शहीद-ए-आजम भगत सिंह पर निबंध – Essay on Bhagat Singh in Hindi

भगत सिंह पर निबंध – Bhagat Singh Essay in Hindi

प्रस्तावना

भगत सिंह का नाम भारत के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट में सबसे ऊपर है, उन्होंने न सिर्फ देश की सेवा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, बल्कि भारत की स्वतंत्रता के लिए वे हंसते-हंसते सूली पर चढ़ गए, उनकी शहादत ने भारतवासियों को गौरन्वित किया है और लाखों युवाओं के मन में देश प्रेम की भावना जागृत की।

भगतसिंह का गांधीवादी विचारधारा से मोह भंग:

भगत सिंह ने एक ऐसे परिवार में जन्म लिया था, जिसने देश की आजादी की लड़ाई लड़ते हुए कई कुर्बानियां दी थी, वहीं उन्होंने अपने बचपन में कई ऐसी घटनाएं देखी थी, जिनका उन पर गहरा असर पड़ा था और उनके अंदर देश के प्रति समर्पण, प्रेम और निष्ठा की भावना जागृत हुई थी।
शहीद भगत सिंह ने अपने परिवार की तरह महात्मा गांधी जी की अहिंसक, शांतिप्रिय आंदोलन में अपना अमूल्य सहयोग दिया था, लेकिन बाद में उनका गांधीवादी विचारधारा से मोहभंग हो गया था।

दरअसल, भगतसिंह को यह बात समझ आ गई थी कि ”लातो के भूत बातों से नहीं मानते” अर्थात अत्याचारी अंग्रेजों से हो रही लड़ाई अहिंसक आंदोलनों से नहीं जीती जा सकती। वहीं साल 1919 में हुआ जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उन पर गहरा प्रभाव डाला था।

इस नरसंहार के बाद उन्होंने महात्मा गांधी जी के अहिंसक आंदोलनों से दूरी बना ली और अपनी क्रांतिकारी विचारधारा के साथ भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों के मन में अपना खौफ पैदा किया।

दृढ़निश्चयी भगत सिंह ने अंग्रेजों से लिया लाला लाजपत राय की मौत का बदला:

अपने संकल्पों के प्रति अडिग रहने वाले शहीद भगत सिंह का, अंग्रेजों के प्रति आक्रोश तब और भी ज्यादा बढ़ गया, जब साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाला लाजपत राय पर अंग्रेजों द्धारा निर्दयतापूर्ण लाठियां बरसाईं गईं और उनकी मौत हो गई।

जिसके बाद भगत सिंह ने अंग्रेजों से अपने आदर्श लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने का संकल्प लिया, और अपने साथी राजगुरु और सुखदेव के साथ मिलकर सांडर्स की हत्या का षणयंत्र रचा, लेकिन भूल से उन्होंने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी को मार दिया। इस घटना के बाद उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

हालांकि, इसके बाद वे खुद को बचाने के लिए वेष बदलकर भागने में कामयाब हुए।

शहीद भगत सिंह के जीवन के बारे में कुछ रोचक तथ्य – Facts about Bhagat Singh

शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जीवन के बारे में दिलचस्प बातें कुछ इस प्रकार हैं –

  • भगत सिंह हमेशा अविवाहित रहना चाहते थे। वहीं जब उनके माता-पिता उनके लिए दुल्हन ढूंढ रहे थे, तो उन्होंने यह कहकर अपना घर त्याग दिया कि उनकी दुल्हन देश की आजादी है।
  • लाला लाजपत राय के हत्यारे को मारने के बाद जब वे ब्रिटिश पुलिस से अपना बचाव कर रहे थे, तब उन भगतसिंह ने अपना वेष बदलने के लिए अपने बाल कटवा लिए और दाढ़ी साफ करवा ली, जबकि सिक्ख होने के नाते, यह उनके धर्म के खिलाफ था।
  • यकीनन भगत सिंह एक क्रांतिकारी, उग्रवादी और हिंसक विचारधारा वाले महापुरुष थे, लेकिन उनके जीवन का उद्देश्य कभी किसी को मारना नहीं था,वहीं जब उन्होंने मजदूरों और किसानों के विरुद्ध दमनकारी नीति लागू करने वाली ब्रिटिश असेम्बली पर बमबारी की थी, तो यह बम, निचले स्तर के विस्फोटक से बनाए गए थे, ताकि अंग्रेजों के कान तक भारत को आजाद करने की गूंज पहुंच सके।
  • हालांकि, नेशनल असेम्बली में बम फेंकने की घटना के बाद उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।
  • भगत सिंह एक ऐसे क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अपने अंतिम समय में किसी तरह की जांच करने और माफीनामा लिखने से इंकार कर दिया था, क्योंकि वे जानते थे कि उनकी शहादत से नौजवानों के दिल में भारत की आजादी की इच्छा उग्र रुप ले लेगी और भारत स्वतंत्र हो जाएगा।

कई भाषाओं के जानकार थे भगत सिंह:

शहीद-ए-आजम भगतसिंह एक महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक महान विचारक और लेखक भी थे, जिन्होंने अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रभाव हर किसी पर छोड़ा था।

भगत सिंह को हिन्दी, बंग्ला, पंजाबी, उर्दू, अंग्रेजी, समेत कई भाषाओं का ज्ञान था, उन्होंने स्वतंत्रा संग्राम के दौरान जेल में कई ऐसी पुस्तकों की रचनाएं की थी, जिसके माध्यम से उन्होंने भारतीय नौजवानों के ह्र्द्य को जोश से भर दिया था और उनके अंदर अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ आक्रामक भावना जागृत कर दी थी।

उपसंहार

भारत के युवा क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लिखी अपनी शौर्यगाथा से हर भारतीय को गौरान्वित किया है। उनके देश के लिए किए गए त्याग और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

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2 COMMENTS

  1. बहुत ही रोचक जानकारी शेयर की है आपने.
    शुरू से लेके लास्ट तक पढ़ने में मज़ा आया और पढ़ के अच्छा लगा.
    थैंक्स ज्ञानीपण्डित.

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