माय स्कूल निबंध निबंध नंबर 4 – Essay on My School 4
मनुष्य जन्म से ही बुद्धिमान या फिर गुणवान पैदा नहीं होता, इस धरती पर आकर ही उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है, और यह ज्ञान उसे अपने विद्यालय से मिलता है।
किसी भी मनुष्य को उसके जीवन में सही दिशा में आगे बढ़ाने और सफलता हासिल करवाने में स्कूल अपना अहम रोल अदा करता है।
पढ़ाई और स्कूल के महत्व को समझते हुए हर अभिभावक शुरु से ही अपने बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि वह ज्ञान अर्जित कर अपने बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकें।
स्कूल से सिर्फ मानसिक विकास ही नहीं होता है बल्कि मिलजुल कर रहने और एकता का भाव भी बच्चों में प्रकट होता है, क्योंकि स्कूल एक ऐसी जगह है, जहां सभी धर्मों और जाति के लोग ज्ञान प्राप्ति के लिए आते हैं और सभी का एक ही लक्ष्य और उद्देश्य होता है।
वहीं स्कूल में सभी लोगों के साथ एक सामान व्यवहार किया जाता है, किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता और बच्चों का आगे बढ़ने के लिए उनका हौसला बढ़ाया जाता है।
स्कूल की संरचना और बनावट –
मेरा स्कूल शहर में एक शांत जगह पर स्थित है, जहां आस-पास हरे पेड़- पौधे लगे हुए हैं और यह शहर के प्रदूषण और शोर-शऱावे से एकदम दूर है, जिससे हमें शांत और शुद्ध वातावरण में पढ़ने का मौका मिलता है।
मेरे स्कूल की मेरे घर से दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर है। हमारे स्कूल में करीब 50 कमरे हैं, हर क्लासरुम को 3-3 सेक्शन में बांटा गया है। मेरे स्कूल में करीब 3 हजार बच्चे पढ़ते हैं।
स्कूल में एक खेल का मैदान, गार्डन और कैंटीन भी है। जहां हम अपना खाली समय अपने दोस्तों के साथ समय बिताते हैं। इसके अलावा मेरे स्कूल में प्राइमरी क्लास के बच्चों के लिए झूले भी लगाए गए हैं, ताकि वह अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपना मनोरंजन भी कर सकें।
इसके अलावा कम्यूटर लैब, कैमेस्ट्री लैब और फिजिक्स लैब भी है जिसमें बच्चों को अलग-अलग तरह के प्रयोग सिखाए जाते हैं। इसके अलावा एक बड़ा सा ऑडिटोरियम भी है, जिसमें समय-समय पर कई अलग-अलग तरह के प्रोग्राम बनाए जाते हैं।
मेरे स्कूल में शिष्टाचार और अनुशासन –
मेरा स्कूल अनुशासन पर खास ध्यान देता है। सबसे पहले हम स्कूल में जाकर अपने टीचर को प्रणाम करते हैं और पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं, इसके बाद सरस्वती वंदना करते हैं और राष्ट्रगीत गाते हैं फिर अपनी पढ़ाई की शुरुआत करते हैं।
इसके अलावा मेरे स्कूल में हम सभी बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए एक ड्रेस तय की गई हैं इसके अलावा हमारी ड्रेस की साफ-सफाई को लेकर भी स्कूल में खास जोर दिया जाता है। मेरा स्कूल अनुशासन को लेकर बेहद सख्त है।
मेरे स्कूल में टीचर का व्यवहार और पढ़ाने का तरीका –
मेरे स्कूल के सभी टीचर्स बेहद रचनात्मक और सरल तरीके से हर विषय की जानकारी देते हैं। उनके पढ़ाने का तरीका एकदम अलग है, जिससे कठिन से कठिन सवाल भी बेहद आसानी से समझ में आ जाता है।
मेरे स्कूल के टीचर्स बच्चों से बेहद नम्रता से पेश आते हैं और उनकी हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान करने में उनकी मद्द करते हैं।
इसके अलावा मेरे स्कूल के प्रिंसिपल सर भी बहुत अच्छे हैं, वे हर बच्चे की परेशानी को समझते हैं और प्रेम भाव से समझाते हैं। मुझे अपने स्कूल के सभी टीचर्स बेहद पसंद हैं।
मेरे स्कूल में पढ़ाई के साथ खेलकूद गतिविधियां –
मेरे स्कूल में पढ़ाई के अलावा खेल-कूद गतिविधियां भी समय-समय पर आयोजित करवाई जाती हैं। इसके साथ ही खेल कूद के महत्व को भी बताया जाता है।
और स्कूल के सभी बच्चों को खेल-कूद प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कहा जाता है, जिसके वह इस क्षेत्र में भी खुद को साबित कर सकें।
इसके साथ ही अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पुरस्कृत भी किया जाता है, जिससे उनका मनोबल बढ़ सके और उसका शारीरिक और मानसिक विकास हो सके। वहीं जिस तरह से पढ़ाई जरूरी होती है, उसी तरह से खेल-कूद भी मनुष्य के जीवन में उतने ही जरूरी होते हैं।
उपसंहार –
हम सभी विद्यार्थियों को स्कूल के महत्व को समझना चाहिए और अपने गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए। इसके साथ ही स्कूल की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
अपने गुरुजनों की आज्ञा का पालन करना चाहिए और स्कूल में साफ-सफाई और अनुशासन बनाए रखने में सहयोग करना चाहिए। स्कूल से ही हमारे जीवन की राहें आसान होती हैं और हम अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं।
इसलिए हमें अपने स्कूल के प्रति सच्चा भाव रखना चाहिए और रोज ईमानदारी से स्कूल जाना चाहिए और स्कूल में सभी का आदर करना चाहिए।
जय हिन्द!
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आपने मेरा स्कूल निबंध बहोत अच्छे से लिखा है, मुझे बहोत पसंद आया।