डॉ. भीमराव आम्बेडकर पर निबंध – Essay on Dr. BR Ambedkar in Hindi

भीमराव आम्बेडकर जी पर निबंध (550 शब्द) – Essay on Dr BR Ambedkar (500 Word)

दलितों के मसीहा के रुप में कहे जाने वाले भीमराव अम्बेडकर जी न सिर्फ एक महान समाज सुधारक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री, आजाद भारत के प्रथम कानूनमंत्री और एक राष्ट्रीय नेता थे बल्कि उन्हें स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माता के रुप में भी जाना जाता है।

अपने जीवन में तमाम कठिनाइयां और संघर्षों को झेलने के बाद उन्होंने समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव, छूआछूत, बाल विवाह, सती प्रथा समेत तमाम बुराइयों को दूर किया और दलित वर्गों को उनका अधिकार दिलवाया साथ ही भारत में संविधान का निर्माण किया। भीमराव आम्बेडकर जी ने अपने व्यक्तित्व का प्रभाव हर किसी पर डाला है, वे हर भारतीय के लिए एक आदर्श मॉडल हैं।

अम्बेडकर जी ने दलितों के उत्थान के लिए किए कई काम

अम्बेडकर जी एक निम्न जाति के व्यक्ति थे, जिसकी वजह से उन्हें बचपन से ही छूआछूत और समाजिक यातनाएं झेलनी पड़ी थी, यहां तक की लोग उन्हें हीन भावना से देखते थे, उच्च जाति के लोग तो उन्हें छूना भी नहीं पसंद करते थे।

यह नहीं होनहार होने के बाबजूद भी शिक्षा ग्रहण करने में भी उन्होंने काफी परेशानियां झेली, जिसके बाद, उन्होंने समाज में गंभीर और संक्रामक बीमारी की तरह फैल रही छूआछूत और सामाजिक भेदभाव को दूर करने का संकल्प लिया।

आपको बता दें कि उस दौरान हमारे देश में छूआछूत और जातिवाद की बीमारी इतनी फैल चुकी थी, कि यह देश के लोगों को एक-दूसरे से अलग कर रही थी और जो कि देश के और लोगों के विकास के लिए किसी संकट पैदा कर रही थी, जिसे दूर करना बेहद जरूरी था, इसलिए आम्बेडकर जी ने जातिवाद के खिलाफ मोर्चा छेड़ा और छूआछूत और जातिवाद के खिलाफ लोगों को इकट्ठा कर दलित लोगों को उनके अधिकारों के लिए जागरूक किया।

उन्होंने निम्न और दलित वर्ग के लोगों को सार्वजनिक कुओं से पानी पीने और मंदिरों में एंट्री करने के लिए उत्साहित किया। इसके अलावा उन्होंने अपने विचारों और भाषणों के माध्यम से जातिवाद प्रथा को खत्म करने के खिलाफ आवाज उठाई।

साल 1919 में उन्होंने अपने एक भाषण में दलितों के लिए अलग से चुनाव प्रणाली होने की बात कही थी, इसके साथ ही दलितों के आरक्षण देने की भी मांग उठाई थी।

आम्बेडकर जी ने दलित वर्ग के लोगों को उनका अधिकार दिलवाने के उद्देश्य से साल 1920 में ‘मूकनायक’ सामाजिक पत्र की स्थापनी की थी, उनके इस कदम से पूरे देश में राजनीतिक और सामाजिक हलचल पैदा कर दी थी।

भीमराव अम्बेडकर जी ने दलित वर्ग के उत्थान के लिए पूरे देश में भ्रमण किया और लोगों को छूआछूत और जातिवाद के खिलाफ जागरूक किया और इस समस्या को जड़ से खत्म करने पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने जातिगत भेदभाव का समर्थन करने वाले हिन्दू शास्त्रों की भी कड़ी निंदा की।

उपसंहार

भीमराव आम्बेडकर जी को निम्न जाति में पैदा होने की वजह से काफी पीड़ा और अपमान सहना पड़ा था, इसलिए उन्होंने समाज से छूआछूत और जातिगत भेदभाव की समस्या को जड़ से खत्म करने का फैसला किया और अपना पूरा जीवन दलित वर्ग के उत्थान करने के लिए समर्पित कर दिया।

यही नहीं काफी विरोध के बाबजूद भी वे अपने जीवन के लक्ष्यों में सफल होते चले गए और आज वे दलितों के मसीहा के रुप में जाने जाने जाते हैं, उनका जीवन अति प्रेरणादायी है, जिनसे हम सभी को प्रेरणा लेने की जरूरत है।

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