की अद्भुत इमारतों के बारे में जानकारी देने अथवा उनके लेखन कौशल में विकास करने के उद्देश्य से कई बार स्कूल, कॉलेजों में निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में कुतुबमीनार के विषय पर अलग-अलग शब्द सीमा में निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –
कुतुब मीनार पर निबंध – Essay on Qutub Minar In Hindi
प्रस्तावना
भारती के सबसे ऊंची मीनार में शामिल कुतुब मीनार एक मशहूर ऐतिहासिक स्मारक है, जिसे विश्व धरोहर स्थलों की लिस्ट में शामिल किया गया है। यह मुगलकालीन वास्तुकला का एक अदभुत उदाहरण है। वहीं इस इमारत की भव्यता और सुंदरता को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।
कुतबमीनार का निर्माण कब और किसने करवाया था – Qutub Minar Information
भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीनार कुतुब मीनार का निर्माण कार्य 12 वीं शताब्दी में साल 1193 में गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा शुरु किया गया था, लेकिन इस मीनार का निर्माण काम उनके शासन काल में पूरा नहीं हो सका, जिसके बाद इसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार के निर्माण को अंतिम रुप दिया।
हालांकि, साल 1368 में इस ऐतिहासिक धरोहर की पांचवी और अंतिम मंजिल फिरोज शाह तुगलक के द्धारा बनवाई गई थी।
वहीं सन 1508 में आए भयंकर भूकंप की वजह से कुतुब मीनार की इमारत को काफी नुकसान पहुंचा था, उस दौरान लोदी वंश के दूसरे शासक सिकंदर लोदी ने इसकी मरम्मत करवाई गई थी।
आपको बता दें कि कुतुबमीनार की अदभुत इमारत जाम की मीनार से प्रेरित होकर बनाई गई थी और इसका नाम दिल्ली के सुल्तान कुतुब-उद-दिन ऐबक के नाम पर रखा गया है। वहीं ‘कुतुब’ शब्द का अर्थ है ‘न्याय का ध्रुव’।
उपसंहार
कुतुबमीनार भारत के प्रमुख आर्कषणों में से एक है। जिसके आसपास बने कई ऐतिहासिक स्मारक इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। वहीं इस ऐतिहासिक, अद्भुत एवं अद्धितीय स्मारक की भव्यता को देखने दूर-दूर से सैलानी आते हैं और इसकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाते।
अत: हम सब लोगों को ऐतिहासिक स्मारकों के महत्व को समझना चाहिए और इनके संरक्षण के उचित प्रयास करना चाहिए।
कुतुब मीनार पर निबंध – Qutub Minar par Nibandh
प्रस्तावना
दिल्ली के अरबिंद मार्ग में स्थित कुतुबमीनार भारत की दूसरी सबसे बड़ी और ऐतिहासिक स्मारक है। जिसका निर्माण 12-13वीं शताब्दी के बीच कई शासकों द्धारा करवाया गया, लेकिन इस स्मारक को अंतिम रुप सिकंदर लोदी द्धारा दिया गया था।
इसे विजय मीनार के तौर पर भी जाना जाता है। मुगलकालीन वास्तुशैली का यह एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
कुतबमीनार की बनावट एवं संरचना – Qutub Minar Architecture
ऐतिहासिक एवं अद्भुत इमारत कुतुबमीनार का निर्ममाण मुगलकालीन वास्तु शैली का इस्तेमाल कर किया गया है, वहीं यह मुगलकालीन वास्तुकाल का एक सर्वश्रेष्ठ नमूना भी है। कुतुबमीनार की बहुमंजिला इमारत हैं, जिसकी 5 अलग-अलग मंजिल हैं, जिसमें बेहद खूबसूरत नक्काशी की गई है, वहीं इस मीनार की सबसे आखिरी मंजिल से पूरे दिल्ली शहर का शानदार और अद्भुत दृष्य दिखाई देता है।
इसके निर्माण में संगममर और लाल बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया हैं। हर मंजिल के सामने एक बॉल्कनी भी बनी हुई है।
इसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि कुतुब मीनार को बनाने के लिए करीब 27 मंदिरों को तोड़कर पत्थरों को प्राप्त किया गया था। इस इमारत के पत्थरों पर बनी कुरान का आयतें इसकी सुंदरता पर चार चांद लगाती हैं।
देश की दूसरी सबसे ऊंची मीनार का इस्तेमाल पहले मस्जिद की मीनार के रुप में किया गया था, और वहीं से अजान दी जाती थी और फिर बाद में यह एक पर्यटन स्थल के तौर पर प्रसिद्ध हुआ।
भारत की इस खूबसूरत इमारत के आधार का व्यास करीब 14.3 मीटर और सबसे ऊंचे शीर्ष का व्यास 2.7 मीटर है। इन्डो-इस्लामिक शैली में बनाई गई कुतुब मीनार की लंबाई 73 मीटर लंबी है, जिसके अंदर करीब 379 सीढि़यां है।
कुतुबमीनार एक भारी परिसर में बना हुआ है, जिसके आसपास कई ऐतिहासिक इमारतें भी बनी हुई हैं, इसके पास एक लौह स्तंभ भी है, जिसका निर्माण गुप्त सम्राज्य के चंद्रगुप्त द्वितीय द्वारा करवाया गया था।
कुतुब मीनार की प्रमुख विशेषताएं – Qutub Minar Facts
मुगलकालीन वास्तुकला का सर्वोत्तम नमूना कुतुब मीनार विश्व के सबसे ऊंचे और प्रसिद्ध टावरों में से एक है। इसके साथ ही इसे विश्व की सबसे लंबी ईट मीनार भी कहा जाता है, जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। कुतुब मीनार की इस भव्य इमारत को इंडो-मुस्लिम शैली के तहत बनाया गया है।
