भीमराव आम्बेडकर जी पर निबंध (800 शब्द) – Ambedkar Essay (800 Word)
डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर जी न सिर्फ एक महान समाज सुधारक, दलितों के मसीहा, दार्शनिक, राष्ट्रप्रेमी, भारत के राष्ट्रवादी नेता थे बल्कि वे संविधान के निर्माता भी थे, जिन्हें आधुनिक भारत के रचयिता के रुप मे भी लोग जानते हैं। जिन्होंने अपने महान और प्रेरणादायी व्यक्तित्व का प्रभाव हर किसी पर डाला था, आज भी लोग आम्बेडकर जी के द्धारा किए गए कामों को याद करते हैं और उनकी मिसाल देते हैं।
भीमराव आम्बेडकर जी का बुद्ध धर्म में परिवर्तन
एक बौद्धिक सम्मेलन में शामिल होने के लिए साल 1950 में भीमराव आम्बेडकर श्री लंका चले गए। जहां जाकर वे बौद्ध धर्म के विचारों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होनें बौद्ध धर्म को अपनाने का फैसला लिया और फिर बाद में उन्होनें खुद को बौद्ध धर्म में परिवर्तन कर लिया।
वहीं इसके बाद भारत लौटने पर उन्होनें बौद्ध धर्म के बारे में कई किताबें भी लिखी। वहीं अपने भाषणों के माध्यम से उन्होंने हिन्दू धर्म के रीति-रिवाजों और शास्त्रों की कडी निंदा की। और दलित समुदायों के लोगों को उनका हक दिलवाया।
साल 1955 में डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर जी ने भारतीय बौद्ध महासभा का गठन किया और उनकी किताब ‘द बुद्धा और उनके धर्म’ उनके मरने के बाद प्रकाशित हुई।
आपको बता दें कि 14 अक्टूबर, 1956 में डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर जी ने एक आम सभा का भी आयोजन किया जिसमें उन्होनें अपने करीब 5 लाख अनुयायियों को बौद्ध धर्म में रुपान्तरण किया। उन्होंने बौद्ध धर्म का जमकर प्रचार-प्रसार किया, वहीं बौद्ध धर्म पर गहरे अध्ययन से आम्बेडकर जी को यह एहसास हो गया था कि बौद्ध धर्म ही दलितों को उनका अधिकार दिलवाने का एकमात्र तरीका है।
वहीं इस बदलाव से भारत में अमानवीय अत्याचारों और भेदभाव से पीड़ित दलितों के अंदर एक नई ऊर्जा का संचार हुआ, इसके साथ ही दलित समुदाय के लोगों को एक नए तरीके से जीवन जीने की प्रेरणा मिली।
संविधान निर्माण
डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर का संविधान के निर्माण का मुख्य मकसद देश में जातिगत भेदभाव और छूआछूत को जड़ से खत्म करना था और एक छूआछूत मुक्त समाज का निर्माण कर समाज में क्रांति लाना था साथ ही सभी को समानता का अधिकार दिलवाना था।
भीमराव आम्बेडकर जी को 29 अगस्त, 1947 को संविधान के मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। आम्बेडकर जी ने समाज के सभी वर्गों के बीच एक वास्तविक पुल के निर्माण पर जोर दिया।
समता, समानता, मानवता और बन्धुता पर आधारित भारतीय संविधान को करीब 2 साल, 11 महीने और 7 दिन की कड़ी मेहनत से 26 नवंबर, 1949 को तैयार कर उस समय के राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद को सौंप दिया, जिसके बाद 26 जनवरी 1950 में हमारे देश में संविधान लागू किया गया।
और अब हमारा देश अपनी राष्ट्रीय एकता, अखंडता और संस्कृति के लिए जाना जाता है। इस आधुनिक भारत के निर्माण का श्रेय भीमराव आम्बेडकर जी को ही दिया जाता है।
भीमराव आम्बेडकर जी द्धारा किए सराहनीय काम
डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर ने न सिर्फ समाज में फैली जातिवाद, छूआछूत, जैसी कुरोतियों को जड़ से खत्म किया। बल्कि उन्होंने दलितों को आरक्षण दिलवाने और महिलाओं के हक के लिए भी लड़ाई लड़ी।
उन्होंने इसके लिए महाड सत्याग्रह (साल 1928), नासिक सत्याग्रह (साल 1930) समेत कई आंदोलन चलाए। इसके अलावा आम्बेडकर जी ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर भी काफी जोर दिया।
आम्बेडकर जी ने धार्मिक, राजनीतिक, औद्योगिक, साहित्यिक, संवैधानिक, ऐतिहासिक समेत सभी अलग-अलग क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
राजनीतिक सफर
डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर जी ने साल 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की। 1937 में केन्द्रीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 15 सीटों से जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने अपनी इस पार्टी को अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ (ऑल इंडिया शेड्यूल) कास्ट पार्टी में बदल दिया, हालांकि, आम्बेडकर जी की पार्टी 1946 में हुए भारत के संविधान सभा के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी।
इसके बाद कांग्रेस और महात्मा गांधी ने दलित वर्ग को हरिजन नाम दिया। हालांकि आम्बेडकर जी को गांधी जी का दिया गया हरिजन नाम नगंवार गुजरा और उन्होनें इस बात का जमकर विरोध किया। इसके बाद आम्बेडकर जी वाइसराय एग्जीक्यूटिव कौंसिल में श्रम मंत्री और रक्षा सलाहकार के रुप में नियुक्त किए गए।
काफी संघर्ष और समर्पण के बल पर वे आजाद भारत के पहले लॉ मिनिस्टर बने, दलित होने के बाबजूद भी डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर जी का मंत्री बनना उनके जीवन की किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं थी।
उपसंहार
दलितों के मसीहा और आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले डॉ. भीमराव आम्बेडकर जी ने समाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षणिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, धार्मिक समेत सभी क्षेत्रों में काम किया और अपना पूरा जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया।
भारत के लिए भीमराव आम्बेडकर जैसे महान व्यक्ति का जन्म लेना सौभाग्य की बात है, उनके द्धारा देश के लिए किए गए कामों को कभी नहीं भूला जा सकता। देश हमेशा उनका कृतज्ञ रहेगा।
Jai bhim
Here Year of birth of Dr. Babasaheb Ambedkar is wrongly mentioned as 1981. It should be 1891.