भारतीय संस्कृति पर निबंध – Essay on Indian Culture in Hindi

Essay on Indian Culture in Hindi

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन एवं महान संस्कृति है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है। भारतीय संस्कृति सार्वधिक संपन्न और समृद्ध है और अनेकता में एकता ही इसकी मूल पहचान है।

भारत ही एक ऐसा देश हैं जहां एक से ज्यादा जाति, धर्म, समुदाय, लिंग, पंथ आदि के लोग मिलजुल कर रहते हैं और सभी अपनी-अपनी परंपरा और रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं।

भारत संस्कृति का विज्ञान, राजनीति, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के क्षेत्रों में हमेशा ही एक अलग स्थान रहा है। भारतीय संस्कृति में मानवीय मूल्यों, नैतिक मूल्यों, शिष्टाचार, आदर, गुरुओं का सम्मान, अतिथियों का सम्मान, राजनीति, दर्शन, धर्म, समाज, परंपराएं, रीति-रिवाज, सौंदर्य़ बोध, आध्यात्मिकता, आदि का बेहद खूबसूरत तरीके से समावेश किया गया है।

भारतीय संस्कृति के महत्व को आज की पीढ़ी को समझाने के लिए कई बार स्कूल-कॉलेजों में आयोजित परीक्षाएं अथवा निबंध लेखन प्रतियोगताओं में भारतीय संस्कृति के विषय पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस पोस्ट में भारतीय संस्कृति पर हैडिंग के साथ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Essay on Indian Culture in Hindi

भारतीय संस्कृति पर निबंध – Essay on Indian Culture in Hindi

प्रस्तावना –

भारत विविधताओं का देश है, जहां अलग-अलग धर्म, जाति, पंथ, लिंग के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की मूल पहचान है। भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति होने के बाबजूद भी आज अपने नैतिक मूल्यों और परंपराओं को बनाए हुए है।

प्रेम, धर्म, राजनीति, दर्शन, भाईचारा, सम्मान, आदर, परोपकार, भलाई, मानवीयता, आदि भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं हैं। भारत में रहने वाले सभी लोग सभी अपनी संस्कृति का आदर करते हैं और इसकी गरिमा को बनाए रखने में अपना सहयोग करते हैं।

संस्कृति की परिभाषा एवं संस्कृति शब्द का अर्थ – Meaning of Culture

किसी देश, जाति, समुदाय आदि की पहचान उसकी संस्कृति से ही होती है। संस्कृति, देश के सभी जाति, धर्म, समुदाय को उसके संस्कारों का बोध करवाती है।

जिससे उन्हें अपने जीवन के आदर्शों और नैतिक मूल्यों पर चलने की प्रेरणा मिलती है और अच्छी भावनाओं का विकास होता है। विरासत में मिले विचार, कला, शिल्प, वस्तु आदि ही किसी देश की मूल संस्कृति कहलती है।

संस्कृति शब्द का मुख्य रुप से संस्कार से बना हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सुधारने अथवा शुद्धि करने वाली या फिर परिष्कार करने वाली। वहीं चार वेदो में से एक यजुर्वेद में संस्कृति को सृष्टि माना गया है, जो समस्त विश्व में वरण करने योग्य होती है।

जीवन को सम्पन्न करने के लिए मूल्यों, मान्यताओं एवं स्थापनाओं का समूह ही संस्कृति कहलाता है, सीधे शब्दों में संस्कृति का सीधा संबंध मनुष्य के जीवन के मूल्यों से होता है।

सभ्यता एवं संस्कृति:

सभ्यता और संस्कृति को भले ही आज एक-दूसरे का पर्याय कहा जाता हो, लेकिन दोनों एक-दूसरे से काफी अलग-अलग होती हैं। सभ्यता का सबंध मानव जीवन के बाहरी ढंग अथवा भौतिक विकास से होता है, जैसे उसका रहन-सहन, खान-पान, भाषा आदि। संस्कृति का सीधा अभिप्राय मनुष्य की सोच, चिंतन, अध्यात्म, विचारधारा आदि से होता है।

