भारत में लोकतंत्र पर निबंध नंबर 2 (700 शब्द) – Democracy Hindi Essay (700 Word)
प्रस्तावना –
कई सालों तक अंग्रेजों की गुलामी सहने के बाद जब भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ तो, भारत एक समाजवादी, संप्रभु, लोकतंत्रात्मक राष्ट्र बना। वहीं जब भारत में 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू किया गया तो, इसके तहत भारत के सभी नागरिकों को अपने वोट का इस्तेमाल करने का अधिकार प्राप्त हुआ।
जिसके चलते भारत के सभी नागिरक अपने वोट का इस्तेमाल कर अपनी पसंद का प्रतिनिधि चुन सकते हैं, जिससे देश का विकास हो सके और देश आर्थिक रुप से मजबूत बन सके।
भारत में सरकार, भारत के नागिरकों के द्धारा चुनी जाती है, इसलिए इसे लोकतंत्रात्मक गणराज्य भी कहा गया है।
भारत में लोकतंत्र की कार्यप्रणाली
भारत में संविधान के तहत देश के सभी वयस्क नागरिक जिनकी उम्र 18 साल की उम्र से ऊपर हो, उन्हें अपने वोट का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है, लोकतंत्र में जनता द्धारा अपनी पसंद का प्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया गया है।
इसमें जनता अपनी मनमर्जी से एक ऐसा शासक चुनती है, जो देश की उन्नति के लिए सही फैसले ले सके और जनता का विकास करने में सहायक हो, इसके साथ ही देश की सभी लोगों की जरूरतों को पूरा कर सके।
वहीं जब देश का प्रतिनिधि सही तरीके से अपनी कर्तव्यों को पूरा करता है तो देश को आर्थिक रुप से भी मजबूती मिलती है।
आपको बता दें कि देश में चुनाव के द्धारा जनता अपना शासक चुनती है। हमारे भारत में मुख्य रुप से दो तरह के चुनाव होते हैं – लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव में देश का प्रधानमंत्री तय होता है, जबकि विधानसभा चुनाव देश के अलग-अलग 29 राज्यों में आयोजित होते हैं, जिसमें राज्यों के मुख्यमंत्रियों का चुनाव जनता द्धारा किया जाता है।
भारत कई बड़े राजनैतिक पार्टियां हैं, जिनके उम्मीदवार तमाम विकास के दावे और वादे कर चुनावी मैदान में खड़े होते हैं। आपको बता दें कि भारत में बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा, माकपा, टीएमसी समेत तमाम राजनैतिक पार्टियों द्धारा चुनाव लड़े जाते हैं। वहीं चुनाव के दौरान देश की जनता इन राजनैतिक दलों के किसी एक उम्मीदवार को उसके पिछले कार्यकाल का मूल्यांकन कर अपना कीमती वोट देती है।
भारत में लोकतंत्र के मौलिक उद्देश्य और विशेषताएं
हमारे भारतीय संविधान में जातिगत भेदभाव, धर्म, संप्रदाय, रंग, लिंग, पंथ और समाजिक असमानता को नजरअंदाज कर देश के सभी नागिरकों को एक समान अधिकार दिए हैं, जिससे समाज में छुआछूत, जातिगद भेदभाव जैसे कुरोतियां जड़ से खत्म हो गई।
वहीं लोकतंत्र में एक ऐसी शासन प्रणाली बनी है, जिससे जनता के व्यक्तित्व का निर्माण हो, इससे वोट देने के अधिकार से नागरिकों का स्वाभिमान बढ़ता है और लोगों में देशभक्ति की भावना का विकास होता है, वहीं लोकतंत्र किन उद्देशयों पर काम करता है, इसके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं –
लोकतंत्र का उद्देश्य
- नागरिकों की स्वतंत्रता और समानता।
- भारत की शासन और न्यायिक प्रणाली में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना।
- जनता के अधिकारों का ध्यान रखना और जनता की सुरक्षा करना।
- निष्पक्ष चुनाव प्रणाली।
लोकतंत्र की मुख्य विशेषताएं –
- जनता के व्यक्तित्व का निर्माण करने वाली शासन प्रणाली
- जनता में नैतिकता का विकास, आत्मनिर्भरता और ईमानदारी के गुण पैदा करता है।
- लोगों में देशभक्ति की भावना का विकास।
- लोगों के हित को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाई जाती हैं।
लोकतंत्र की उपलब्धियां
- भारत एकमात्र ऐसा राष्ट्र है, स्वतंत्रता के पहले दिन से ही देश के व्यस्क नागरिकों को अपने वोट का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया है।
- दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
- स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव।
लोकतंत्र के फायदे-
- किसी धर्म को अपनाने की स्वतंत्रता।
- बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार।
- अभिव्यक्ति की आजादी।
भारतीय लोकतंत्र में सुधार की जरूरत
- साक्षरता को बढ़ावा देकर।
- लोगों को अपने वोट का इस्तेमाल करने के लिए उत्साहित कर।
- बेरोजगारी की समस्या को खत्म कर।
- निष्पक्ष चुनाव की जरूरत।
- लोगों को सही प्रतिनिधि चुनने के लिए शिक्षित करने की जरूरत।
- जातिगत भेदभाव को दूर कर।
- चुने गए प्रतिनिधियों के द्धारा विकास कामों और कामकाज की निगरानी कर।
निष्कर्ष –
भारत का लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है , जिसकी कार्यप्रणाली को काफी तारीफ भी मिली है, लेकिन इसमें अभी कुछ कमियां हैं जिनमें सुधार की जरूरत है।