Essay on My Favourite Teacher in Hindi
एक अध्यापक को भगवान से बढ़कर भी दर्जा दिया गया है, क्योंकि अध्यापक ही छात्र के अंदर सोचने-समझने की शक्ति विकसित करता है, और उन्हें अपने जीवन के उद्देश्यों को पूरा करने और सफलता हासिल करने के लायक बनाता है।
हर अध्यापक की यही सोच होती है कि उसके छात्र तरक्की के नए आयाम को हासिल करे और उसका सिर गर्व से ऊंचा करें, वहीं कुछ अध्यापक ऐसे होते हैं जिनका व्यक्तित्व, पढ़ाने का तरीका और आचरण काफी प्रभावित करता है, जिससे वे बच्चों के आदर्श और प्रिय अध्यापक बन जाते हैं।
वहीं कई बार स्कूल-कॉलेजों में छात्रों को अध्यापक के महत्व को समझाने के लिए उनके प्रिय अध्यापक पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में ‘मेरे प्रिय अध्यापक’ विषय पर निबंध(Essay on My Favourite Teacher) उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका आप अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –
“मेरे प्रिय अध्यापक” पर निबंध – Essay on My Favourite Teacher in Hindi
प्रस्तावना
शिक्षक के मार्गदर्शन के बिना कोई भी इंसान अपने जीवन में सफलता हासिल नहीं कर सकता है, इसलिए हर किसी के जीवन में शिक्षक का बेहद महत्व होता है, वहीं कुछ शिक्षक ऐसे होते हैं जो छात्र की जीवन के लिए प्रेरणा बन जाते हैं और छात्र उनके आदर्शों पर चलकर अपना जीवन संवार लेते हैं।
शायद इसी वजह से शिक्षक को भगवान से भी बढ़कर दर्जा दिया गया है। वहीं मै भी अपने प्रिय अध्यापक के बारे में कुछ लिखने से पहले संस्कृत में लिखे गए इस श्लोक के माध्यम से उन्हें प्रणाम करता हूं/करती हूं –
“गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”
मेरे प्रिय अध्यापक का परिचय:
मेरे प्रिय अध्यापक का नाम नरेश देशपांडे है, जो कि गणित के एक अच्छे टीचर हैं। उनके पढ़ाने का तरीका और उनका प्रभावशाली व्यक्तित्व की वजह से हर छात्र उनकी तारीफ करता है और उनकी तरफ आर्कषित होता है। उनकी सबसे अच्छी बात यह है कि वे सभी छात्रों के साथ सामान व्यवहार करते हैं और सभी के साथ बेहद नम्रता और सौम्यता से पेश आते हैं।
मेरे प्रिय अध्यापक ‘मेरे आदर्श:
मेरे प्रिय अध्यापक नरेश सर को मै अपना आदर्श और प्रेरणा मानता हूं। वे एक ऐसे अध्यापक हैं जो, पूरी निष्ठा, ईमानदारी और लगन के साथ अज्ञानी छात्रों के जीवन में ज्ञानरुपी प्रकाश भर देते हैं और जब तक कड़ी मेहनत करते रहते हैं, जब तक कि कोई छात्र अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लायक नहीं बन जाता है।
उनका यही व्यक्तित्व और चरित्र मुझे बेहद प्रेरित करता है, और मै उनके इन्हीं आदर्शों पर चलकर अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता हूं।
मेर प्रिय अध्यापक मुझे प्रिय क्यों है:
मुझे मेरे अध्यापक नरेश दुबे सर का नरम, सौम्य, दयालु व्यवहार बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने मेरे मन में गणित विषय को लेकर बैठे डर को बेहद आसान और सरल तरीके से दूर किया है, और गणित विषय में मुझे मजबूत बनाने में मेरी मद्द की है। वहीं उनकी अनूठी और प्रभावी शिक्षण शैली सिर्फ मुझे ही नहीं, बल्कि हर विद्यार्थी को सक्षम और सफल बनाने में मद्द करती है।
मेरे प्रिय अध्यापक मेरे प्रेरणास्त्रोत:
मेरे प्रिय अध्यापक बड़ी नरमता के साथ सभी छात्रों के साथ पेश आते हैं और हमेशा उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। वहीं उन्होंने मेरी समझ को भी काफी हद तक विकसित करने में मेरी मद्द की है और मुझे इस लायक बनाया कि मैं अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल कर सकूं।
मेरी गलतियों पर वे मुझे कभी डांटते नहीं है, बल्कि उनसे सीख लेकर सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए मेरा मार्गदर्शन करते हैं और अपने प्रेरणादायी विचारों से मुझे सफल होने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए वे मेरे प्रेरणास्त्रोत भी हैं।
मेरे प्रिय अध्यापक से मेरे रिश्ते:
मेरे प्रिय अध्यापक और मेरा रिश्ता सिर्फ गुरु और शिष्य का ही नहीं बल्कि, एक छोटे भाई जैसा है। वे पढ़ाई के साथ-साथ मेरी निजी समस्याओं को भी एक बड़े भाई की तरह समझते हैं और मुझे हमेशा सही राय देकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
उपसंहार
मेरे प्रिय अध्यापक से न सिर्फ मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है बल्कि मेरे अंदर सकारात्मक भावना का संचार होता है। आज उन्हीं की वजह से मेरा आदर्शवादी और नैतिकवादी आचरण बन सकता। मैं अपने प्रिय अध्यापक के लिए एक स्लोगन के माध्यम से सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि –
“नहीं है मेरे पास शब्द कि कैसे करुं धन्यवाद, मुझे तो सिर्फ चाहिए बस आपका आर्शीवाद।
आज जो भी हूं उसमें है आपका बड़ा योगदान, देने के लिए मुझे इतना ज्ञान।।”
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