वहीं कुछ इतिहासकारों और विद्दानों के मुताबिक 12वीं और 13वीं सदी में कुतुब-उद्दीन ऐबक और उसके उत्तराधिकारियों इस भव्य इमारत का निर्माण राजपूतों के ऊपर मुहम्मद गौरी की जीत का जश्न मनाने के लिए किया गया था।
शंक्काकार आकार में बनी इस कुतुब मीनार की भव्यता, सुंदरता को निहारने दूर-दूर से लोग आते हैं, यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
कुतबमीनार का मुख्य आर्कषण – Main Attraction Of Qutub Minar
विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल दिल्ली में बनी यह ऐतिहासिक मीनार की बनावट यहां आने वाले हर सैलानी को अपनी तरफ आर्कषित करती है। इसलिए, इसे देखने बड़ी तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं। वहीं मुगलकालीन वास्तुकला का इस्तेमाल कर बनी इस भव्य मीनार के आसपास एक सुंदर बगीचा भी बना हुआ है, जिसे लोगों द्धारा खूब पसंद किया जाता है।
भारत की दूसरे सबसे ऊंची मीनार के पास एक और लंबी मीनार बनी हुई है, जो कि अलाई मीनार के नाम से पहचानी जाती है। इसके अलावा इसके आस-पास कई अन्य प्रसिद्ध स्मारक भी बने हुए हैं, जिनका अपना एक अलग ऐतिहासिक महत्व है।
वहीं इसके बारे में यह मान्यता है कि अगर कोई भी व्यक्ति इसकी तरफ पीठ कर इसके सामने खड़े होकर अपने हाथों से इसका चक्कर लगाता है तो उसकी सारी मुराद पूरी होती हैं।
कुतुब मीनार को विजय और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। क्योंकि इस निर्माण भारत में हिन्दु राजाओं पर मुस्लिम शासकों की जीत के जश्न के लिए किया गया था। इसकी विशालता, भव्यता एवं सुंदरता को निहारने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।
निष्कर्ष
दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार एक अद्धितीय स्मारक है और भारत के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है। इस मीनार को मुगलकालीन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट एवं सर्वोत्तम नमूना माना जाता है।
क्योंकि कई साल तक चले इस मीनार की बनावट में हर पहलू को ध्यान में रखकर बेहद सुंदर तरीके से डिजाइन किया गया है। वहीं सुंदर लाल बलुा पत्थरों पर बनी मुस्लिम धर्म की पवित्र कुरान की आयतें इसकी शोभा को और ज्यादा बढ़ाती हैं।
कुतुब मीनार पर निबंध – Paragraph on Qutub Minar
प्रस्तावना
मुगलकालीन वास्तुशैली में बनी 73 मीटर लंबी यह भारत की दूसरी सबसे भव्य मीनार है। भारत की पहली सबसे ऊंची मीनार चप्पड़ चिड़ी मौहाली (पंजाब) के फतेह बुर्ज में बनाई गई है।
दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार की भव्यता और आर्कषण की वजह से इसे विश्व धरोहर की लिस्ट में भी शामिल किया गया है। यह भारत की सबसे प्रमुख एवं पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है।
भारत की एतिहासिक विरासत एवं प्रमुख पर्यटन स्थल – Qutub Minar Tourist Attraction
मुगलकालीन वास्तुशैली में बनी यह ऐतिहासक स्मारक भारत के मुख्य आर्कषणों में से एक है, जिसकी भव्यता को निहाने दुनिया के कोने-कोने से सैलानी आते हैं, और इसकी सुंदर बनावट एवं भव्यता की प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाते। दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार को मुस्लिम शासकों की विजय का प्रतीक भी माना जाता है।
इस भव्य मीनार की दीवारों में बेहद सुंदर नक्काशी की गई है, इसलिए इसे बनाने में काफी समय लगा था।
12 वीं, 13वीं सदी में कुतुबमीनार का निर्माण गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश, फिरोज शाह तुगलक द्धारा करवाया गया था, जबकि इसको अंतिम रूप लोदी वंश के शासक सिकंदर लोदी द्धारा दिया गया था।
आपको बता दें कि कुतुबमीनार का निर्माण एक भव्य परिसर में किया गया है, जिसके पास इल्तुतमिश का मकबरा, दो मस्जिदें, अलाई-दरवाजा, आदि बने हुए हैं। वहीं कुतुबमीनार के पास बनी यह सुंदर और अद्धितीय ऐतिहासिक इमारतें भी इसके आर्कषण को दो गुना कर देती हैं।
शंक्काकार आकार में बनी इस सुंदर इमारत का निर्माण इंडो-इस्लामिक स्थायित्व शैली में किया गया है, कुतुबमीनार की सुंदरता को देखते ही बनता है।
निष्कर्ष
14.3 मीटर के आधार व्यास और 2.7 मीटर के शीर्ष व्यास वाली भारत की दूसरी सबसे ऊँची और बहुमंजिला मीनार के आर्कषण को देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। शाम साढ़े 6 बजे से रात 8 बजे तक इसके परिसर में खूबसूरत लाइटें जलती हैं।
लाइटों की चकाचौंध में यह और भी ज्यादा सुंदर दिखाई देता है। इसकी भव्यता की वजह से इस ऐतिहासिक स्मारक को दुनिया की सबसे खूबसूरत धरोहर की सूची में स्थान दिया गया है।
वहीं इसके निर्माण के इतने सालों के बाद भी कुतुबमीनार सुंदरता और आर्कषण कम नहीं हुआ है, यही वजह है कि इसे देखने लगातार सैलानी आते हैं।
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