संस्कृति का क्षेत्र काफी व्यापक और गहन होता है। इसके तहत आन्तरिक गुण जैसे विन्रमता, सुशीलता, सहानुभूति, सहृदयता, एवं सज्जनता आदि आते हैं जो इसके मूल्य व आदर्श होते हैं।

हालांकि, सभ्यता एवं संस्कृति का आपस में काफी घनिष्ठ संबंध होता है, क्योंकि मनुष्य अपने विचारों से ही किसी वस्तु को बनाता है।

विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति के रुप में भारतीय संस्कृति:

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है, लेकिन आधुनिकता और पाश्चात्य शैली अपनाने के बाबजूद आज भी भारतीय संस्कृति ने अपने मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत को बना कर रखा है।

इतिहासकारों के मुताबिक भारतीय संस्कृति के सबसे प्राचीनतम होने का प्रमाण मध्यप्रदेश के भीमबेटका में मिले शैलचित्र एवं नृवंशीय व पुरातत्वीय अवशेषों और नर्मदा घाटी में की गई खुदाई से सिद्ध हुआ है।

इसके अलावा सिंधु घाटी की सभ्यता में किए गए कुछ उल्लेखों से यह ज्ञात होता है कि आज से करीब 5 हजार साल पहले भारतीय संस्कृति का उदगम हो चुका था। यह नहीं वेदों में भारतीय संस्कृति का उल्लेख भी इसकी प्राचीनता का एक बड़ा प्रमाण है।

भारतीय संस्कृति क्यों हैं विश्व की समृद्ध संस्कृति और इसकी विशिष्टताएं:

भारतीय संस्कृति में कई अलग-अलग धर्म, समुदाय, जाति पंथ आदि के लोगों के रहने के बाद भी इसमें विविधता में एकता है। भारतीय संस्कृति के आदर्श एवं मूल्य ही इसे विश्व में एक अलग सम्मान दिलवाती है और समृद्ध बनाती है। भारतीय संस्कृति की कुछ प्रमुख विशेषताएं नीचे दी गई हैं –

भारतीय संस्कृति आज भी अपने मूल रुप-स्वरूप में जीवित है:

भारतीय संस्कृति की निरंतरता ही इसकी प्रमुख विशेषता है, विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति होने के बाबजूद आज भी यह अपने मूल रुप में जीवित है। वहीं आधुनिकता के इस युग में आज भी कई धार्मिक परंपराएं, रीति-रिवाज, धार्मिक अनुष्ठान कई हजार सालों के बाद भी वैसे ही चले आ रहे हैं। धर्मों और वेदों में लोगों की अनूठी आस्था आज भी भारतीय संस्कृति की पहचान को बरकरार रखे हुए है।

सहनशीलता एवं सहिष्णुता:

भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत सहिष्णुता और सहनशीलता है। भारतीयों के साथ अंग्रजी शासकों एवं आक्रमणकारियों द्धारा काफी क्रूर व्यवहार किया गया और उन पर असहनीय जुर्म ढाह गए, लेकिन भारतीयों ने देश में शांति बनाए रखने के लिए कई हमलावरों के अत्याचारों को सहन किया।

वहीं सहनशीलता का गुण भारतीयों को उसकी संस्कृति से विरासत में मिला है। वहीं कई महापुरुषों ने भी सहिष्णुता की शिक्षा दी है।

आध्यात्मिकता, भारतीय संस्कृति की मुख्य विशेषता:

भारतीय संस्कृति, का मूल आधार आध्यात्मिकता है, जो कि मूल रुप से धर्म, कर्म एवं ईश्वरीय विश्वास से जुड़ी हुई है। भारतीय संस्कृति में रह रहे अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को अपने परमेश्वर पर अटूट आस्था एवं विश्वास है।

भारतीय संस्कृति में कर्म करने की महत्वता:

भारतीय संस्कृति में कर्म करने पर बल दिया गया है। यहां कर्म को ही पूजा माना गया है। वहीं कर्म करने वाला पुरुष ही अपने लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर पाता है और अपने जीवन में सफल होता है।

आपसी प्रेम एवं भाईचारा:

भारतीय संस्कृति में लोगों के अंदर एक-दूसरे के प्रति प्रेम, परोपकार, सद्भाव एवं भलाई की भावना निहित है, जो इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है।

अनेकता में एकता – Anekta Mein Ekta

भारत में अलग-अलग जाति, धर्म, लिंग, पंथ, समुदाय आदि के लोग रहते हैं, जिनके रहन-सहन, बोल-चाल एवं खान-पान में काफी विविधता है, लेकिन फिर भी सभी भारतीय आपस में मिलजुल कर प्रेम से रहते हैं, इसलिए अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की मूल पहचान है।

नैतिक एवं मानवीय मूल्यों का महत्व:

भारत संस्कृति के तहत नैतिक एवं मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता दी गई है। जिसमें विचार, शिष्टाचार, आदर्श, दर्शन, राजनीति, धर्म आदि शामिल हैं।

भारतीयों के संस्कार हैं इसकी विशेषता:

भारतीय मूल के व्यक्ति की शिष्टता एवं अच्छे संस्कार जैसे बड़ों का आदर करना, अनुशासन में रहना, परोपकार एवं भलाई करना, जीवों के प्रति दया का भाव रखना एवं अच्छे कर्म करना ही भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत है।

शिक्षा का महत्व – Shiksha Ka Mahatva

भारतीय संस्कृति में शिक्षा को खास महत्व दिया गया है। यहां शिक्षित व्यक्ति को ही सम्मान दिया जाता है, जबकि अशिक्षित व्यक्ति का सही रुप से मानसिक, नैतिक एवं शारीरिक विकास नहीं होने की वजह से उसे समाज में उपेक्षित किया जाता है वहीं अशिक्षित व्यक्ति अपने जीवन में दर-दर की ठोकरें खाता है।

राष्ट्रीयता की भावना:

भारतीय संस्कृति में लोगों के अंदर राष्ट्रीय एकता की भावना निहित है। राष्ट्र पर जब भी कोई संकट आया है, तब-तब भारतीयों ने एक होकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी है।

अतिथियों का सम्मान:

भारतीय संस्कृति में अतिथियों को भगवान का रुप माना गया है। हमारे देश में आने वाले मेहमानों का खास तरीके से स्वागत कर उनको सम्मान दिया जाता है। वहीं अगर कोई दुश्मन भी मेहमान बनकर आता है तो उसका स्वागत सत्कार करना प्रत्येक भारतीय अपना फर्ज समझता है।

गुरुओं का विशिष्ट स्थान:

भारतीय संस्कृति में प्राचीन समय से ही गुरुओं को भगवान से भी बढ़कर दर्जा दिया गया है, क्योंकि गुरु ही मनुष्य को सही कर्तव्यपथ पर चलने के योग्य बनाता है और उसे समस्त संसार का बोध करवाता है।

उपसंहार

मनुष्य के अंदर जो भी गुण समाहित होते हैं, वो उसे उसकी संस्कृति से विरासत में मिलते हैं और उसे एक सामाजिक एवं आदर्श प्राणी बनाने में मद्द करते हैं। वहीं मानव कल्याण एवं विकास के लिए सभी सहायक संपूर्ण ज्ञानात्मक, विचारात्मक, एवं क्रियात्मक गुण उसकी संस्कृति कहलाते हैं।

भारतीय संस्कृति इसके नैतिक मूल्यों, आदर्शों एवं अपनी तमाम विशिष्टताओं की वजह से पूरी दुनिया में विख्यात है और दुनिया की सबसे समृद्ध संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है जहां सभी लोग एक परिवार की तरह रहते हैं।

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